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हजारीबाग बना मछली पालन का मॉडल जिला, तिलैया डैम में उच्च स्तरीय संयुक्त टीम ने किया केज कल्चर का निरीक्षण

हजारीबाग, जावेद इस्लाम: विश्व बैंक, एएफडी (AFD), एनसीडीसी (NCDC) और झारखंड राज्य मत्स्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय संयुक्त टीम ने शनिवार को हजारीबाग जिले के बरही अनुमंडल के तिलैया डैम स्थित बुंडू में संचालित केज कल्चर (Hazaribagh Fish Farming) गतिविधियों का निरीक्षण किया. इस टीम का नेतृत्व विश्व बैंक के वरिष्ठ मत्स्य उद्योग मानक विशेषज्ञ जूलियन मिलियन ने किया. वहीं, इस निरीक्षण में एएफडी से ऑर्फी सिलार्ड, निधि बत्रा, हिंदुस्तान प्रशासन से आईए सिद्धिकी, नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (एनएफडीबी) से मसूम वहीद शामिल थे.

क्या था निरीक्षण का उद्देश्य

जानकारी के अनुसार, इस निरीक्षण का उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PMMKSY) की प्रगति का मूल्यांकन करना था. साथ ही मत्स्य किसानों की आर्थिक स्थिति का आंकलन करना था. इस दौरान टीम ने तिलैया डैम जलाशय में लगे केजों की संरचना, प्रबंधन, उत्पादन प्रणाली एवं किसानों की भागीदारी का गहन अवलोकन किया और मत्स्य कृषकों के साथ बात भी की. वहीं, किसानों ने टीम से अपनी चुनौतियां साझा करते हुए राज्य में स्थानीय स्तर पर उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन इकाई एवं हाईटेक फीड निर्माण इकाई की आवश्यकता बताई.

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किसानों ने क्या कहा

इस संबंध में किसानों ने कहा कि अगर यह सुविधा मिलती है, तो मत्स्य उत्पादकों को फायदा होगा. इससे उत्पादन लागत में कमी आएगी, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होगा और राज्य के मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा. टीम ने किसानों की मांगों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि इस दिशा में राज्य एवं केंद्र स्तर पर समन्वित प्रयास किए जाएंगे. इसके अलावा अधिकारियों ने किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग, स्वच्छता, केज रखरखाव और संगठित विपणन प्रणाली के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए टिप्स दिये.

टीम ने की हजारीबाग की उपायुक्त की सराहना

वहीं, हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, कृषक समन्वय और निगरानी तंत्र की टीम ने विशेष रूप से सराहना की. टीम ने कहा कि उनके कुशल मार्गदर्शन में हजारीबाग मत्स्य पालन के क्षेत्र में अग्रणी जिलों में उभर कर सामने आ रहा है. प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि झारखंड में जलाशय आधारित मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. अगर, इन्हें वैज्ञानिक ढंग से संचालित किया जाए, तो यह ग्रामीण युवाओं के लिए एक स्थायी और लाभकारी स्वरोजगार का माध्यम बन सकता है.

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ये रहे मौजूद

इस टीम के साथ उप मत्स्य निदेशक शंभू प्रसाद, संजय गुप्ता, डॉ प्रशांत कुमार दीपक,डॉ अनूप चौधरी एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी प्रदीप कुमार मौजूद थे. यह गतिविधि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) एवं जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) योजना के अंतर्गत चिह्नित की गई है, जिसके माध्यम से स्थानीय मत्स्य कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त एवं तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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