CUJ News: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के एक प्रोफेसर को बिरजिया जनजाति पर शोध करने के लिए 18 लाख की ग्रांट मिली है. जानकारी के अनुसार, सीयूजे के मानवशास्त्र एवं जनजातीय अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ शमशेर आलम की बिरजिया जनजाति पर शोध की परियोजना स्वीकृत हो गयी है. हिंदुस्तानीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद से 18 लाख रुपये की अनुसंधान परियोजना स्वीकृत हुई है, जो दो सालों तक चलेगी. इसका फोकस झारखंड की विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) बिरजिया समुदाय के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान और चिकित्सा पद्धतियों पर शोध करना होगा.
पीवीटीजी श्रेणी में है बिरजिया जनजाति
बता दें कि बिरजिया जनजाति झारखंड की सबसे कम आबादी वाली जनजातियों में से एक है. इन्हें पीवीटीजी श्रेणी में रखा गया है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बिरजिया समुदाय के स्वास्थ्य-संबंधी मुद्दों को बेहतर तरीके से समझकर नीति-निर्माण में उपयोगी सुझाव देना है. इस शोध के माध्यम से बिरजिया समुदाय के चिकित्सा ज्ञान को संरक्षित करने में भी सहयोग मिलेगा.
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इन संभावनाओं पर होगा अध्ययन
जानकारी के अनुसार, सहायक प्रोफेसर डॉ शमशेर आलम को ICSSR की ओर से “Continuity, Challenges and Confluence of Health Policies and Modernization on Indigenous Medicinal Knowledge and Health Practices of Birjias of Jharkhand” शीर्षक परियोजना के लिए 18 लाख रुपये का ग्रांट दिया गया है. इस राशि का उपयोग बिरजिया जनजाति पर रिसर्च करने के लिए किया जायेगा. इस शोध के तहत बिरजिया समुदाय के पारंपरिक चिकित्सा ज्ञान का दस्तावेजीकरण, उनकी मौजूदा स्वास्थ्य चुनौतियों का विश्लेषण और आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली में पारंपरिक पद्धतियों के समावेशन की संभावनाओं का अध्ययन किया जायेगा.
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