गोह. प्रखंड के हथियारा गांव की रहने वाली रंजू देवी सदमे में हैं. उसके साथ जो हुआ है, वह न सिर्फ धोखाधड़ी है, बल्कि एक बेसहारा स्त्री की उम्मीदों पर भी बड़ा कुठाराघात है. पति की दिवार से दबकर हुई मौत के बाद रंजू देवी को निर्माण कंपनी की ओर से मिलने वाले आर्थिक सहायता की आस थी, लेकिन अनपढ़ होने और व्यवस्था की पेचींदगियों के कारण वह इसे पाने में लगातार असफल हो रही थीं. थक-हारकर उसने अपने ही गांव के एक ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) संचालक से मदद मांगी. पहले तो वह सहारा बना, लेकिन बाद में वही शख्स भरोसे का सौदा कर गया. पीड़िता के अनुसार, सीएसपी संचालक ने उनके खाते में राशि आते ही गुपचुप तरीके से एटीएम कार्ड बनवाया और करीब चार लाख रुपये की निकासी कर ली. रंजू देवी के बैंक ऑफ बड़ौदा के खाता नंबर 12300100020364 पर बजाज कंट्रक्शन निर्माण कंपनी ने 26 अप्रैल 2019 को तीन लाख छह हजार 640 रूपये भेजा था. इसको एटीएम से सात मई 2019 को 50 हजार रूपये, पुनः उसी दिन 20 हजार रुपये, 20 मई को 50 हजार रुपये, 27 मई 2019 को त्रिवेणी किसान सेवा देवकुंड से 50 हजार रुपये, 13 जून को 10 हजार, उसी दिन पुनः 10 हजार रुपये इस तरह लगातार उसने फर्जी निकासी बेसहारा रंजू के खाता से कर लिया. रंजू देवी को इस धोखाधड़ी का तब पता चला जब वह अपने खाते से कुछ पैसे निकालने बैंक पहुंची. वहां, उन्हें बताया गया कि खाते में कोई राशि शेष नहीं है और पूरी निकासी एटीएम के जरिये पहले ही हो चुकी है. जब उन्होंने सीएसपी संचालक से इस बारे में सवाल किया, तो उसने पलटकर यही कहा कि आपने ही मेरे सामने पैसे निकाले हैं. अब रंजू देवी कभी थाना, तो कभी अधिकारियों के दफ्तर का चक्कर काट रही हैं. करीब दो माह पहले रंजू ने देवकुंड थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी, लेकिन अब तक दोषी संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हो सका. उन्होंने अब औरंगाबाद एसपी को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है. पीड़िता की मांग है कि उसे उसके हक का पैसा वापस दिलाया जाए और दोषी सीएसपी संचालक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो.
क्या कहते हैं थानाध्यक्ष
इस सबंध में देवकुंड थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि पीड़ित स्त्री रंजू देवी द्वारा आवेदन प्राप्त हुआ है. जांच कर कार्रवाई की जायेगी. इधर सीएसपी संचालक से उनका पक्ष जानने का कई बार प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा. यह घटना न केवल एक स्त्री के साथ हुए विश्वासघात की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे तकनीकी व्यवस्था में जागरूकता और सुरक्षा के अभाव में ग्रामीण और अशिक्षित जनता आसानी से ठगी का शिकार हो जाती है.
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