Sikh for Justice: दिल्ली हाई कोर्ट के ट्राइब्यूनल ने खालिस्तानी आतंकी संगठन “सिख्स फॉर जस्टिस” पर लगाए गए 5 साल के प्रतिबंध को बरकरार रखा है. यह प्रतिबंध केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लगाया गया था, जिसे अब कानूनी मान्यता मिल गई है. सुनवाई के दौरान केंद्र प्रशासन ने कुछ अहम सबूत पेश किए, जिनमें दिखाया गया कि यह संगठन मणिपुर में ईसाई समुदाय को हिंदुस्तान से अलग होने के लिए भड़काने की कोशिश कर रहा था. इसके साथ ही, संगठन ने पंजाब को खालिस्तान के रूप में अलग देश बनाने की मांग की और मुसलमानों, तमिलों, तथा मणिपुर के ईसाइयों को देशविरोधी गतिविधियों के लिए उकसाया.
ट्राइब्यूनल के आदेश में बताया गया कि “सिख्स फॉर जस्टिस” ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को धमकियां भी दीं. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट्स के अनुसार, इस संगठन ने हिंदुस्तान के खिलाफ हिंसा भड़काने और अलगाववादी आंदोलन तेज करने की कोशिशें कीं. रिपोर्ट में कहा गया कि संगठन ने पंजाब के लोगों को भड़काने के अलावा तमिलों को “द्रविड़िस्तान” और मुसलमानों को “उर्दूस्थान” की मांग करने के लिए प्रेरित किया.
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संगठन पर दलित समुदाय को भी उकसाने का आरोप है, जिसमें कहा गया कि प्रशासन उनके साथ अन्याय कर रही है और उन्हें अलग देश की मांग का समर्थन करना चाहिए. इसके अलावा, “सिख्स फॉर जस्टिस” ने पंजाब और हरियाणा के किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ भड़काने की कोशिश की थी. मणिपुर में भी इस संगठन ने ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव फैलाने की कोशिश की, खासतौर पर कुकी और मैतेई (पंगल) समुदायों को उकसाया. यह प्रतिबंध पहली बार जुलाई 2020 में लगाया गया था, और संगठन के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू को भी आतंकवादी घोषित किया गया था. अब इस प्रतिबंध को 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया है.
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