इसलामपुऱ नगर सहित प्रखंड क्षेत्र में अपने पति के सुखमय जीवन के लिए नव विवाहित स्त्रीओं ने अक्षय वट वृक्ष की पूजा अर्चना कर अपने पति के लंबे उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना की. यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से जुड़ा है जो सावित्री के दृढ़ इच्छा शक्ति और प्रेम का प्रतीक है जिससे उसने यमराज से अपने पति सत्यवान का प्राण मांग ली थी. सावित्री एक पवित्रव्रता स्त्री थी जिसका विवाह सत्यवान से हुआ था. सत्यवान को यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगा और उनके दृढ़ संकल्प और तपस्या से यमराज को प्रभावित किया. वट वृक्ष (वरगद का पेड़ ) को इस व्रत में पूजने के विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि सत्यवान की मृत्यु वट वृक्ष क़े नीचे हुई थी और सावित्री ने वे इस वृक्ष के नीचे यमराज से अपने पति के प्राण मांग ली थी. बट सावित्री व्रत के दिन स्त्रीएं बट वृक्ष की पूजा करती है एवं कच्चा धागा वृक्ष में लपेटती है. यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम और निष्ठा का प्रतीक है और विवाहित स्त्रीएं अपने पति के लंबी उम्र एवं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना क़े लिए व्रत में उपवास रखती है. अक्षय वट पर्व पर सुहागिन स्त्रीएं पूजा अर्चना के बाद घर पर पति को चरण स्पर्श कर ताड़ के पंखे से शीतल करने के उद्देश्य से पंखा झेलती है.
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