Bahraich News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह के पास मौजूद सूर्य कुंड को लेकर एक बार फिर विवाद और चर्चा तेज हो गई है. हिंदुस्तानीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद आनंद गोंड ने बुधवार को इस ऐतिहासिक स्थल का हिंदुस्तानीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने और इसका पुनर्निर्माण कराए जाने की मांग की है.
महाराजा सुहेलदेव के गुरू से जुड़ा बताया सूर्य कुंड
सांसद आनंद गोंड ने दावा किया कि सूर्य कुंड का संबंध महाराजा सुहेलदेव के गुरू ऋषि बालार्क से है, जो भगवान सूर्य के उपासक थे. उन्होंने कहा कि यह स्थान ऋषि बालार्क के आश्रम का हिस्सा था और आज भी लोग यहां आकर स्नान करते हैं. मान्यता है कि सूर्य कुंड के जल से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं.
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क्षेत्रीय जनता की पुरानी मांग
सांसद ने बताया कि बहराइच की जनता दशकों से इस स्थान के विकास की मांग करती आ रही है. उनका कहना है कि सूर्य कुंड की वर्तमान स्थिति काफी खराब है और लोगों की भावनाएं इससे जुड़ी हैं. उन्होंने सूर्य कुंड के पुनरुद्धार, श्रृषि बालार्क की प्रतिमा स्थापना और स्थल के सौंदर्यीकरण की भी मांग की.
मुख्यमंत्री के मंच से भी उठाया मुद्दा
सांसद आनंद गोंड ने यह मुद्दा मंगलवार को बहराइच दौरे पर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने मंच से भी उठाया. उन्होंने मंच पर सूर्य कुंड को महाराजा सुहेलदेव के गुरू का उपासना स्थल बताया और इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित किया.
सालार मसूद गाजी की दरगाह के पास है विवादित स्थल
स्थानीय लोगों के अनुसार, जिसे ‘सूर्य कुंड’ कहा जा रहा है, वह दरअसल एक पुरानी बावली है, जो दरगाह से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को लेकर सालों से हिंदू और मुस्लिम समुदायों में दावे-प्रतिदावे होते रहे हैं. ऐतिहासिक मान्यता है कि महाराजा सुहेलदेव ने चित्तौरा झील के किनारे सन 1034 में एक युद्ध में महमूद गजनवी के सेनापति गाजी सैयद सालार मसूद गाजी की हत्या कर दी थी.
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मेला रद्द, विवाद गहराया
हर साल ज्येष्ठ माह में दरगाह क्षेत्र में लगने वाला मेला इस बार प्रशासन द्वारा रद्द कर दिया गया. सीएम योगी ने सालार मसूद को “आक्रांता” बताते हुए इस तरह के आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबंध की वकालत की थी. उन्होंने महाराजा सुहेलदेव और ऋषि बालार्क के योगदान को महान परंपरा बताते हुए उनका महिमामंडन किया.
नेतृत्वक और सांस्कृतिक टकराव
यह मुद्दा अब धार्मिक आस्था, नेतृत्वक दृष्टिकोण और इतिहास के पुनर्पाठ का केंद्र बन गया है. जहां बीजेपी, आरएसएस और विहिप जैसे संगठन इसे हिन्दू परंपरा से जोड़ रहे हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय इस स्थल पर अपने ऐतिहासिक अधिकार का दावा करता रहा है.
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