नारायणपुर. राज्य प्रशासन और शिक्षा मंत्री प्रशासनी विद्यालयों की स्थिति को सुधारने के लिए निरंतर भले ही प्रयास कर रहे हों, लेकिन राज्य में ऐसे कई शिक्षक हैं जिनके पास बहानों और काम न करने के कई तकरीब हैं. प्रशासनी शिक्षक एक दिन का आकस्मिक अवकाश लेकर दो दिन गायब रहते हैं. जिसका बुरा प्रभाव विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं पर पड़ता है. यह कहानी शैक्षणिक अंचल नारायणपुर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मिरगा की है. यहां जब नया विचार की टीम 10:15 बजे सुबह पहुंची तो इसका सारा पोल खुल गया. यहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद कुद्दूस 57 बच्चों के साथ विद्यालय में उपस्थित थे. एक ही कमरे में 57 बच्चों को शिक्षक पढ़ रहे थे. जबकि दूसरी शिक्षिका कुमारी उमा धर की समाचार ली गयी तो उन्होंने साफ कहा कि बायोमीट्रिक में कोई समस्या है. जिसकी वजह से वह हाजिरी बनाकर कार्यालय गयी हैं. जब इसकी तहकीकात अच्छी तरह से ली गयी तो प्रधानाध्यापक ने अपना सुर बदल दिया और कहा कि 11 तारीख को उन्होंने सीएल का आवेदन दिया था. इसके बाद वह बिना सूचना के ही विद्यालय से गायब हैं. सोचिए कि शिक्षा विभाग ने शिक्षकों से विद्यालय में काम लेने के लिए बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था रखी है. उसके बाद भी शिक्षक की मनमानी चरम पर है. आखिर विद्यालय के बच्चों का क्या कसूर है? प्रधानाध्यापक से जब बच्चों की डीटेल्स ली गयी तो पता चला कि कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक 170 शिशु नामांकित हैं. यहां गुरुवार को 57 शिशु तथा बुधवार को 91 शिशु उपस्थित रहने की बात सामने आयी. 10:15 बजे तक बच्चों की उपस्थिति पंजी में नहीं बनायी गयी थी जबकि नियमतः प्रार्थना सभा के बाद शिक्षक को सभी बच्चों की उपस्थिति बना लेनी है. ऐसा जाहिर होता है कि शिक्षक बच्चों की उपस्थिति ज्यादा बनाकर एमडीएम की राशि गबन करने का साजिश रचते हैं. प्रधानाध्यापक ने शिक्षिका का बचाव करते हुए बताया कि शिक्षिका ने फोन पर मुझे सीएल चढ़ाने की बात कही है. सुबह 10:15 बजे तक शिक्षिका का सीएल शिक्षक उपस्थिति पंजी में नहीं चढ़ा था. जब मीडिया की गतिविधि विद्यालय में प्रारंभ हुई तो शिक्षक ने शिक्षिका का बचाव करने का भरपूर प्रयास किया. अब इसे शिक्षा विभाग के अधिकारी भी आसानी से बचा लेंगे.
कोयले के चूल्हे पर बनता है मध्याह्न भोजन :
इस विद्यालय में बच्चों के मध्याह्न भोजन के लिए विभाग ने गैस चूल्हा सिलेंडर आदि उपलब्ध करवाया है, लेकिन यहां का प्रबंधन रसोई घर में मध्याह्न भोजन गैस चूल्हे की जगह पर कोयले के चूल्हे पर बनवाता है. आखिर विभाग ने गैस चूल्हा विद्यालय को किसलिए उपलब्ध कराया है. क्या उसे विद्यालय के कोने में ढेर करने के लिए जरा सोचिए कि जब कोयले के ही चूल्हे में मध्याह्न भोजन बनाना है तो ऐसी व्यवस्था देने की आवश्यकता क्या थी. विभाग के इस रवैये पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है.
विद्यालयों के अनुश्रवण के लिए कई सीआरपी, फिर भी शिक्षक दे रहे हैं गच्चा :
विद्यालय एवं शिक्षकों की गतिविधि के देखने के लिए नारायणपुर शैक्षणिक अंचल में कई सीआरपी हैं, लेकिन शिक्षकों और विद्यालय प्रबंधन की इन गतिविधियों पर सीआरपी की नजर क्यों नहीं जाती है. आज तक यह बड़ा सवाल बना हुआ है. क्या सीआरपी केवल मासिक गुरुगोष्ठी में लंबे चौड़े भाषण देने के लिए हैं. लोगों के बीच या बड़ा सवाल आज भी बना है.
क्या कहते हैं अधिकारी
:विद्यालय में शिक्षक की दो दिनों से अनुपस्थित गंभीर मामला है. मध्याह्न भोजन गैस के चूल्हे पर बनना चाहिए. यदि कोयले का चूल्हे का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो इस मामले में प्रधानाध्यापक तथा शिक्षक को शॉकोज किया जाएगा और यथोचित कार्रवाई की जाएगी.
– विकेश कुणाल प्रजापति, जिला शिक्षा अधीक्षक, जामताड़ाB
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