Shamli Crime News: उत्तर प्रदेश के शामली जिले के झिंझाना थाना क्षेत्र के गांव बल्हेड़ा से एक रूह कंपा देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर दिया है. जातीय नफरत और हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए गांव के ही चार युवकों ने एक दलित मजदूर को जान से मारने की कोशिश की.
पीड़ित की पहचान जितेंद्र (30) पुत्र जब्बार के रूप में हुई है, जो गांव में मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालता है. आरोप है कि 11 जून की रात करीब 9 बजे गांव के ही सद्दाम और मंगा नाम के युवक उसके घर पहुंचे और उसे किसी बहाने से बाहर बुलाकर ले गए. रास्ते में दो और युवक उनसे आ मिले. चारों मिलकर जितेंद्र को यमुना नदी किनारे एक सुनसान स्थान पर ले गए, जहां उन्होंने उस पर दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं.
डुबो-डुबोकर मारा, जातिसूचक गालियां दीं और अधमरा कर रेत में दबाया
पीड़ित की पत्नी पिंकी ने बताया कि आरोपियों ने जितेंद्र को यमुना नदी में डुबो-डुबोकर बेरहमी से पीटा और उसके साथ जातिसूचक शब्दों से अभद्रता की. उसके बाद उसे अधमरी हालत में रेत में आधा गाड़ दिया और रस्सियों से बांधकर मौत के मुंह में छोड़कर फरार हो गए.
जब रात भर जितेंद्र घर नहीं लौटा तो परिजन चिंतित हो गए. अगले दिन सुबह पुलिस को सूचना दी गई और खुद ग्रामीणों के साथ परिजनों ने तलाश शुरू की. यमुना किनारे रेत में दबे हुए अधमरे जितेंद्र को जीवित हालत में बाहर निकाला गया, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
थाना पुलिस ने किया अनसुना, SP के दखल पर दर्ज हुआ केस
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जब परिजन इस पूरी घटना की तहरीर लेकर झिंझाना थाने पहुंचे, तो पुलिस ने इसे शुरू में सामान्य मारपीट का मामला मानते हुए FIR दर्ज करने से मना कर दिया.
बाद में परिजन घायल को लेकर शामली के एसपी कार्यालय पहुंचे, जहां एसपी रामसेवक गौतम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल झिंझाना पुलिस को निर्देश दिए. तब जाकर 14 जून को पीड़िता की तहरीर पर सद्दाम, मंगा और दो अज्ञात के खिलाफ SC/ST एक्ट और IPC की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया.
गांव में उबाल, गिरफ्तारी की मांग को लेकर थाने पहुंचे ग्रामीण और नेता
इस जघन्य घटना से गांव में गहरा रोष व्याप्त है. भाजपा नेता घनश्याम पारचा, प्रधानपति सुनित, अफसर सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता और ग्रामीण थाने पहुंचे और आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की. ग्रामीणों का कहना है कि अगर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे आंदोलन और धरने पर बैठने को मजबूर होंगे.
क्या कहता है कानून?
पीड़ित दलित समुदाय से है, इसलिए इस मामले में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. साथ ही हिंदुस्तानीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं जैसे:
धारा 307 (हत्या का प्रयास)
धारा 342 (गैरकानूनी हिरासत)
धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना)
धारा 506 (धमकी देना) लागू की गई हैं.
ये सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, पूरे समाज पर हमला है
इस प्रकार की घटनाएं न केवल एक व्यक्ति के खिलाफ हिंसा हैं, बल्कि पूरे दलित समाज की गरिमा और सुरक्षा पर सीधा हमला हैं. ऐसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि आज भी जातीय नफरत और भेदभाव किस हद तक हमारे समाज में जिंदा है.
आक्रोशित लोगों की मांगें
- 1-: आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी
- 2-: पीड़ित को प्रशासनी मुआवजा और सुरक्षा
- 3-: घटना की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच
- 4-: पुलिस कर्मियों पर लापरवाही के लिए विभागीय कार्रवाई
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