– घटना के बाद होता है हंगामा, नर्सिंग होम संचालक पीड़ित को राशि देकर कर लेते हैं मामला रफा दफा कटिहार जिले में अवैध नर्सिंग होम के साथ कई ऐसे नर्सिंग होम भी संचालित हो रहे हैं. जहां पर मरीज को जिंदगी नहीं बल्कि मौत बांटी जा रही है. विभाग के दस्तावेजों में अपने आप को हर संसाधन और हर इमरजेंसी सेवा को लेकर पुख्ता तैयारी की रिपोर्ट विभाग में सबमिट किए गए हैं. लेकिन वास्तविकता और जमीनी स्तर पर कई नर्सिंग होम में इस तरह की व्यवस्था पूरी तरह से नदारत होती है. हालांकि विगत महीना में विभाग की जांच में जिला में चल रहे कई ऐसे नर्सिंग होम पर कार्रवाई करते हुए सील भी किया गया है. जो मानक के अवरुद्ध और बिना लाइसेंस के ही संचालित हो रहे थे. लेकिन जिले में अभी भी अनगिनत नर्सिंग होम है. जहां पर प्रशासन की जांच अभी बाकी है. जिले में अभी भी अवैध रूप से कई नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं. यहां तक की शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में कई ऐसे नर्सिंग होम भी संचालित हो रहे हैं. जहां पर विभाग को सभी कागजात तो सही रूप से सबमिट किया गया है. लेकिन असल में नर्सिंग होम में जिन डॉक्टर और जिन पारा मेडिकल स्टाफ की लिस्ट दी गई है. वह नर्सिंग होम में कार्य ही नहीं करते हैं. ऐसे में बिना अनुभवी चिकित्सक और बिना स्पेशलिस्ट पारामेडिकल स्टाफ के बगैर कई नर्सिंग होम का संचालन हो रहा है. ऐसे में इस तरह के नर्सिंग होम में मरीजों को जिंदगी नहीं बल्कि मौत बाटी जा रही है. विगत एक महीने में सिर्फ शहरी क्षेत्र में चार मरीजों की जान नर्सिंग होम में लापरवाही के कारण हुई है. हालांकि इस मामले में नर्सिंग होम संचालनकर्ता के ऊपर कोई लिखित मामला दर्ज नहीं करने के कारण यह मामला दफा दफा हो गया है. शहर के पावर हाउस रोड एक निजी नर्सिंग होम, राम पाड़ा के निकट एक निजी नर्सिंग होम तथा बिनोदपुर स्थित एक नर्सिंग होम में मरीज की मौत के बाद इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए मरीज ने नर्सिंग होम में जमकर हंगामा तो किया. लेकिन लिखित मामला दर्ज नहीं करने के कारण नर्सिंग होम के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बहरहाल पूरे जिले में इस तरह के मामले हैं. पहले इलाज फिर मौत फिर पैसे देकर मामला को कर दिया जाता है रफा-दफा जीवन रक्षक के रूप में संचालित नर्सिंग होम कई लोगों के लिए यह कार्य गोरखधंधा से बन गया है. नर्सिंग होम में मरीज को पहुंचाने में कमीशन तक फिक्स है. यहां तक की इन दिनों कई संचालित नर्सिंग होम में पहले इलाज उनके बाद मरीज की मौत फिर परिजन को पैसे देकर मामले को रफा दफा करने का मामला प्रकाश में आया है. सप्ताह भर पूर्व शहर के पावर हाउस रोड स्थित एक नर्सिंग होम में स्त्री मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा तो किया. लेकिन उन्हें फिर पैसे देकर मामला को रफा दफा कर दिया गया. जबकि शहर के रामपाड़ा चौक स्थित नर्सिंग होम में हाल ही में एक 52 वर्ष पुरुष मरीज की मौत के बाद वहां पर भी जमकर हंगामा हुआ. अंत में परिजनों को पैसे देकर मामला को रखा दफा कर दिया गया. मरीज की मौत के बाद पूरे इस प्रकरण में आखिर में परिजनों को एक मोटी रकम देकर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है. ऐसे में ना तो विभाग कुछ कर पाता है और ना ही कोई पुलिस कार्रवाई हो पाती है. ऐसे में बड़े ही आराम से ऐसे नर्सिंग होम बिना किसी डर के अपने काम को अंजाम देते रहते है. कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र नाथ सिंह ने कहा कि जिले में अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड, पैथोलॉजी लैब पर कार्रवाई की गई है. कई नर्सिंग होम को शील भी किया गया है. परिजनों के आवेदन पर उसकी जांच कर कार्रवाई जरूर होती है. बशर्ते लिखित मामला दर्ज कराया जाय.
डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
The post शहर में बगैर मानक के संचालित हो रहे नर्सिंग होम, मरीजों की मौत से उठ रहे सवाल appeared first on Naya Vichar.