Congress: चीन के साथ सीमा विवाद का मुद्दा काफी पुराना है. हाल में हुए शंघाई कॉरपोरेशन की बैठक में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हल करने पर सहमति बनी. लेकिन आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर चीन हमेशा हिंदुस्तानीय हितों के खिलाफ काम करता रहा है. ऑपरेशन सिंदूर में भी चीन ने पाकिस्तान की मदद की. ऐसे में दोनों देशों के बीच विश्वास का संकट बना हुआ है. इस बीच कांग्रेस ने केंद्र प्रशासन से मांग की है कि संसद के मॉनसून सत्र में हिंदुस्तान-चीन संबंध पर चर्चा की अनुमति मिलनी चाहिए. इस चर्चा का मकसद दोनों देशों के बीच बढ़ती भू-नेतृत्वक और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए देश में आम सहमति बन सके. कांग्रेस की मांग है कि प्रशासन मानसून सत्र में इस विषय पर चर्चा कराने की मांग को स्वीकार करें. क्योंकि चीन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान के जरिये हिंदुस्तान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में लगा हुआ है.
शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हिंदुस्तानीय सेना के उप प्रमुख राहुल सिंह ने पहली बार स्पष्ट किया कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन पाकिस्तानी वायु सेना की मदद कर रहा था. इस दौरान चीन अपने हथियारों की क्षमता की निगरानी भी कर रहा था. इस बयान से साफ जाहिर होता है कि हिंदुस्तान के खिलाफ चीन किसी भी स्तर पर पाकिस्तान को मदद देने के लिए तैयार है. चीन ने पांच साल पहले लद्दाख में वर्षों से चली आ रही यथास्थिति को भी बदलने की कोशिश की थी.
चीन से निपटने के लिए आम सहमति बनाना जरूरी
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि लद्दाख विवाद को लेकर प्रधानमंत्री ने चीन को क्लीन चिट दे दी. केंद्र की चीन को लेकर मौजूदा नीति देश हित में नहीं है. हाल में चीन ने हिंदुस्तान को घेरने के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ एक अहम बैठक की. चीन पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश के जरिये हिंदुस्तान को घेरने की रणनीति बनाने में जुट गया है. चीन के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. इससे देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. कांग्रेस पार्टी पिछले पांच साल से चीन के साथ विवाद के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रही है. अब उप सेना प्रमुख के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन को पाकिस्तान को मदद देने की बात सामने आने पर पार्टी मानसून सत्र में चर्चा चाहती है. इसके लिए कांग्रेस की ओर से सत्र में चर्चा कराने के लिए हर स्तर से प्रयास किया जायेगा.
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में हिंदुस्तान और चीन के बीच सीमा विवाद के कारण रिश्ते अच्छे नहीं हैं. हालांकि सीमा विवाद को हल करने के लिए कई स्तर पर बातचीत हुई और इसके समाधान के लिए सहमति बनी है. लेकिन चीन आर्थिक मोर्चे पर भी हिंदुस्तान को कमजोर करने की कोशिश में जुटा है. चीन की कोशिश हिंदुस्तान को मैन्युफैक्चरिंग हब बनने से रोकना है. कई विदेशी कंपनियों ने चीन की बजाय हिंदुस्तान में उत्पादन का काम शुरू किया है.
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