Chanakya Niti: हमारी मुलाकात रोज ऐसे लोगों से होती हैं जिनकी हरकतें हमारे मन को खटकने लगती हैं. ये लोग न दूसरों की बात समझते हैं, न अपने शब्दों पर काबू रख पाते है या फिर कभी-कभी तो इनकी चुप्पी हमें हैरान कर देती है. दिखने में तो ये नॉर्मल इंसान की तरह ही होते है पर असल में क्या होते है इससे समझना थोड़ा मुश्किल जान पड़ता है.
आचार्य चाणक्य ने ऐसे ही लोगों के लिए एक श्लोक लिखा है, जिसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसे दो पैरों वाले पशु से जितनी जल्दी हो सके दूर रहना चाहिए. जानें चाणक्य ने किं लोगों को पशु की केटेगरी में रखा है.
चाणक्य नीति श्लोक हिन्दी में अर्थ सहित:
मूर्खस्तु परिहर्तव्यः प्रत्यक्षो द्विपदः पशुः।
भिनत्ति वाक्यशूलेन अदृश्यं कण्टकं यथा॥
अर्थ:
मूर्ख व्यक्ति को त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह दो पैरों वाला पशु है. जिस प्रकार कोई अदृश्य कांटा हमें दिखता नहीं पर गहरा दर्द देता है, वैसे ही मूर्ख व्यक्ति अपने कटु और अज्ञान भरे शब्दों से मन को घायल कर देता है.
Chanakya Niti: ऐसे लोग दिखते हैं सभ्य, पर शब्दों से करते हैं वार – चाणक्य ने कहा त्यागो इन्हें

चाणक्य का यह श्लोक सिर्फ मूर्खों की आलोचना नहीं है, बल्कि एक गहरा सबक है.
वे कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति न सोचता है, न समझता है. उसकी बातें उतनी ही चुभती हैं जितना कोई अदृश्य कांटा और चुप्पी जैसे कोई गहरी साजिश चल रही हो दिमाग में. ऐसे व्यक्ति को अपने साथ रखना आत्मसम्मान और शांति दोनों के लिए खतरा है. मूर्ख व्यक्ति अपनी बातों से दूसरों को नीचा दिखाने में गर्व महसूस करता है, पर खुद को सुधारने का प्रयास नहीं करता.
दो पैरों वाले पशु से दूरी क्यों जरूरी है?
- पहला कारण तो यह है कि मूर्ख व्यक्ति हर परिस्थिति में गलत निर्णय लेते हैं और दूसरों को भी गलत राह पर ले जाते हैं.
- इस तरह के लोगों के साथ रहने से व्यक्ति की खुद की छवि बिगड़ती है और बहुत हद तक अच्छे लोग एसे लोगों का साथ पसंद नहीं करते जिसे मूर्खों का साथ पसंद हो
- व्यक्ति की जुबान ऐसा हथियार है जो बिना दिखे वार करती है और उसकी चुप्पी किसी खतरें की आहट देती है.
- उनसे दूर रहना आत्म-सुरक्षा का पहला कदम है.
चाणक्य हमें सिखाते हैं कि हर कोई मनुष्य नहीं होता. कुछ लोग केवल शरीर से मनुष्य हैं, पर कर्म और विचारों से पशु. ऐसे दो पैरों वाले पशु से जितनी दूरी रखी जाए, उतना ही जीवन शांत, सम्मानित और सुरक्षित रहता है.
चाणक्य के अनुसार जीवन कैसे जीना चाहिए?
चाणक्य के अनुसार जीवन में संयम, विवेक, और आत्मनियंत्रण जरूरी है. व्यक्ति को अपने कर्मों से अपनी पहचान बनानी चाहिए, न कि दूसरों की प्रशंसा या आलोचना से प्रभावित होना चाहिए। सत्य, धैर्य और परिश्रम जीवन के तीन प्रमुख स्तंभ हैं.
चाणक्य नीति के 4 उपाय कौन से हैं?
चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी समस्या को सुलझाने के चार उपाय बताए गए हैं – साम (बातचीत से), दाम (लोभ से), दंड (सजा से) और भेद (गोपनीयता या नीति से). इन चारों उपायों का सही समय पर उपयोग करने वाला व्यक्ति कभी पराजित नहीं होता.
चाणक्य नीति के अनुसार दुश्मन को कैसे परास्त करना चाहिए?
चाणक्य के अनुसार, दुश्मन को हराने के लिए पहले उसे समझना जरूरी है। उसकी कमजोरियों को पहचानो, और शांत रहकर सही समय का इंतजार करो। वे कहते हैं – “दुश्मन कमजोर दिखे तब भी उसे हल्के में मत लो, और जब मजबूत दिखे तब जल्दबाज़ी मत करो.” बुद्धिमानी और धैर्य ही असली हथियार हैं.
चाणक्य के 7 नियम क्या हैं?
चाणक्य ने जीवन के लिए 7 प्रमुख नियम बताए हैं –
सत्य बोलो लेकिन कटु नहीं.
समय और अवसर की पहचान करो.
अपने रहस्य किसी से साझा मत करो.
अपने लक्ष्य तक पहुँचने से पहले किसी को अपनी योजना न बताओ.
शत्रु को कभी पूरी तरह कमजोर मत समझो.
क्रोध और लोभ को हमेशा नियंत्रण में रखो.
मूर्ख और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाए रखो.
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