व्यापारियों ने आरोप लगाया है कि एक अक्टूबर 2025 से लागू नयी व्यवस्था ने कोयला व्यापार, परिवहन और मजदूरों की आजीविका पर गहरा संकट खड़ा कर दिया है. पत्र में कहा गया है कि नयी नीति के तहत थर्ड पार्टी सैंपलिंग, इंडेम्निटी बॉन्ड और अतिरिक्त बैंक गारंटी जैसे प्रावधान शामिल किये गये हैं, इससे व्यापारियों पर पूंजीगत भार बढ़ गया है. सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि इन नियमों को पूर्ववर्ती प्रभाव से लागू किया जा रहा है, जो न केवल अनुचित बल्कि अव्यावहारिक भी है. व्यापारियों ने बताया कि शनिवार, 11 अक्टूबर को कोलकाता में सीआईएल निदेशक (विपणन) के साथ बैठक के बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकला. उनका कहना है कि नई व्यवस्था से स्पॉट नीलामी चक्र प्रभावित हुआ है और कोयला डिस्पैच में अव्यवस्था फैल गयी है. थर्ड पार्टी सैंपलिंग की प्रक्रिया से विवाद और वित्तीय नुकसान की संभावना बढ़ी है. पत्र में कहा गया है कि इंडेम्निटी बॉन्ड का प्रावधान कानूनी रूप से अमान्य है और इससे बीसीसीएल व सीसीएल क्षेत्रों में हजारों मजदूरों, लोडरों और परिवहन कर्मियों की आजीविका खतरे में है. साथ ही, नई नीति से हिंदुस्तानीय अनुबंध अधिनियम और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है, जिससे कोल इंडिया की एकाधिकार स्थिति और मजबूत होगी. व्यापारियों ने मांग की है कि नई ई-नीलामी नीति को तत्काल वापस लिया जाए, पुराने नीलामियों पर इसका प्रभाव न डाला जाए और भ्रष्टाचार की जांच के साथ मजदूरों की आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये.
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