UP News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता के क्षेत्र में देशभर में एक नई मिसाल कायम की है. हिंदुस्तान के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नवीनतम रिपोर्ट (2022-23) में उत्तर प्रदेश को पूंजीगत व्यय और निवेश के मामले में देश का अग्रणी राज्य बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में प्रदेश ने ₹1,03,237 करोड़ का पूंजीगत व्यय किया— जो देश के सभी 28 राज्यों में सर्वाधिक है। यह राज्य की शुद्ध लोक ऋण प्राप्तियों का 210.68% है, यानी प्रशासन ने जितना ऋण लिया, उससे अधिक राशि विकास और पूंजी निर्माण में लगाई.
योगी प्रशासन की नीति से मजबूत हुई वित्तीय सेहत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में राज्य ने न केवल राजस्व व्यय पर नियंत्रण रखा है, बल्कि निवेश और पूंजीगत खर्च में नया इतिहास रचा है. वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और विकासमुखी दृष्टिकोण ने उत्तर प्रदेश को देश का “फाइनेंशियल रोल मॉडल स्टेट” बना दिया है. सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की राजस्व प्राप्तियां उसके राजस्व व्यय से अधिक रही हैं, जिससे यूपी राजस्व बचत की स्थिति में है. यह स्थिति बताती है कि प्रशासन अपनी आय से अधिक खर्च नहीं कर रही और संसाधनों का उपयोग संतुलित ढंग से कर रही है.
निवेश पर खर्च में आगे यूपी, कई औद्योगिक राज्यों को पीछे छोड़ा
उत्तर प्रदेश ने अपने कुल व्यय का 9.39% निवेश पर खर्च किया — जो महाराष्ट्र (3.81%), गुजरात (3.64%) और बिहार (1.65%) जैसे औद्योगिक राज्यों से कहीं अधिक है. इसके साथ ही, 2013-14 से 2022-23 के बीच केंद्र से प्राप्त करों में भी उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक हिस्सा मिला है, जो राज्य की बढ़ती आर्थिक सक्रियता को दर्शाता है.
वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान पर नियंत्रण से बढ़ी दक्षता
राज्य ने वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान जैसी अनिवार्य मदों पर भी अनुशासन बनाए रखा है. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार — कुल राजस्व व्यय का 42.57% इन मदों पर खर्च हुआ, जो हरियाणा (55.27%) और तमिलनाडु (50.97%) से कम है. वेतन पर कुल व्यय का 12.43%, पेंशन पर 12.15%, और ब्याज भुगतान पर 8.90% खर्च किया गया. वहीं सब्सिडी पर व्यय मात्र 4.40% रहा, जबकि पंजाब ने अपने कुल व्यय का 17% सब्सिडी पर खर्च किया. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश अपने राजस्व को जनकल्याणकारी और विकासपरक योजनाओं पर केंद्रित कर रहा है.
इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों पर संतुलित व्यय
राज्य ने वृहद निर्माण कार्यों पर कुल व्यय का 11.89% खर्च किया, जो इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के प्रति प्रशासन की प्राथमिकता को दर्शाता है. सहायता अनुदान (सामान्य एवं वेतन) पर 22.85%, जबकि सहायता अनुदान (पूंजी सृजन) पर 2.27% व्यय किया गया — जो वित्तीय संतुलन और जवाबदेही दोनों को दर्शाता है.
एफआरबीएम मानकों पर खरा उतरा यूपी
वित्तीय वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने एफआरबीएम एक्ट (Fiscal Responsibility and Budget Management) के सभी मानकों का पालन किया. राज्य की कुल देयता जीएसडीपी का 29.32% रही और कुल प्रत्याभूतियां मात्र 7.56%. ये आंकड़े प्रदेश की वित्तीय स्थिरता और जिम्मेदार आर्थिक प्रबंधन का प्रमाण हैं.
‘विकास के साथ अनुशासन’, योगी प्रशासन की वित्तीय नीति का सूत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वित्तीय नीति का मूल मंत्र “विकास के साथ अनुशासन” है. इसी सोच के तहत यूपी ने न केवल राजस्व व्यय को नियंत्रित रखा, बल्कि पूंजीगत व्यय के जरिए रोजगार, निवेश और बुनियादी ढांचे को सशक्त किया. सीएजी रिपोर्ट से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश अब वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक विकास दोनों का संतुलन साधने वाला मॉडल राज्य बन चुका है.
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