Dhanteras 2025: आज (18 अक्टूबर) धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दिवाली के महापर्व का शुभारंभ हो चुका है. यह दिन हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व रखता है. इस दिन कई लोग नए कारोबार की शुरुआत करते हैं, तो कई लोग सोना-चांदी, बर्तन, झाड़ू और अन्य घरेलू सामान खरीदकर इस पर्व को मनाते हैं. मान्यता है कि आज के दिन की गई खरीदारी और पूजा-पाठ धन-समृद्धि बढ़ाने और पूजा के फल को 13 गुणा बढ़ा देती है. ऐसे में लोगों को आज के दिन घर में विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए. पूजा की अन्य सामग्रियों में से एक है आम की लकड़ी. कहा जाता है कि आम की लकड़ी के बिना कोई भी पूजा अधूरी होती है. लोग पूजा के समय अवश्य ही आम के पत्तों और लकड़ी को अन्य सामग्रियों के साथ शामिल करते हैं.
पूजा में आम के पत्ते और लकड़ी इस्तेमाल करने का धार्मिक महत्व क्या है?
सकारात्मक ऊर्जा: हिंदू धर्म में आम के पेड़ को बेहद पवित्र माना गया है. आम के पेड़ से जुड़ी एक धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु को आम के पेड़ की छाया में विश्राम करना बेहद पसंद है. इसलिए यदि पूजा के समय श्रद्धालु आम के पत्तों से बनी माला (तोरण) को घर के मुख्य द्वार पर लगाते हैं, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है.
भगवान हनुमान की कृपा: आम से जुड़ी एक अन्य धार्मिक मान्यता है कि आम का पेड़ भगवान हनुमान को बेहद प्रिय है. इसलिए यदि किसी भी पूजा या शुभ कार्य के समय आम के पत्ते या लकड़ी का उपयोग किया जाए, तो भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है.
वातावरण शुद्ध और पवित्र: हिंदू पर्वों में खासकर हवन के लिए आम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. कहा जाता है कि इससे वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है, वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है, और मन को शांति मिलती है.
पूजा में आम के पत्ते और लकड़ी इस्तेमाल करने का वैज्ञानिक महत्व क्या है?
एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण: यदि धार्मिक दृष्टि से हटकर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए, तो पता चलता है कि आम के पत्तों और लकड़ी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं, जो वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं और अशुद्धियों को कम करते हैं.
वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया का नाश: आम की लकड़ियों को जलाने पर फॉर्मिक एल्डिहाइड गैस निकलती है, जो वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करती है.साथ ही, अन्य लकड़ियों को जलाने पर निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की तुलना में आम की लकड़ी जलाने पर कम CO₂ निकलता है.
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