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बेकार हो गयी लाखों की लागत से निर्मित नीर निर्मल परियोजना

रामगढ़. प्रखंड की कांजो पंचायत अंतर्गत चितबेसरा गांव के लगभग 300 घरों और 1500 ग्रामीण पेयजल संकट का सामना कर रहे हैं. चितबेसरा पांच टोले ऊपर टोला, मांझ टोला, मोहनी टोला, जालवे टोला और प्रधान टोला में बंटा है. प्रशासन ने वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में चितबेसरा को नीर निर्मल परियोजना के लिए चयनित किया. इसके तहत लगभग 74.46 लाख रुपये की लागत से 20,000 लीटर क्षमता वाली सीमेंटेड पानी की टंकी का निर्माण किया गया. सभी घरों में नल कनेक्शन दिये गये. परियोजना की प्रारंभिक अवधि में कुछ घरों तक जल आपूर्ति हुई, लेकिन अधिकांश घरों में पानी नहीं पहुंचा. इसके बाद जल जीवन मिशन के तहत सरैयाहाट बहु-ग्रामीण पेयजल परियोजना पूरी की गयी. इस परियोजना में पाइपलाइन बिछाने के दौरान चितबेसरा में पुराने पाइप क्षतिग्रस्त कर दिये गये, जिससे नीर निर्मल परियोजना से पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गयी. पिछले लगभग एक वर्ष से गांव में टंकी खाली है. सौर ऊर्जा चालित मोटर भी बेकार हो चुका है. गांव में संचालन के लिए बनायी गयी समिति भी अब निष्क्रिय है. ग्रामीण कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. पहले नियुक्त कम्युनिटी ऑर्गेनाइजर्स ने वेतन न मिलने के कारण अपना कार्य छोड़ दिया. गांव के लोग अब नीर निर्मल परियोजना के फिर से क्रियाशील होने की उम्मीद खो चुके हैं. विभाग की उदासीनता और परियोजना के संचालन में लापरवाही के कारण लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद चितबेसरा के ग्रामीण आज भी पीने के पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. क्या कहते हैं ग्रामीण चितबेसरा की नीर निर्मल परियोजना के निर्माण कार्य में प्रारंभ से ही गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया. इस कारण परियोजना कभी भी पूरी तरह से प्रारंभ नहीं हो पायी. लोगों को साफ पानी नहीं मिल रहा है. मेनका देवी. यदि गांव में बिछायी गयी पाइप लाइनों की मरम्मत कर दी जाए तथा परियोजना में लगाए गये खराब हो चुके मोटर को बदलकर नया मोटर लगा दिया जाए तो परियोजना अभी भी क्रियाशील हो सकती है. भीम कुंवर गंगाजल की आपूर्ति के लिए गांव में बिछायी जा रही पाइपलाइन का काम कर रहे लोगों के लापरवाही से नीर निर्मल परियोजना का पाइपलाइन क्षतिग्रस्त हो गयी. काम करने वालों ने मरम्मत का आश्वासन दिया था मुन्ना यादव चितबेसरा के नीर निर्मल परियोजना के बंद हो जाने की सूचना पीएचइडी के अधिकारियों को कई बार दिए जाने के बाद भी इसे फिर से चालू करने की पहल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. जल्द पहल हो. शिव शंकर कुंवर

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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