आसनसोल. देश को ऊर्जावान बनाने के लिए कोयला खदानों में काम करते हुए मारे गये 20 हजार से अधिक खनिकों के आश्रितों की हालत काफी दयनीय है. इनके आश्रितों को न्यूनतम 49 रुपये तक पेंशन मिलता है. जबकि राज्य व केंद्र प्रशासन वृद्धा, विधवा, विकलांग आदि भत्तों में न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन देती है. इस मुद्दे को लेकर कोल एम्प्लॉइज फोरम लंबे समय से आंदोलन कर रहा है. फोरम के अध्यक्ष विमान मित्रा ने बताया कि कोल माइन्स प्रोविडेंट फंड की ओर से 12 मार्च 2024 को गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर एक हजार रुपये न्यूनतम पेंशन देने की बात कही गयी थी. जिसके दायरे में कोल इंडिया और सिंगरौली कोल कंपनी लिमिटेड के एक लाख से अधिक श्रमिक या उसके आश्रित थे. जिन्हें 49 रुपये से 900 रुपये तक पेंशन मिलता था. इसमें से 20 हजार खनिकों के आश्रितों को 320 रुपये से कम का पेंशन मिल रहा है. सीएमपीएफओ ने इसे एक हजार पेंशन के दायरे में शामिल नहीं किया है. जिसे लेकर केंद्रीय कोयला मंत्री के निर्देश पर कोयला मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी कुणाल प्रसाद के साथ बैठक हुई. उन्होंने आश्वासन दिया है कि दो माह के अंदर इस मुद्दे पर सकारात्मक परिणाम आ जायेगा. गौरतलब है कि कोल इंडिया और सिंगरौली कोल कंपनी लिमिटेड के पूर्व श्रमिक व उनके आश्रितों के पेंशन के मुद्दे को लेकर कोल एम्प्लॉइज फोरम हर मोर्चे पर लड़ रहा रहा है. जिसमें सबसे बड़ी समस्या 20 हजार से अधिक ऐसे श्रमिकों के आश्रितों की है, जिन्हें 320 रुपये हर माह पेंशन मिलता है. यह एक दिहाड़ी श्रमिक के एक दिन के हाजिरी से भी कम है. फोरम के अध्यक्ष श्री मित्रा ने बताया कि यह सारे श्रमिक नौकरी करते हुए मारे गये. इनके आश्रितों को अधिकतम 320 रुपये पेंशन मिलता है. सीएमपीओ ने एक हजार रुपये पेंशन लागू करने का गैजेट नोटिफिकेशन निकाला, लेकिन डेढ़ साल बाद भी इन्हें एक हजार का पेंशन नहीं मिला. विभिन्न स्तर पर हुई बैठकों के बाद स्थिति साफ हुई कि ये 20 हजार से अधिक श्रमिक कोल माइन्स फिमिली पेंशन स्कीम 1971 के दायरे में हैं. जिनका पेंशन समय-समय पर बढ़ने की बात थी, जो आज तक कभी बढ़ी ही नहीं. यह भी सीएमपीएफओ के दायरे में है, लेकिन इसे एक हजार के पेंशन के दायरे से वंचित रखा गया है. जिसे लेकर ही मंत्रालय से लेकर विभिन्न कार्यालयों तक बात की जा रही है. कोयला मंत्री ने भी समस्या का जल्द समाधान करने का आश्वासन दिया है.
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