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AI चिप से लौटी रोशनी: आंखों में लगाया गया स्मार्ट इम्प्लांट, बनाएगा नेत्रहीनों को पढ़ने के काबिल

AI Eye Implant: दुनिया में पहली बार, ऐसी एआई-संचालित आंख की चिप तैयार की गई है जिसने उन लोगों की जिंदगी बदल दी है जो पूरी तरह दृष्टिहीन हो चुके थे. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) की अगुवाई में हुए क्लिनिकल ट्रायल में PRIMA नामक AI-पावर्ड रेटिनल इम्प्लांट ने चौंकाने वाले नतीजे दिये हैं. इस ट्रायल में शामिल 38 मरीजों में से 84 प्रतिशत लोगों ने फिर से अक्षर, नंबर और शब्द पहचानना शुरू कर दिया.

कैसे काम करती है यह स्मार्ट आई?

PRIMA सिस्टम तीन हिस्सों से मिलकर बना है- एक बेहद छोटी 2×2 मिमी की चिप, जो रेटिना के नीचे लगायी जाती है. एआर (Augmented Reality) ग्लासेज, जिनमें कैमरा लगा होता है. AI प्रोसेसर बेल्ट यूनिट, जो वीडियो को प्रोसेस कर दिमाग तक सिग्नल भेजता है. जब कोई चीज सामने होती है, तो ग्लासेज कैमरे से उसकी लाइव वीडियो रिकॉर्ड करते हैं. यह वीडियो इंफ्रारेड लाइट के जरिए आंख में लगी चिप तक पहुंचती है. चिप उस सिग्नल को इलेक्ट्रिकल पल्स में बदलकर ऑप्टिक नर्व के जरिये ब्रेन तक भेज देती है. फिर दिमाग उस सिग्नल को देखने के रूप में पहचानता है.

मरीजों के अनुभव

ट्रायल में शामिल ब्रिटेन की 70 वर्षीय मरीज शीला इरविन ने कहा, इम्प्लांट से पहले मेरी आंखों के बीच दो काले घेरे जैसे थे. अब मैं फिर से पढ़ पा रही हूं. यह मेरे लिए किसी जादू से कम नहीं. यह ट्रायल यूके, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड और जर्मनी के 17 अस्पतालों में हुआ. सभी मरीजों ने बताया कि उनकी बची हुई साइड विजन (परिधीय दृष्टि) में कोई कमी नहीं आई, जो इस सिस्टम की सबसे बड़ी सफलता है.

क्यों है यह इतना बड़ा ब्रेकथ्रू?

यह तकनीक खासतौर पर उन मरीजों के लिए वरदान है जिन्हें Dry Age-Related Macular Degeneration (AMD) या Geographic Atrophy है. यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें आंख का सेंटर हिस्सा हमेशा के लिए कमजोर हो जाता है. दुनिया भर में 50 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और अब तक इसका कोई पक्का इलाज नहीं था. PRIMA ने पहली बार यह दिखाया कि भले ही आंशिक रूप से, लेकिन दृष्टिहीन मरीज फिर से पढ़ सकते हैं. सर्जरी भी केवल दो घंटे से कम में हो जाती है और कोई भी प्रशिक्षित नेत्र सर्जन इसे कर सकता है.

कुछ सीमाएं अब भी हैं

हालांकि यह तकनीक अद्भुत है, लेकिन अभी मरीज केवल काले-सफेद और कम रेजॉल्यूशन वाली विजन देख पा रहे हैं. साथ ही, दिमाग को ट्रेन करने में कई महीने लगते हैं ताकि नयी विजन को समझ सके. वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल 20/20 विजन यानी पूरी सामान्य दृष्टि लौटाना संभव नहीं है, लेकिन तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है.

आगे का रास्ता क्या होगा?

अब शोधकर्ता इस तकनीक को और बेहतर बनाने में जुटे हैं. भविष्य में इसमें रंग पहचान, चेहरे की पहचान और कॉन्ट्रास्ट सुधारने जैसे फीचर्स एआई के जरिये जोड़े जाएंगे. यह सिर्फ आंखों तक सीमित नहीं रहेगा- न्यूरल प्रोस्थेटिक्स यानी दिमाग से जुड़े अन्य कृत्रिम अंगों में भी एआई चिप्स का उपयोग बढ़ेगा.

इंसानों की जिंदगी को नयी रोशनी

PRIMA इम्प्लांट ने यह साबित कर दिया है कि एआई केवल मशीनों को नहीं, बल्कि इंसानों की जिंदगी को भी नयी रोशनी दे सकता है. जहां पहले उम्मीद खत्म हो गई थी, वहीं अब यह तकनीक अंधेपन के अंधेरे में एक नयी किरण बनकर उभरी है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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