AIMIM in Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे फ्रन्ट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अब महागठबंध के साथ चुनाव लड़ने की कोशिश में जुटी हुई है. पूर्णिया जिले के अमौर विधानसभा के विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने लालू प्रसाद यादव को पत्र लिखकर महागठबंध के साथ चुनाव लड़ने की पेशकश की है.
AIMIM ने पत्र में क्या लिखा ?
अख्तरुल ईमान ने अपने लेटर पैड पर लालू यादव को पत्र में लिखा कि पार्टी का पहले ही दिन से यह प्रयास रहा है कि चुनाव के समय Secular वोटों का विखराव न हो. ऐसा नहीं है कि चुनाव के समय Secular वोटों (वोटरों) के विखराव का कारण ही साम्प्रदायिक शक्तियों की नेतृत्व को अवसर मिलता है. विगत विधान सभा चुनाव में हमारी पार्टी विगत लोक सभा चुनाव एवं महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा प्रकट की थी, किन्तु हमारा प्रयास सफल न हो सका. आगामी 2025 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पुनः हमारी कोशिश है कि AIMIM पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाए.
किसे फायदा और किसे होगा नुकसान ?
अगर बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) महागठबंधन (INDIA गठबंधन या RJD-कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन) में शामिल होती है, तो इसका नेतृत्वक असर कई स्तरों पर हो सकता है. पहले बात करते हैं
AIMIM के महागठबंधन में शामिल होने से महागठबंध को क्या फायदा होगा ?
मुस्लिम वोटों का बिखराव पर बात की जाए तो AIMIM अकेले लड़ने पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता है, जिससे बीजेपी या NDA को अप्रत्यक्ष फायदा मिलता है. साथ लड़ने से यह बिखराव रुकेगा. सीमांचल में मजबूती मिलेगी. AIMIM का सीमांचल (कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, अररिया) में अच्छा जनाधार है. इससे महागठबंधन को इस क्षेत्र में स्पष्ट बढ़त मिल सकती है और सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि नरेंद्र मोदी विरोधी वोटों का एकीकरण. AIMIM को गठबंधन में लाकर RJD-कांग्रेस विपक्षी वोटों को बेहतर तरीके से एकजुट कर पाएंगे.
AIMIM को क्या फायदा होगा ?
AIMIM को नेतृत्वक वैधता और मुख्यधारा में शामिल होने का मौका मिलेगा. गठबंधन में शामिल होने से AIMIM को ‘Vote Cutter’ वाली छवि से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है. AIMIM को अकेले लड़ने पर जितनी सीटें जीतना मुश्किल होता है, लेकिन गठबंधन में समझौते के तहत सीमांचल की कुछ सीटें मिल सकती हैं.
AIMIM के महागठबंध में शामिल होने से किसे होगा नुकसान
AIMIM के महागठबंध में शामिल होने से जितना नुकसान एनडीए (BJP-JD(U)-HAM) को होने वाला है उसके बराबरी का नुकसान महागठबंधन के अंदर की पार्टियां (RJD-कांग्रेस) को भी हो सकता है क्योंकि सीट शेयरिंग टकराव हो सकती है और AIMIM की सीमांचल में मांग बढ़ेगी. इससे RJD या कांग्रेस को अपने दावों में कटौती करनी पड़ सकती है. महागठबंध के नजरिए से देखा जाए तो छवि पर भी इसका असर पड़ेगा. AIMIM पर “कट्टरपंथी” नेतृत्व करने का आरोप लगता रहा है. इससे गठबंधन को उदार या सेक्युलर छवि बनाए रखने में परेशानी हो सकती है.
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NDA को क्या नुकसान हो सकता है ?
AIMIM के महागठबंध में शामिल होने से जितना नुकसान एनडीए (BJP-JD(U)-HAM) को होने से मुस्लिम वोटों में सेंध नहीं लगा पाएगी क्योंकि AIMIM के अलग चुनाव लड़ने से बीजेपी को सीधे लाभ मिलता था, लेकिन गठबंधन में रहने से यह रणनीति फेल हो सकती है. सीमांचल की वे सीटें, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं, वहां एनडीए को पीछे हटना पड़ सकता है.
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