Amit Shah: क्षेत्रीय असमानता दूर करने के लिए केंद्र प्रशासन लगातार प्रयास कर रही है. इस कड़ी में मंगलवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह वाराणसी में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे. बैठक में इस परिषद के सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री के अलावा राज्य के दो वरिष्ठ मंत्री, राज्य के मुख्य सचिव के अलावा केंद्र और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे. मध्य क्षेत्रीय परिषद में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 15 से 22 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गयी है. केंद्रीय गृह मंत्री सभी पांचों क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं और सदस्य राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, प्रशासक इसके सदस्य हैं. नियम के तहत सदस्य राज्यों से एक राज्य के मुख्यमंत्री को हर साल बारी-बारी से उपाध्यक्ष बनाया जाता है. सदस्य राज्यों की ओर से राज्यपाल द्वारा 2 मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है. सभी क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है. यह समिति राज्य से संबंधित मुद्दे को स्थायी समिति के समक्ष चर्चा के लिए पेश करती है और फिर इसे क्षेत्रीय परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.
राज्यों के विकास को प्राथमिकता देना है मकसद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद पर विशेष फोकस कर रहे हैं. उनका मानना है कि मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं. क्षेत्रीय परिषद में राज्यों की भावना से जुड़े मुद्दों पर संवाद और चर्चा होती है. यह आपसी सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है. वैसे तो क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकारी है, लेकिन पिछले कुछ साल में परिषद विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ बंधन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है. सभी राज्य प्रशासनों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से पिछले 11 साल में विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों और स्थायी समिति की कुल 61 बैठकें आयोजित हो चुकी है.
क्षेत्रीय परिषद राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर भी व्यापक चर्चा करती है. जिसके तहत स्त्रीओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का गठन, सभी गांव के तय दायरे में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधा, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का क्रियान्वयन, पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, शहरी प्लानिंग और सहकारिता व्यवस्था को मजबूत करने सहित अन्य जनहित के मुद्दे शामिल हैं.
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