Bihar Election 2025 : कंचन कुमार, बिहारशरीफ. बिहार की नेतृत्व का असली आईना अगर कहीं दिखता है, तो वह है नालंदा जिला. यहां सत्ता के गलियारों में कुछ ऐसे नाम हैं, जो दशकों से जनता के भरोसे पर कायम हैं, जबकि कुछ सीटों ने बार-बार दल और चेहरे बदलकर नए समीकरण गढ़े हैं. 1994 में अस्थावां के तत्कालीन विधायक सतीश कुमार ने जब कुर्मी चेतना रैली की शुरुआत की थी, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यही आंदोलन आगे चलकर नीतीश कुमार जैसे नेता को जन्म देगा,जो नालंदा से निकलकर पूरे बिहार की नेतृत्व को नई दिशा देंगे.
जब नीतीश बना फैक्टर
वर्ष 2000 तक यहां प्रत्याशी की छवि चुनाव तय करती थी. लेकिन जब नीतीश कुमार ने विकास को नेतृत्व का केंद्र बनाया,तो जनता ने प्रत्याशी नहीं, बल्कि पार्टी सिंबल और नीतीश के नाम पर वोट देना शुरू किया. आज जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में नीतीश फैक्टर बन चुका है. 2000 के बाद से जेडीयू-भाजपा गठबंधन का वर्चस्व कायम है. कांग्रेस का प्रभाव 1980 के दशक के बाद खत्म हो गया. निर्दलीय उम्मीदवारों ने 70-80 के दशक में निर्णायक भूमिका निभाई. श्रवण कुमार और सत्यदेव नारायण आर्य जैसे नेताओं ने स्थायी नेतृत्वक स्थिरता दी. राजद ने हाल के वर्षों में हिलसा और इस्लामपुर में अपनी पकड़ मजबूत की है. नालंदा: जहां से निकले नीतीश, वहीं गढ़े गए बिहार के सबसे स्थायी नेतृत्वक चेहरे.
नालंदा : श्रवण कुमार का अजेय रिकॉर्ड
नालंदा सीट का नाम आज श्रवण कुमार के बिना अधूरा है. 1995 से 2020 तक लगातार छह बार जीत दर्ज करने वाले यह जेडीयू नेता. आज जिले की नेतृत्व का सबसे स्थिर चेहरा हैं. उनसे पहले यह सीट निर्दलीय और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच झूलती रही, लेकिन 1995 के बाद से जनता ने सिर्फ एक नाम पर भरोसा किया श्रवण कुमार. 25 साल, 6 चुनाव में जनता का भरोसा सिर्फ एक नाम पर.
बिहारशरीफ : सुनील कुमार रहे पांच बार विजय
2005 से अब तक सुनील कुमार ने बिहारशरीफ की सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है.पहले जेडीयू, फिर भाजपा दल बदला, लेकिन जनता का भरोसा नहीं. 1950 से 1980 तक जहां कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा था, वहीं 2000 के बाद भाजपा-जेडीयू गठबंधन ने इसे एनडीए का गढ़ बना दिया. दो दल, पांच जीत पर जनता का भरोसा अटूट.
हरनौत: नीतीश कुमार की नेतृत्वक पाठशाला
हरनौत सीट बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्वक जन्मभूमि मानी जाती है. 1985 में लोकदल से पहली जीत, 1995 में समता पार्टी से दूसरी जीत. यहीं से उन्होंने संघर्ष, जनसंपर्क और विकास की नेतृत्व का सबक सीखा. आज यह सीट जेडीयू का मजबूत गढ़ है, जहां से सुशासन बाबू की नेतृत्वक यात्रा की नींव पड़ी थी. हरनौत ने बिहार को दिया एक मुख्यमंत्री.
राजगीर : सत्यदेव नारायण आर्य का स्वर्ण युग
राजगीर का नाम सुनते ही याद आते हैं सत्यदेव नारायण आर्य, जिन्होंने 1977 से 2010 तक लगातार सात बार जीत दर्ज की. वे भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और बाद में हरियाणा के राज्यपाल भी बने. उनके बाद जेडीयू उम्मीदवारों ने सीट संभाली, लेकिन राजगीर में आज भी आर्य युग की गूंज सुनाई देती है. राजगीर के सबसे लंबे समय तक विधायक रहे सत्यदेव नारायण आर्य. वर्तमान में उनका बेटा कौशल किशोर जदयू के टिकट से यहां के विधायक हैं.
हिलसा : हर चुनाव में नया समीकरण
हिलसा की नेतृत्व हमेशा अप्रत्याशित रही है. यहां कभी कांग्रेस, तो कभी जेडीयू और राजद का पलड़ा भारी रहा. 2000 से 2010 तक जेडीयू की उषा सिन्हा और रामचरित्र प्रसाद सिंह हावी रहे, लेकिन 2015 में राजद के शक्ति सिंह यादव ने जीतकर समीकरण बदल दिया. 2020 में जेडीयू के कृष्णमुरारी शरण ने फिर सत्ता हासिल की.हिलसा, जहां हर चुनाव में नया विजेता बनता है.
अस्थावां : निर्दलीय से जेडीयू तक की यात्रा
1980 से 2000 तक यहां रघुनाथ प्रसाद शर्मा का एकछत्र दबदबा रहा, जिनके नाम से पटना में कई सड़क और मोहल्ले बसे हुए हैं, जिन्होंने बिहार-झारखंड में दर्जनों शैक्षणिक संस्थान स्थापित किया. वे यहां से कई बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी जीते. 2005 के बाद यह सीट जेडीयू के जितेंद्र कुमार के पास चली गई, जो लगातार चार बार जीत हासिल कर चुके हैं. अस्थावां जहां नेतृत्व ने वफादारी का रास्ता चुना.
इस्लामपुर : जहां हर बार बदलती है हवा
इस्लामपुर की नेतृत्व में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. 1952 से अब तक यहां कांग्रेस, कम्युनिस्ट, समता, जेडीयू और राजद सभी ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. 1990 के दशक में कृष्ण बलभ प्रसाद (भाकपा) का दौर था, जबकि 2000 के बाद राम स्वरूप प्रसाद और प्रतिमा सिन्हा (जेडीयू) का प्रभाव रहा. 2020 में राजद के राकेश कुमार रौशन ने सत्ता में वापसी की. इस्लामपुर, जहां हर चुनाव में नई हवा बहती है.
Also Read: Bihar Election 2025: बिहार भाजपा में नयी पीढ़ी की नेतृत्व, 16 पुराने विधायक हुए बेटिकट
Also Read: Bihar News: बिहार चुनाव में सितारों की जमघट, पवन सिंह, मैथिली ठाकुर खुद तो खेसारी अपनी पत्नी को उतारेंगे मैदान में
The post Bihar Election 2025 : नीतीश युग ने बदल दी नालंदा की सियासत, स्थायी रहे चेहरे बदलते रहे समीकरण appeared first on Naya Vichar.