Bihar News: पटना. बिहार में तमाम कोशिशों के बावजूद कम वजन और छोटे कद के शिशु पैदा हो रहे हैं. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुए रिपोर्ट के अनुसार बिहार के साथ ही उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल भी इस सूची में हैं, जहां जन्म के समय शिशुओं के कम वजन के मामले सामने आए हैं. रिपोर्ट में सबसे चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि देश में कम वजन के कुल पैदा हुए शिशुओं में इन चार राज्यों की हिस्सेदारी आधे से ज्यादा है.
निरंतर प्रयासों की आवश्यकता
सर्वेक्षण के आधार में पांच श्रेणी के वर्षों को रखा गया है. इसमें इसमें 1993 से लेकर वर्ष 2021 तक के वर्षों का राज्यवार आकलन किया गया है. इसमें बिहार के लिए चिंता की बात यह है कि 2019-21 के आंकड़ों में यह बात सामने आई है कि राज्य में जन्म के समय कम वजन और औसत से छोटे आकार वाले बच्चों के जन्म की संभावना “काफी अधिक” रही. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देने की जरूरत है.
राजस्थान में सुधरी स्थिति
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि यह स्थिति तब है कि जब पिछले 30 वर्षों में दरों में कमी लाने में समग्र प्रगति हुई है. 2.5 किलोग्राम से कम वजन के शिशुओं को कम वजन वाले शिशु की श्रेणी में रखा जाता है. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि एक ही वर्ष में 42 लाख शिशु कम वजन के साथ पैदा हुए, जिनमें से लगभग आधे (47 प्रतिशत) केवल चार राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से आए. इसके पहले इसमें राजस्थान भी शामिल था, लेकिन बाद के वर्षों में वहां व्यापक सुधर हुआ है.
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