Bihar Politics: दिल्ली चुनाव के बाद अब बिहार की नेतृत्व पर सबकी निगाह है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को बीजेपी के हाथों करारी हार मिली है. पार्टी 62 से 22 सीट पर आ गई है. इस चुनाव में 14 सीटों पर आप पार्टी को हराने में कांग्रेस ने अहम भूमिका निभाई. लोकसभा चुनाव में जैसे दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा वैसे ही अगर विधानसभा चुनाव में साथ आये होते तो परिणाम कुछ अलग हो सकता था. लेकिन लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद आप पार्टी ने साफ़ कर दिया था कि हम दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेंगे. अब इस पर बिहार कांग्रेस के नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि कोई भी पार्टी हमें इग्नोर करके आगे नहीं बढ़ सकती. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनका यह बयान राजद के लिए एक सख्त संदेश माना जा रहा है.
कांग्रेस बिहार में कर रही 70 सीटों की मांग
बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पहले ही कह दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. किसी भी हाल से इससे कम सीटों पर समझौता नहीं होगा. उनके अलावा कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि बिहार में कांग्रेस अगर चुनाव जीतती है तो दो डिप्टी सीएम बनाएगी, जिसमें एक सवर्ण और एक मुस्लिम से होगा. उनके बयान पर तेजस्वी यादव ने कहा था, “अभी कोई आधिकारिक चर्चा इसपर हुई ही नहीं है. कौन क्या बोलता है उससे क्या मतलब है. आप लोग तो किसी को भी नेता बना देते हैं. बिहार की नेतृत्व में जिसको ना हम पहचानते हैं ना कोई और जानता है. आप उसकी बात ला कर सवाल पूछ रहे हैं. जो खुद तय नहीं कर सकता है. कांग्रेस में फैसले लेने वाला कौन है? जो फैसले लेने वाला है उसकी बात होनी चाहिए.”
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लोकसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस का प्रदर्शन रहा था निराशाजनक
दिल्ली की तरह कांग्रेस ने बिहार में भी लोकसभा चुनाव में राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.लेकिन कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी. इसमें राजद का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. पार्टी ने 40 में से 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारा लेकिन 4 ही जीत पाए. यानी लगभग हर 6 सीट में से 1 पर जीत मिली. वहीं, कांग्रेस ने 9 सीटों पर किस्मत आजमाया और 3 सीट पर जीत मिली. यानी हर 3 में से 1 में जीत मिली. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा. इसलिए पार्टी 2020 की तरह फिर 70 सीट मांग रही है. यह राजद के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है. अब प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि क्षेत्रीय दलों को समझना पड़ेगा कि कांग्रेस पार्टी को इग्नोर करके कोई गठबंधन नहीं चल सकता है, जो अपने को सेकुलर पार्टी कहते हैं उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व में एक साथ आना होगा. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद बिहार में कांग्रेस को कितनी सीट देती है.
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