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Bokaro News : दांतों से जुड़ी बीमारियों को गंभीरता से लेने की जरूरत : डॉ निकेत

बोकारो, सेक्टर पांच स्थित बोकारो क्लब में शनिवार से इंडियन डेंटल एसोसिएशन बोकारो ब्रांच की दो दिवसीय दंत कार्यशाला की शुरुआत हुई. उद्घाटन इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आइडीए) के स्टेट प्रतिनिधि डॉ निकेत चौधरी व आइडीए जिलाध्यक्ष डॉ प्रशांत कुमार ने किया. डॉ चौधरी ने कहा कि बदलते समय के साथ दांतों की देखभाल के प्रति लोग लापरवाह होते जा रहे है. दांतों को ब्रश करने तक ही सीमित रहते है. ऐसे में आगे चलकर दांत की परेशानी गंभीर हो सकती है. दांत से जुड़ी बीमारियों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. तभी स्वस्थ दांत के साथ मनमोहक मुस्कुराहट पा…

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बोकारो, सेक्टर पांच स्थित बोकारो क्लब में शनिवार से इंडियन डेंटल एसोसिएशन बोकारो ब्रांच की दो दिवसीय दंत कार्यशाला की शुरुआत हुई. उद्घाटन इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आइडीए) के स्टेट प्रतिनिधि डॉ निकेत चौधरी व आइडीए जिलाध्यक्ष डॉ प्रशांत कुमार ने किया. डॉ चौधरी ने कहा कि बदलते समय के साथ दांतों की देखभाल के प्रति लोग लापरवाह होते जा रहे है. दांतों को ब्रश करने तक ही सीमित रहते है. ऐसे में आगे चलकर दांत की परेशानी गंभीर हो सकती है. दांत से जुड़ी बीमारियों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. तभी स्वस्थ दांत के साथ मनमोहक मुस्कुराहट पा सकते है. डॉ प्रशांत ने कहा कि दांतों के घिस जाना एक आम समस्या है. किसी भी उम्र में हो सकती है. परेशानी दांतों की इनेमल सतह का कुछ हिस्सा एसिड के संपर्क में आने से घुलने के बाद होती है. कार्यशाला का संचालन डॉ इशा ने किया.

दी गयी कई जानकारियां

डॉ शिवम त्रिपाठी (ऑर्थोडॉन्टिस्ट व विधि विशेषज्ञ) ने चिकित्सकीय प्रैक्टिस में विधिक ज्ञान, रोगियों के अधिकारों, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, अस्वीकृति और समझौता, दस्तावेजीकरण, प्रैक्टिस की सुरक्षा आदि के बारे में जानकारी दी. सिंगल सिटिंग आरसीटी की प्रक्रिया के तहत संक्रमण का पता लगाना, अस्थिरता, दांत को खोलना, नली को साफ करना, नली को आकार देना, भराई, अंतिम जांच, क्राउन या फिलिंग पर चर्चा हुई.

क्या कहते हैं चिकित्सक

डॉ अभिषेक कुमार ने कहा कि दांत की बीमारी मुख्यतः प्लाक नामक बैक्टीरिया की परत के कारण होती है. जो दांतों पर जम जाती है. इससे एसिड बनती है. जो एसिड दांतों की सतह (इनेमल) को घिस देता है. इससे कैविटी (दांतों में छेद) बनते हैं. अगर कैविटी का इलाज नहीं किया जाता है, तो दांतों को नुकसान पहुंचता है. इससे मसूड़ों की बीमारी (पेरियोडोंटाइटिस) भी पैदा होती है. डॉ ईशा सिंह ने कहा कि दांत की बीमारी के मुख्य कारणों में चीनी व स्टार्च युक्त भोजन, खराब मौखिक स्वच्छता, अम्लीय खाद्य पदार्थ व पेय, दांतों को पीसना या चबाना, परिवार का इतिहास प्रमुख है. दांतों की बीमारी के लक्षण में कैविटी, मसूड़ों की बीमारी, सड़न, संक्रमण, मुंह में छाले या अल्सर प्रमुख है. दांतों की बीमारी से बचाव के लिए नियमित रूप से ब्रश व फ्लॉस करें.

ये थे मौजूद

मौके पर डॉ रंजीत कुमार, डॉ अभिषेक कुमार (चास), डॉ अमरेश कुमार, डॉ अभिषेक शेखर, डॉ शांतनु, डॉ सुमित, डॉ ऋचा चौरसिया, डॉ तुलिका सिंह, डॉ तान्या, डॉ एसआर महतो, डॉ स्नेह लता, डॉ मलय समीर, डॉ निहारिका झा, डॉ जॉन ल्यू के अलावा दिल्ली, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, कनार्टक, उतराखंड, मणिपुर, मिजोरम सहित अन्य राज्यों के दंत चिकित्सक मौजूद थे.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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