बक्सर. राजपुर प्रखंड के सगरांव गांव में आयोजित श्रीमद्भगवत कथा के तीसरे दिन मामाजी के कृपा पात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने बताया कि किसी भी स्थान पर बिना निमंत्रण जाने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि जहां आप जा रहे हैं, वहां आपका, अपने इष्ट या अपने गुरु का अपमान न हो. कथा वाचक आचार्य श्री ने कहा कि यदि अपने गुरू,इष्ट के अपमान होने की आशंका हो तो उस स्थान पर जाना नहीं चाहिए. चाहे वह स्थान अपने जन्म दाता पिता का ही घर क्यों न हो. प्रसंगवश भागवत कथा के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा था. भागवत कथा में उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए बाल व्यास जी ने समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया. परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है. उन्होंने कहा कि नारायण की भक्ति में ही परम आनंद मिलता है. उसकी वाणी सागर का मोती बन जाता है. भगवान प्रेम के भूखे हैं. वासनाओं का त्याग करके ही प्रभु से मिलन संभव है. भागवत कथा का जो श्रवण करता है भगवान का आशीर्वाद बना रहता है.
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