बक्सर
. नगर के शिवपुरी मुहल्ला स्थित काली मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सोमवार को भागवत मर्मज्ञ आचार्य श्री रणधीर ओझा ने कहा कि श्रीमद्भागवत भव रोग औषधि है. इस औषधि की आवश्यकता प्रत्येक जीव को है, चाहे वे किसी भी वर्ण के हों. इसका कारण है कि किसी ना किसी रूप में हम सभी भव रोग से ग्रसित हैं. भागवत रूपी औषधि यदि कड़वी हो तो पीने का मन नहीं होता और अगर पीना पड़ता है तो आनंद लेकर नहीं पीते. राजा परीक्षित का अभिप्राय है कि भव रोग की कथा रूपी दवा कड़वी नहीं, बल्कि मीठी है. दूसरी विशेषता यह है कि इस औषधि को देने वाला वैद्य लालची नहीं होता और अगर वह लालची है तो रोगी का रोग नहीं मिट पाता. कथा व्यास की योग्यता बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत रूपी औषधि देने वाला वैद्य सुखदेव महाराज जी की तरह महात्मा हो. क्योंकि वैसे कथा व्यास के द्वारा दी गई औषधि उत्तम होती है. अगर मनुष्य इस भव रोग को मिटाना चाहता है तो उसे इन बातों का ख्याल रखना चाहिए. औषधि का नियमित रूप से निश्चित मात्रा में निश्चित पद्धति से सेवन.
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