Cabinet: झारखंड के झरिया में कोयला खदान में लगी वर्षों पुरानी आग, प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से निपटने के लिए केंद्र प्रशासन ने संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी दी है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गयी. इस योजना पर 5940 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा और आग तथा भू धंसान से निपटने तथा प्रभावित परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित पुनर्वास सुनिश्चित करने का काम होगा. संशोधित झरिया मास्टर प्लान के तहत पुनर्वास परिवारों की स्थायी आजीविका के साधन मुहैया कराने, परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए विशेष कौशल विकास और रोजगार परक उपाय को महत्व दिया जायेगा.
इसके अलावा एक लाख रुपये का आजीविका अनुदान और वैध भू-स्वामित्व धारक (एलटीएच) परिवारों और अपंजीकृत भू-धारक (नॉन-एलटीएच) परिवारों दोनों को तीन लाख रुपये तक संस्थागत ऋण दिया जाएगा. इसके अलावा पुनर्वास वाले परिवारों के लिए सड़क, बिजली, जल आपूर्ति, सीवरेज, स्कूल, अस्पताल, कौशल विकास केंद्र, सामुदायिक भवन जैसे व्यापक बुनियादी ढांचे और आवश्यक सुविधाएं विकसित होगी. संशोधित झरिया मास्टर प्लान क्रियान्वयन समिति की सिफारिशों के अनुसार इन प्रावधानों को लागू किया जाएगा. इससे समग्र और मानवीय पुनर्वास सुनिश्चित होगा.
पिछली एक शताब्दी से धधक रहा है झरिया कोल फील्ड
झरिया कोयला खदान में आग लगने की पहली घटना वर्ष 1916 में सामने आयी थी. इसके बाद जमीन के नीचे आग लगने के कई मामले सामने आए. कोयला खदानों के वर्ष 1971 में राष्ट्रीयकरण से पहले इन खदानों में खनन का काम निजी कंपनियां करती थी. निजी कंपनियां सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान नहीं रखती थी. झरिया कोयला खदान में आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्र प्रशासन ने वर्ष 1978 में पोलैंड और हिंदुस्तान के विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया. समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि झरिया क्षेत्र में 41 कोयला खदानों में 77 आग लगने के मामले का पता लगाया है. झरिया कोयला खदान का काम हिंदुस्तान कोकिंग कोल लिमिटेड के जिम्मे है. इसके बाद केंद्र प्रशासन ने वर्ष 1996 में पुनर्वास को लेकर एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया.
इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही मास्टर प्लान तैयार किया गया. इस इलाके में उच्च गुणवत्ता वाला कोयला मौजूद है. तमाम प्रयास के बावजूद सिर्फ 2800 परिवारों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया. खतरे को देखते हुए झरिया मास्टर प्लान को 12 अगस्त 2009 को मंजूरी दी गयी. इस प्लान के तहत केंद्र प्रशासन ने 7112.11 करोड़ रुपये का आवंटन किया. लेकिन यह प्लान आगे नहीं बढ़ पाया. इसके बाद केंद्र प्रशासन ने संशोधित मास्टर प्लान तैयार किया. कोयला मंत्रालय के वर्ष 2023 के आंकड़े के हिसाब से झरिया क्षेत्र में आग से प्रभावित इलाकों की संख्या में कमी आयी है और यह 77 से घटकर 67 हो गयी है.
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