Caste Census: केंद्र की नरेंद्र मोदी प्रशासन ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया कि देश में जाति जनगणना कराया जाएगा. बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी मीडिया को दी. उन्होंने कहा, “नेतृत्वक मामलों की कैबिनेट समिति ने आज फैसला किया है कि जाति गणना को आगामी जनगणना में शामिल किया जाना चाहिए.” अब केंद्र प्रशासन के इस फैसले का बिहार की सत्ता पर काबिज जेडीयू ने स्वागत किया है. पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इस कदम के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा है.
विभिन्न जातियों का सटीक आंकड़ा होना जरूरी: JDU
देशभर में आगामी जनगणना के साथ जातीय गणना भी कराने के ऐतिहासिक फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का संपूर्ण जदयू परिवार की ओर से कोटिश: आभार एवं अभिनंदन. हमें विश्वास है, इस फैसले से वंचित तबकों के कल्याण एवं उत्थान के लिए और अधिक कारगर योजना बनाने में मदद मिलेगी. जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘न्याय के साथ विकास’ की अपनी नीति के अनुरूप, देश में सबसे पहले बिहार में पूरी पारदर्शिता के साथ जातीय गणना करा कर उसका परिणाम भी सार्वजनिक कर दिया है. उनका स्पष्ट मानना है कि सामाजिक-आर्थिक असमानता को कम करने और लक्षित तबकों के कल्याण के लिए सटीक योजना बनाने के उद्देश्य से विभिन्न जातियों का सटीक आंकड़ा होना जरूरी है.
1951 में कांग्रेस ने जाति जनगणना पर लगाया था रोक: संजय झा
झा ने अपने पोस्ट में लिखा कि इतिहास गवाह है कि हिंदुस्तान में आजादी से पहले हुई जनगणना में जातिवार आंकड़े भी दर्ज किए गए थे. लेकिन, वर्ष 1951 में कांग्रेस की प्रशासन ने इसे बंद करवा दिया था. सामाजिक रूप से वंचित तबकों की सटीक पहचान करने और उनके लिए अधिक कारगर योजना बनाने की राह में जातिगत आंकड़ों की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा बन रही थी. विभिन्न नेतृत्वक दलों और सामाजिक समूहों द्वारा की जा रही मांग के मद्देनजर यूपीए प्रशासन ने 2011 की जनगणना में जातियों का सर्वे कराने का फैसला किया, लेकिन, उन आंकड़ों में इतनी ज्यादा विसंगतियां थीं, कि उसे सार्वजनिक तक नहीं किया गया.
नई उम्मीद लेकर आया है फैसला
अब NDA प्रशासन द्वारा पूरे देश में सटीक जातीय गणना कराने का ऐतिहासिक फैसला वंचित तबकों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है, जिसके सुखद परिणाम आनेवाले वर्षों में दिखेंगे. इससे पहले सामान्य वर्ग के गरीबों को संविधान संशोधन के जरिये 10% आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला भी NDA प्रशासन ने ही किया था, जिसकी कांग्रेस प्रशासनों द्वारा लगातार उपेक्षा की गई थी.
बिहार में हो चुकी है जाति जनगणना
बता दें कि 2 अक्टूबर 2023 को बिहार प्रशासन की ओर से कराई गई जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की गई थी. उस बिहार प्रशासन में अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने यह रिपोर्ट जारी करते हुए बताया था कि बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है. साथ ही यह जानकारी भी दी कि कौन सी जाति की कितनी आबादी है. जिनमेंं पिछड़ा वर्ग के 27.12 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 36.01 फीसदी, अनुसूचित जाति के19.65 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के 1.68 फीसदी और सामान्य वर्ग के 15.52 फीसदी लोग बिहार में रहते हैं.
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विपक्ष लगातार कर रहा था जाति जनगणना की मां
लोकसभा चुनाव के समय राहुल गांधी ने जाति जनगणना को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी प्रशासन को जमकर घेरा था. उन्होंने जाति को लेकर केंद्र प्रशासन पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे. लेकिन मोदी प्रशासन ने जाति जनगणना कराने का फैसला लेकर उनसे मुद्दा ही छीन लिया. वहीं, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी केंद्र प्रशासन से पूरे देश में जाति जगनगणना कराने की मांग करते रहे हैं.
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