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जनता दरबार में भूमि विवाद के पांच मामले की हुई सुनवाई

नया विचार सरायरंजन :- प्रखंड के मुसरीघरारी थाना परिसर में शनिवार को भूमि विवाद के निपटारे को लेकर जनता दरबार का आयोजन हुआ। जनता दरबार में राजस्व अधिकारी प्रीति कुमारी मिश्रा ने पांच मामले का सुनवाई किया।इसमें पूर्व के 4 मामले समेत कुल 5 मामले की सुनवाई हुई, । मामले की सुनवाई करती राजस्व अधिकारी जमीनी विवाद के मामले में कुछ लोगों के कागजात अपूर्ण रहने एवं कुछ लोगों के अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें अगली तिथि पर आने को कहा गया। वहीं इनमें दूसरे पक्ष के लोगों के अनुपस्थित रहने के कारण उन लोगों को अगली तिथि पर आने के लिए नोटिस भेजा गया। मौके पर राजस्व अधिकारी प्रीति कुमारी मिश्रा, एसआई अर्जुन प्रसाद सिंह, एएसआई अभिमन्यु कुमार द्विवेदी, राजस्व कर्मचारी विपिन कुमार, विष्णु दयाल कुमार,राजस्व कर्मचारी राहुल कुमार साह ,सतीश कुमार आदि मौजूद रहे।

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जॉब कैंप का आयोजन 10 जनवरी को 

नवि प्रतिनिधि,समस्तीपुर: जिला नियोजनालय समस्तीपुर में आगामी 10 जनवरी को जॉब कैंप का आयोजन है। इस आशय की जानकारी देते हुए जिला नियोजन पदाधिकारी ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस कंपनी में कस्टमर रिलेशनशिप ऑफीसर (सीआरओ)पद के लिए रिक्तियां हैं। यह नौकरी स्थाई होगी। इसका कार्य क्षेत्र समस्तीपुर, दरभंगा, बेगूसराय एवं मधुबनी होगा। फिलहाल मासिक वेतन 10500 रुपए निर्धारित है। अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम 10वीं पास होना अनिवार्य है। अभ्यर्थियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे जॉब कैंप में भाग लेने के लिए सामान्य पोशाक में आवैं । साथ ही बायोडाटा की दो प्रतियां अवश्य लावें। कैंप में भाग लेना निशुल्क है।

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चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा सर्वोत्तम शिक्षा है :डॉ पाठक 

नवि प्रतिनिधि,मोरवा : चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा ही सर्वोत्तम शिक्षा है। उक्त बातें देश के सुख्यात शिक्षाविद, गीतकार, साहित्यकार डॉ .सच्चिदानन्द पाठक ने मां आरएसएस विद्यालय बाजितपुर करनैल में आयोजित नव वर्ष अभिनंदन कवि सम्मेलन सह शिक्षाविद सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए कहीं । विद्यालय के निदेशक शर्वेन्दु कुमार शरण एवं एचएम रीना राय के द्वारा तथा द्वारका राय सुबोध की अध्यक्षता में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार चांद मुसाफिर ने छात्र –छात्राओं को जीवन में सफल होकर माता, पिता एवं परिवार समाज को गौरवान्वित करने की प्रेरणा दी। डॉ . सच्चिदानंद पाठक ने रामेजी राम और कहंवां से चलि ऐल हे राधिका कहमा क चलि जैब हो राम से श्रोताओं को हंसी से लोटपोट कर दिया। कवि सम्मेलन समारोह में कवि रामचंद्र चौधरी, द्वारिका राय सुबोध,डॉ प्रेम कुमार पाण्डेय, चांद मुसाफिर,वशिष्ठ राय वशिष्ठ, इन्जिनियर अवधेश कुमार सिंह,दुखित महतो भक्त राज, दिनेश राय,प्रो. अवधेश कुमार झा, कुमोद प्रसाद गिरि आदि ने अपनी कविताओं एवं गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके पूर्व आयोजक शर्वेन्दु कुमार शरण के द्वारा आगत अतिथियों को चादर, माला, पाग पहनाकर सम्मानित किया। विद्यालय के संरक्षक अवकाश प्राप्त शिक्षक सत्यदेव राय ने छात्र छात्राओं को आशीर्वाद दिया। मुखिया प्रतिनिधि नेमो लाल रजक,राकेश कुमार रौशन, संजय कुमार, हरिश्चन्द्र सहनी, सुनील कुमार, राहुल कुमार, कुमारी कोमल, कुमारी दिव्या, कुमारी दिव्यांका, दिवाकर कुमार, गुड्डू कुमार ,हरेराम दाहा, संजय राय, श्याम राय, विनोद साह, शंकर दाहा, सुरेन्द्र राय, शिवानंद राय आदि ने संबोधित किया।धन्यवाद ज्ञापन शर्वेन्दु कुमार एवं रीना राय ने किया। मौके पर सैकड़ों छात्र छात्राएं एवं अभिभावक मौजूद थे।

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ऐसा शिव मंदिर जहां शिवलिंग एवं मजार की होती एक साथ पूजा

नया विचार समस्तीपुर :  जिले के मोरवा स्थित खुदनेश्वर मंदिर एक अद्वितीय और विशेष मंदिर है, जो अपनी अनोखी विशेषता के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में एक ही स्थल पर शिवलिंग और मजार स्थापित है ,जो हिंदू – मुस्लिम की एकता और सौहार्द का प्रतीक है।  मोरवा स्थित खुदनेश्वर धाम मंदिर  इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, और इसकी स्थापना के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक स्थानीय राजा ने करवाई थी, जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। राजा ने अपने राज्य की समृद्धि और सुख-शांति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की थी और उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।   एक अन्य कथा के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक सूफी संत ने करवाई थी, जो इस क्षेत्र में आये थे और उन्होंने यहां पर एक मजार की स्थापना की थी। बाद में कुछ हिंदू भक्तों ने इसी स्थल पर एक शिवलिंग की स्थापना की, जो आज भी यहां पर स्थापित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पर एक ही स्थल पर शिवलिंग और मजार को स्थापित किया गया है। यह एक अद्वितीय उदाहरण है हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच एकता और सौहार्द का। यह मंदिर दोनों समुदायों के लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में कार्य करता है, जहां वे अपनी पूजा-अर्चना और प्रार्थना कर सकते हैं। मंदिर में स्थापित शिवलिंग एवं मजार   इस मंदिर में पूजा-अर्चना और मेले की विशेषता पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। यहां की पूजा-अर्चना बहुत ही विशेष और आकर्षक है, जिसमें विभिन्न प्रकार के पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। मंदिर में विभिन्न प्रकार के मेले भी लगते हैं, जिनमें स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से भी लोग आते हैं।इस मंदिर का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल भी है। यह मंदिर समस्तीपुर जिले की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां की पूजा-अर्चना और मेले की विशेषता पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है। आजकल इस मंदिर को एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहां की सुंदरता और आकर्षण के कारण दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और मंदिर की विशेषता को देखते हैं। मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी बहुत ही सुंदर और आकर्षक है, जो पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है।

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