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तेजस्वी यादव की पत्नी को राजबल्लभ यादव द्वारा विवादित टिप्पणी के बाद समस्तीपुर राजद महिला सेल ने की कार्रवाई की मांग

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर – तेजस्वी यादव की पत्नी को राजबल्लभ यादव द्वारा ‘जर्सी गाय’ कहने की विवादित टिप्पणी के बाद समस्तीपुर राजद स्त्री सेल की जिलाध्यक्ष सह नगर पार्षद पिंकी राय ने राजबल्लभ यादव पर करारा प्रहार किया है । राजद नेत्री ने बयान की तीव्र निंदा करते हुए कहा है कि राजबल्लभ यादव का बयान नारी समाज और सभी वर्गों का अपमान है । इस तरह की भाषा सभ्य समाज में असहनीय है ।उन्हें फिर से जेल भेजा जाना चाहिए । राजबल्लभ यादव असभ्य व अमर्यादित प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं और उनका नैतिक और नेतृत्वक पतन निश्चित है ।स्त्री पर इस तरह की टिप्पणी एक अपराध है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । स्त्री आयोग को इस पर संज्ञान लेते हुए राजबल्लभ यादव पर कठोर करवाई करनी चाहिए ।

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सीपीएम राज्य कमिटी बैठक सम्पन्न जायज़  मतदाताओं के नाम दर्ज करने के लिए सड़क पर उतरेगी माकपा

15 सदस्यीय नए सचिव मंडल का गठन नया विचार न्यूज़ पटना। हिंदुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य कमिटी की जमाल रोड पटना स्थित बैठक को संबोधित करते हुए पार्टी की पोलितब्यूरो के सदस्य का एम वी राघवन ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरु किए गए व्यापार युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है।इस युद्ध का मुकाबला जिस तरह से चीन कर रहा है।उससे मजबूर होकर अमेरिका को चीन से बात करना पड़ रहा है।वहीं अपने देश की मोदी प्रशासन ने ट्रंप के सामने घुटने टेक दिया है।इसका भयानक असर देश की सम्पूर्ण वित्तीय स्थिति के साथ ही कृषि पर पड़ेगा।पहलगाम के आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्याएं हुई, उसमें 4 कश्मीरी मुस्लिम भी थे।जो पर्यटकों ,स्त्रीओं,बच्चों की जान बचाने में शहीद हो गए ।पहलगाम की घटना मोदी प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया एजेंसी की चूक के कारण हुई।यह केन्द्र प्रशासन की कश्मीर नीति की स्पष्ट विफलता है।मोदी प्रशासन को इस आतंकी हमले के शिकार कश्मीरी कभी याद नहीं आए।उल्टे सोफिया कुरैशी जैसे जाबांज सैनिक ऑफिसर को आतंकवादियों की बहन बताने में भाजपाई मंत्री भी नहीं चुके।आतंकी हमले के खिलाफ केन्द्र प्रशासन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सारा विपक्ष प्रशासन के साथ सहमति जताई।लेकिन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी अनुपस्थित रहे और बिहार के मधुबनी जिले में अंग्रेजी में कहा कि आतंकवादियों को पाताल से खोज कर दण्डित करने का हुंकार भरा।इसके बाद आपरेशन सिंदूर द्वारा पाकिस्तान के 9 आतंकवादी शिविरों पर हमला किया।उस हमले के जवाब में पाकिस्तान ने हमारे सीमा क्षेत्र में आम लोगों की जान माल की भारी क्षति उठानी पड़ी और युद्ध विराम द्विपक्षीय वार्ता द्वारा नहीं।बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर हिंदुस्तान प्रशासन ने किया। भाजपा द्वारा पूरे देश में अल्पसंख्यकों निशाना बनाते हुए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को हवा दिया जा रहा है।मोदी प्रशासन लगातार निरंकुश बनती जा रही है।बिहार में विधान सभा चुनाव होने जा रहा है।वहां नफरत और जहरीली नेतृत्व चलाई जा रही है। पोलितब्यूरो सदस्य अशोक ढवले ने कहा कि विधान सभा चुनाव बिहार में होने वाला है।यहीं कारण है कि चुनाव आयोग मतदाता पुनरीक्षण के सवाल पर एन आर सी जैसे कार्य शुरु किया है।जिसका प्रतिरोध हमारी पार्टी के साथ साथ इण्डिया गठबंधन समन्वय समिति ने भी लगातार इसका विरोध कर रहा है।इंडिया गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलने गया तो उसके साथ बदसलूकी की गई।ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग भाजपा की अनुसांगिक संगठन के रुप में काम कर रहा है।इसका प्रतिरोध लोक सभा,गांव और सड़कों पर जबरदस्त रुप से हो रहा है।यह संघर्ष जारी है।आने वाले दिनों में कमिश्नरी तथा जिलों में बड़ा जन आंदोलन चलाया जायेगा।डी   प्रधानमंत्री मोदी कई बार बिहार में आकर रोड शो कर चुके हैं।जनता को लाभ देने की कई घोषणाएं किया जा रहा है।डबल इंजन की प्रशासन अनेक घोषणाएं कर रही है।जो नीतीश प्रशासन 20 साल में कुछ नहीं किया ।वह चुनाव में लोगों को लुभाने के लिए घोषणाएं करती जा रही है।वह इस चुनाव को जीतने के लिए पूरी शक्ति लगा रही है।वह जानती है कि बिहार की हार देश की गद्दी से भी हटा देगी। 8 अगस्त को राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के दिन बिहार के सभी जिला मुख्यालयों पर पार्टी प्रदर्शन करेगी।इस प्रदर्शन के माध्यम से हमें जनता तक पहुंचना है।बिहार को सुखाड़ से बचाना है। बैठक में 15 सदस्यीय सचिव मंडल का चुनाव हुआ।ललन चौधरी , अवधेश कुमार , अहमद अली, विनोद कुमार, राजेंद्र प्रसाद सिंह, प्रभुराज नारायण राव,श्याम हिंदुस्तानी,अजय कुमार,भोला दिवाकर,संजय कुमार, रामपरी, मनोज चंद्रवंशी, रणधीर यादव, अनुपम कुमार, शशि कांत राय शामिल हैं।बैठक में प्रतिवेदन राज्य सचिव ललन चौधरी ने रखा । अध्यक्षता अवधेश कुमार ने की।

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समस्तीपुर को महाजंगलराज से बचाने के लिए बहुजन सरकार लायें : अनिल कुमार 

नया विचार न्यूज़ समस्तीपुर –  बहुजन समाज पार्टी (बसपा) बिहार केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार ने आज समस्तीपुर जिला इकाई द्वारा तिरंगा भवन, मोहनपुर में आयोजित एक जिलास्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन वर्तमान डबल इंजन प्रशासन पर जोरदार हमला बोला और कहा कि समस्तीपुर से महाजंगल राज को उखाड़ फेंकने के लिए प्रदेश में बहुजन की प्रशासन लाने की जरूरत है।  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बिहार केंद्रीय प्रभारी अनिल कुमार ने कहा, “आज हमारा देश ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां संविधान की आत्मा को ही खत्म करने की कोशिश की जा रही है। यह सभा केवल एक संगठनात्मक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संकल्प है – संविधान को बचाने और बहुजनों के अधिकारों की रक्षा का।” उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे गांव-गांव जाकर जनता को जागरूक करें और यह बताएं कि किस तरह कुछ नेतृत्वक दल सत्ता की भूख में संविधान की मूल भावना को कुचलने का काम कर रहे हैं। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संविधान के मूल्यों की रक्षा और आमजन के अधिकारों के लिए जनजागरूकता फैलाना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला संयोजक अभय कुमार सुमन ने की, जबकि संचालन विजय यादव ने किया। सम्मेलन में जिले भर से आए बसपा कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया और संविधान के सम्मान में एकजुटता दिखाई। इस दौरान अनिल कुमार ने प्रशासन के उस वादे की याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि दलितों को तीन डिसमिल ज़मीन दी जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया, “आख़िर वह ज़मीन कहाँ है? किसने हड़प ली? प्रशासन जवाब क्यों नहीं देती?” उन्होंने आरोप लगाया कि दलितों, पिछड़ों और गरीबों को सिर्फ चुनाव के वक्त याद किया जाता है, लेकिन जब बात हक़ और अधिकार की आती है तो प्रशासनें चुप्पी साध लेती हैं। उन्होंने इसे “सांस्थानिक धोखा” बताया और कहा कि बसपा ऐसे हर झूठ का पर्दाफाश करेगी। उन्होंने बिहार की मौजूदा प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जल जीवन हरियाली, सात निश्चय और दलित उत्थान जैसी योजनाओं के नाम पर केवल घोषणाएं हुईं, जमीनी सच्चाई बेहद डरावनी है। उन्होंने कहा कि, “प्रशासन ने वादा किया था कि हर घर में नल का जल पहुँचेगा, लेकिन आज भी समस्तीपुर जिले के कई गांव जल संकट से जूझ रहे हैं। यही नहीं, हर साल यह इलाका बाढ़ और जलजमाव से त्रस्त रहता है, मगर कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।” केंद्रीय प्रभारी उमाशंकर गौतम और प्रदेश अध्यक्ष शंकर महतो ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और कहा कि बहुजन समाज पार्टी महज एक नेतृत्वक दल नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। उमाशंकर गौतम ने कहा, “आज जरूरत है कि हर दलित, पिछड़ा और शोषित व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए खड़ा हो। हमें लड़ाई केवल चुनाव की नहीं, अपने अस्तित्व की लड़नी है।” इस सम्मेलन में उपस्थित रत्नेश्वर राम, राजेश राम, राजू राम, कुशेश्वर दास, कुणाल कुमार, जनार्दन राम सहित अन्य स्थानीय पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे और समस्तीपुर जिले की स्थानीय समस्याओं पर खुलकर बात की। वक्ताओं ने कहा कि जिले के दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है, और अफसरशाही तथा भ्रष्टाचार उनके अधिकारों को छीन रहा है। कार्यक्रम के अंत में एक प्रस्ताव पारित कर यह संकल्प लिया गया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी समस्तीपुर जिले की सभी सीटों पर मजबूती से उतरेगी और संविधान विरोधी ताकतों को हराने का कार्य करेगी। साथ ही हर गांव में संविधान जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें लोगों को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए अधिकारों और संविधान की मूल भावना के बारे में बताया जाएगा। इस सम्मेलन ने स्पष्ट कर दिया कि बहुजन समाज पार्टी बिहार में अब एक सक्रिय और सजग भूमिका निभाने के लिए तैयार है और सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई धार देने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी।

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विपक्ष बन गया है राजनीतिक रूदाली – नीरज कुमार

नया विचार न्यूज़ पटना। जद (यू) विधान पार्षद सह मुख्य प्रदेश प्रवक्ता श्री नीरज कुमार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष आजकल नेतृत्वक रुदाली बन गया है। जैसे राजस्थान में एक प्रथा है रुदाली का, जहां किसी की मृत्यु होने पर रोने के लिए सामूहिक तौर पर स्त्रीओं का बुलाया जाता है और जिसका दायित्व केवल रोने का होता है कुछ वैसी ही भूमिका विपक्ष की रह गई है। विपक्ष को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव की बातों को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नहीं मानते हैं। लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी यादव को हरी टोपी पहनने के लिए दिया लेकिन नेता प्रतिपक्ष ने उस टोपी को भी उतारने का काम किया। हां, नेता प्रतिपक्ष जनता को नेतृत्वक टोपी पहनाने की कोशिश जरुर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरजेडी को अपना ड्रेस कोड काला कपड़ा घोषित कर देना चाहिए।उन्होंने कहा कि विपक्ष संविधान का अपमान कर रहा है। चुनाव आयोग एक सांविधानिक संस्था है और पुनरीक्षण के समय नेतृत्वक दलों को बूथ लेवल एजेंट बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट भी सांविधानिक संस्था है जहां एसआईआर पर सुनवाई चल रही है तो ऐसे में इस मामले पर बिहार विधानसभा की बैठक में हंगामा करना एवं उसे बाधित करना सांविधानिक संस्थाओं का अपमान है।

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Awadh Ojha: दिल्ली चुनाव में हारने वाले अवध ओझा कितने संपत्ति के हैं मालिक?

Awadh Ojha: पटपड़गंज विधान सभा सीट से आम आदमी के उम्मीदवार अवध ओझा चुनाव हार गए हैं. अवध को हिंदुस्तानीय जनता पार्टी के रविंदर सिंह नेगी ने 28072 वोटों के अंतर से चुनाव हराया है. अवध ओझा के विधानसभा जाने का सपना फिलहाल तो टूट गया है. ऐसे में आइए जानते हैं अवध ओझा कितने संपत्ति के मालिक है? अवध ओझा की संपत्ति का विवरण उनके हलफनामे में सामने आया है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह करोड़पति हैं, हालांकि उन पर कुछ कर्ज भी है. ओझा के पास कुल 4.85 करोड़ रुपये से अधिक की चल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी के पास 59 लाख रुपये की चल संपत्ति है. उनके बच्चों के नाम भी लगभग 5 लाख रुपये की संपत्ति दर्ज है. नकद राशि की बात करें तो ओझा के पास 1.5 लाख रुपये, जबकि उनकी पत्नी के पास 28,500 रुपये नकद मौजूद हैं. इसके अलावा, ओझा के पास 9.67 लाख रुपये मूल्य का सोना है, जबकि उनकी पत्नी 20 लाख रुपये के सोने की मालकिन हैं. इसे भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर मीम्स और रील्स की बाढ़, यूजर्स ले रहे आप-कांग्रेस के मजे वाहनों की बात करें तो ओझा के पास महिंद्रा स्कॉर्पियो, जबकि उनकी पत्नी के पास टाटा टियागो कार है. हालांकि, उनके पास कोई कृषि भूमि नहीं है. अचल संपत्तियों की बात करें तो ओझा के नाम पर ग्रेटर नोएडा में दो फ्लैट हैं, जबकि उनकी पत्नी के नाम पर लखनऊ, हरिद्वार और वजीराबाद में आवासीय संपत्तियां हैं. ओझा की कुल 1.45 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है, जबकि उनकी पत्नी की अचल संपत्ति 1.6 करोड़ रुपये के करीब है. हालांकि, ओझा पर 80 लाख रुपये का कर्ज है, जबकि उनकी पत्नी पर भी 4.38 लाख रुपये की देनदारी दर्ज है. इसे भी पढ़ें: राजा बनाने वाले अवध ओझा की हवा टाइट, जानें क्या हुआ? इसे भी पढ़ें: तिहाड़ जेल वापस जाएंगे अरविंद केजरीवाल?  इसे भी पढ़ें: तिहाड़ जेल वापस जाएंगे अरविंद केजरीवाल?  The post Awadh Ojha: दिल्ली चुनाव में हारने वाले अवध ओझा कितने संपत्ति के हैं मालिक? appeared first on Naya Vichar.

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दवा, दारू, दर, दीन और कालिंदी, AAP के अरविंद केजरीवाल की हार की 5 बड़ी वजह

Arvind Kejriwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अप्रत्याशित हार ने कई नेतृत्वक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) जिसने एक समय दिल्ली की नेतृत्व में क्रांतिकारी बदलाव लाया था, अब सत्ता से बाहर हो चुकी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. पार्टी ने कई सीटों पर बढ़त बनाते हुए रुझानों में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है. 2013 में अन्ना हजारे के आंदोलन से नेतृत्व में कदम रखने वाले अरविंद केजरीवाल को पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव के दौरान ही हार के संकेत मिलने लगे थे, लेकिन केजरीवाल अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के सहारे इसे जीत में बदलने की कोशिश करते रहे. इस हार के पीछे दवा, दारू, दर (शीशमहल), दीन (मुस्लिम वोट बैंक) और कालिंदी (यमुना नदी) जैसे पाँच प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से खुद अपनी सीट से हार गए हैं. भाजपा के प्रवेश वर्मा ने उन्हें शिकस्त दी है. आइए जानते हैं, AAP की इस हार के 5 प्रमुख वजहें… 1. दवा: मोहल्ला क्लीनिक मॉडल की गिरती साख केजरीवाल प्रशासन ने मोहल्ला क्लीनिक और प्रशासनी अस्पतालों के मॉडल को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया था. लेकिन चुनाव से पहले आई स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति और मुफ्त दवाओं की अनुपलब्धता ने जनता को निराश किया. दिल्ली के प्रशासनी अस्पतालों में बदहाल सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के चलते कई मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ा. इससे आम जनता में AAP प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ी, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा. 2. दारू: शराब नीति पर विवाद और भ्रष्टाचार के आरोप केजरीवाल प्रशासन की नई शराब नीति को लेकर विपक्ष ने जोरदार हमला किया. आरोप लगे कि नई नीति के तहत शराब के ठेकों की संख्या बढ़ा दी गई, जिससे दिल्ली में शराब की खपत बढ़ गई और कई इलाकों में कानून-व्यवस्था बिगड़ने लगी. इस मुद्दे ने स्त्री मतदाताओं को खासा नाराज किया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह नीति सामाजिक बर्बादी को बढ़ावा दे रही है. इसी दौरान शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और घोटाले के आरोपों ने AAP की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया. इसके कारण अरविंद कुल 177 दिन जेल में रहे तो सिसोदिया ने 17 महीने जेल बिताए. यह सब उनकी नकारात्मक छवि में जुड़ता गया. 3. दर (शीशमहल): आलीशान बंगले पर विवाद केजरीवाल, जो खुद को आम आदमी के नेता के तौर पर पेश करते थे, उनके लग्जरी “शीशमहल” बंगले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ. जब यह सामने आया कि प्रशासनी फंड से 45 करोड़ रुपये खर्च कर मुख्यमंत्री आवास को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया, तो जनता के बीच “आम आदमी बनाम विशेष आदमी” की बहस छिड़ गई. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर AAP प्रशासन को घेर लिया और जनता में भी यह धारणा बनी कि केजरीवाल अब साधारण नेता नहीं रहे. 4. दीन: मुस्लिम वोट बैंक में सेंध AAP को हमेशा से मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार इस वोट बैंक में दरार पड़ गई. हाल के वर्षों में कई मुस्लिम समुदायों ने कांग्रेस और अन्य दलों की ओर रुख कर लिया. दिल्ली दंगों, शाहीन बाग आंदोलन और AAP की केंद्र के प्रति नरम नीति को लेकर मुस्लिम मतदाता असमंजस में रहे. यही वजह रही कि AAP को अपने पारंपरिक वोट बैंक का पूरा समर्थन नहीं मिला और इसका सीधा फायदा विपक्षी दलों को हुआ. केजरीवाल ने 2020 में हुए दिल्ली दंगों में मुस्लिम जनता का उस तरह से साथ नहीं दिया, जितनी उस समाज की अपेक्षा थी. यह भी उनकी हार के प्रमुख कारणों में रहा. 5. कालिंदी (यमुना नदी): जल संकट और प्रदूषण दिल्ली में यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन हालात जस के तस बने रहे. चुनाव से पहले आई झाग से भरी यमुना नदी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिससे AAP प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठे. जल संकट, बढ़ता प्रदूषण और खराब सीवरेज सिस्टम ने लोगों को नाराज कर दिया, खासकर उन इलाकों में जहां पानी की किल्लत सबसे ज्यादा थी. केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान यहां तक कह गए कि यह चुनाव जिताने वाला मुद्दा नहीं है. इतना ही नहीं बीच चुनाव के दौरान हरियाणा के मुख्यमंंत्री के साथ पानी भरा गिलास भी छाया रहा. सत्ता से बाहर हुई AAP दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की रेवड़ी संस्कृति बनाम भाजपा के बुनियादी विकास मॉडल की टक्कर देखने को मिली. जहां AAP लगातार मुफ्त सुविधाओं की घोषणाएं करती रही, वहीं भाजपा ने सड़कों और पानी की समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाया. बुराड़ी से संगम विहार और पटपड़गंज से उत्तम नगर तक टूटी सड़कों और अधूरी मरम्मत को लेकर भाजपा ने लगातार हमले किए. आरोप लगे कि जल बोर्ड ने कई जगह सड़कें तोड़ दीं, लेकिन उनकी मरम्मत नहीं हुई, जिससे जनता को परेशानी हुई. खुद केजरीवाल ने भी सड़कों की बदहाली को स्वीकार किया था. इसके अलावा, पानी की किल्लत और टैंकर माफिया की समस्या ने जनता को झकझोर दिया. गर्मियों में पानी की कमी एक बड़ी चिंता बनी रही, जिससे AAP की मुफ्त योजनाओं पर भी सवाल उठे. भाजपा ने जहां फ्री स्कीम जारी रखने का वादा किया, वहीं सड़कों और पानी की समस्या के समाधान का भरोसा भी दिलाया. माना जा रहा है कि दिल्ली की जनता ने इन्हीं मुद्दों पर भाजपा को मौका देने का फैसला किया. दिल्ली चुनाव में AAP की हार कोई एक दिन में नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे कई कारण हैं. स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट, शराब नीति पर विवाद, मुख्यमंत्री आवास का खर्च, मुस्लिम वोट बैंक की सेंध और जल संकट जैसे मुद्दों ने केजरीवाल प्रशासन की लोकप्रियता को कम कर दिया. जनता ने बदलाव का फैसला किया, और इसका सीधा असर चुनावी नतीजों में दिखा. वहीं भाजपा इस जीत से पूरी तरह बम-बम है. The post दवा, दारू, दर, दीन और कालिंदी, AAP के अरविंद केजरीवाल की हार की 5 बड़ी वजह appeared first on Naya Vichar.

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Delhi Election Result: वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से दिल्ली में पिछड़ गई केजरीवाल की आप

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों की शुरुआती तस्वीर स्पष्ट रूप से दर्शा रही है कि आम आदमी पार्टी को इस बार करारी हार का सामना करना पड़ सकता है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार सुबह 9:37 बजे तक हिंदुस्तानीय जनता पार्टी 32 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि आम आदमी पार्टी 14 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए थी. वहीं, आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी लगभग 50 सीटों पर आगे थी, और आम आदमी पार्टी केवल 19 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए थी. यह आंकड़े स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को इस बार बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है. अरविंद केजरीवाल को क्यों नहीं मिली जनता की सहानुभूति? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों को प्रशासन में रहते हुए जेल जाना पड़ा, लेकिन दोनों की नेतृत्वक परिस्थितियों में अंतर रहा. जहां झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन के प्रति सहानुभूति दिखाई और उनकी पार्टी ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के प्रति वैसी सहानुभूति नहीं देखी गई. आइए जानते हैं कि आम आदमी पार्टी की इस बड़ी हार के पीछे क्या कारण हो सकते हैं. 1. अनर्गल आरोपों और झूठ से समर्थकों की नाराजगी अरविंद केजरीवाल पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वे अपने विरोधियों पर बिना आधार के आरोप लगाते रहे हैं. इसके चलते कई बार उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है, जिससे उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनती गई, जिसकी बातों पर भरोसा करना मुश्किल होता गया. सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब उन्होंने हरियाणा प्रशासन पर जानबूझकर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का आरोप लगाया. उन्होंने यह तक कहा कि हरियाणा प्रशासन दिल्ली में नरसंहार करना चाहती है. इस आरोप पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद दिल्ली बॉर्डर पर जाकर यमुना का पानी पीकर इस दावे को गलत साबित किया. इससे न केवल उनके विरोधियों को मौका मिला बल्कि उनके हार्डकोर समर्थक भी नाराज हो गए. इसे भी पढ़ें: तिहाड़ जेल वापस जाएंगे अरविंद केजरीवाल?  2. शीशमहल विवाद ने छवि को नुकसान पहुंचाया नेतृत्व में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाई थी और कहा था कि वे प्रशासनी सुविधाओं का उपयोग नहीं करेंगे. लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने न केवल प्रशासनी बंगले और गाड़ियों का उपयोग किया, बल्कि अपने लिए एक बेहद महंगा मुख्यमंत्री आवास भी बनवाया, जिसे मीडिया ने ‘शीशमहल’ का नाम दिया. सीएजी रिपोर्ट में भी उनके आवास पर हुए भारी खर्च पर सवाल उठाए गए. इससे उनकी सादगी वाली छवि को बड़ा झटका लगा, और जनता में उनके प्रति अविश्वास बढ़ गया. 3. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन न होना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान ‘बंटे तो कटे’ का नारा दिया था, जो हिंदू एकता के संदर्भ में था. हालांकि, इस नारे से सीख लेते हुए अन्य पार्टियों ने भी अपने गठबंधन को मजबूत किया. लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ नहीं आ सके. हरियाणा में कांग्रेस बहुत कम मार्जिन से प्रशासन बनाने से चूक गई थी, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में दोनों पार्टियां एक साथ नहीं आईं. इससे वोटों का विभाजन हुआ और बीजेपी को फायदा मिला. इसे भी पढ़ें: गड्ढे में गिरे ‘केजरीवाल’, मीम्स वायरल 4. स्त्रीओं के लिए 2100 रुपये योजना लागू न करना झारखंड में झामूमो प्रशासन की जीत का एक प्रमुख कारण स्त्रीओं के लिए लागू की गई आर्थिक सहायता योजना को माना गया. दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल ने स्त्रीओं को हर महीने एक निश्चित राशि देने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं कर पाए. इससे जनता में यह संदेश गया कि अगर वे इस योजना को चुनाव से पहले लागू नहीं कर सके, तो चुनाव जीतने के बाद भी इसे लागू करने में असफल हो सकते हैं. अगर यह योजना एक महीने पहले लागू कर दी गई होती, तो शायद परिणाम कुछ और हो सकते थे. 5. गंदे पानी की सप्लाई और राजधानी की गंदगी दिल्ली प्रशासन ने मुफ्त सुविधाओं की शुरुआत करके जनता का समर्थन पाया था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी से जनता परेशान हो गई थी. सबसे बड़ा मुद्दा पानी की सप्लाई का था. गर्मियों में दिल्ली में लोग साफ पानी के लिए परेशान होते रहे, और टैंकर माफिया पूरी तरह हावी हो चुका था. अरविंद केजरीवाल ने 24 घंटे स्वच्छ जल सप्लाई का वादा किया था, लेकिन यह पूरा नहीं हुआ. इसके साथ ही राजधानी की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई थी. चूंकि एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी की ही प्रशासन थी, इसलिए पार्टी के पास कोई बहाना नहीं था. इससे जनता में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ी. इसे भी पढ़ें: राजा बनाने वाले अवध ओझा की हवा टाइट, जानें क्या हुआ? आम आदमी पार्टी की हार के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं. अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता पर उठते सवाल, शीशमहल विवाद, कांग्रेस से गठबंधन न होना, स्त्री आर्थिक सहायता योजना का लागू न होना, राजधानी की सफाई और पानी की समस्या, और खुद के मुख्यमंत्री बनने को लेकर संशय – ये सभी कारण जनता की नाराजगी के पीछे रहे. इस चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल मुफ्त सुविधाएं देना ही काफी नहीं होता, बल्कि जनता को बुनियादी सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है. अगर आम आदमी पार्टी भविष्य में वापसी करना चाहती है, तो उसे इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करना होगा. इसे भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर मीम्स और रील्स की बाढ़, यूजर्स ले रहे आप-कांग्रेस के मजे The post Delhi Election Result: वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से दिल्ली में पिछड़ गई केजरीवाल की आप appeared first on Naya Vichar.

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Delhi Election 2025: ‘वोटिंग से पहले झाड़ू के तिनके बिखर रहे’, पीएम मोदी ने AAP पर बोला हमला

Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव से पहले पीएम मोदी ने आम आदमी पार्टी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, “वोटिंग से पहले ही, झाड़ू के तिनके बिखर रहे हैं’. ‘आप-दा’ के नेता इसे छोड़ रहे हैं, वे जानते हैं कि लोग ‘आप-दा’ से नाराज हैं, वे (लोग) इस पार्टी से नफरत करते हैं.” नेहरू के समय सैलरी का एक-चौथाई हिस्सा टैक्स में चला जाता था : पीएम मोदी दिल्ली के आरके पुरम में जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अगर जवाहरलाल नेहरू के समय किसी की सैलरी 12 लाख रुपये थी – तो उसका एक-चौथाई हिस्सा टैक्स में चला जाता था; अगर आज इंदिरा गांधी की प्रशासन होती – तो आपके 12 लाख में से 10 लाख रुपये टैक्स के रूप में प्रशासन के पास चले जाते. यहां तक ​​कि 10-12 साल पहले, कांग्रेस के समय में – अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपये थी – तो 2,60,000 रुपये टैक्स के रूप में चले जाते. कल भाजपा प्रशासन के बजट के बाद – 12 लाख रुपये कमाने वालों को एक भी रुपया टैक्स के रूप में नहीं देना होगा.” यह भी पढ़ें: केजरीवाल ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी, चुनाव से पहले रखी 4 मांग ‘आप-दा’ के नेता बजट में बिहार के लिए की गई घोषणाओं से दुखी हैं : पीएम मोदी पीएम मोदी ने कहा, “पूर्वांचल के लोग दिल्ली में काम करते हैं – दिल्ली के विकास में योगदान देते हैं लेकिन जब कोविड आता है – ‘आप-दा’ गलत सूचना फैलाकर और उन्हें धमकाकर उन्हें दिल्ली छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं. मैंने कल से देखा है, ‘आप-दा’ के नेता बजट में बिहार के लिए की गई घोषणाओं से दुखी हैं. उन्हें नकारात्मक नेतृत्व करने दें – भाजपा पूर्वांचल के लोगों की मदद करती रहेगी.” दिल्ली में एक भी झुग्गी नहीं टूटेगी : पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “दिल्ली में एक भी झुग्गी नहीं टूटेगी. पीएम यह आश्वासन इसलिए दिया क्योंकि कुछ दिनों से अरविंद केजरीवाल दिल्ली में कह रहे हैं कि अगर बीजेपी की प्रशासन आई तो झुग्गियों को तोड़ देगी. पीएम मोदी ने कहा, ‘आप-दा’ वाले झूठ फैला रहे हैं, दिल्ली में कोई झुग्गी नहीं टूटेगी और न ही जनहित की योजनाएं बंद होगी.” दिल्ली में 5 फरवरी को ‘विकास का नया बसंत आने वाला है’ : पीएम मोदी दिल्ली के आरके पुरम में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “बसंत पंचमी के आते ही मौसम बदलने लगता है. दिल्ली में 5 फरवरी को ‘विकास का नया बसंत आने वाला है’ – इस बार दिल्ली में भाजपा की प्रशासन बनने जा रही है.” The post Delhi Election 2025: ‘वोटिंग से पहले झाड़ू के तिनके बिखर रहे’, पीएम मोदी ने AAP पर बोला हमला appeared first on Naya Vichar.

राजनीति

‘दिल वालों के दिल्ली को भाजपा सरकार चाहिए’ BJP ने जारी किया नया कैम्पेन, देखें Video

BJP Campaign Song: दिल्ली चुनाव से ठीक दो दिन पहले बीजेपी ने अपना चुनावी कैम्पेन सॉन्ग लॉन्च किया है. इस गाने को भोजपुरी स्टार और पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव ने गाया है. इस गाना का मुख्य बोल, ‘दिल वालों के दिल्ली को भाजपा प्रशासन चाहिए’. दिल्ली में इस बार बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच पोस्टर और गानों के माध्यम से सियासी वार पलटवार देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना नया कैंपेन सॉन्ग लॉन्च किया है, जो पार्टी के प्रचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इस सॉन्ग में भगवान राम का जिक्र किया गया है, और यह संदेश दिया गया है कि जो राम के साथ आएंगे, उनका राज दिल्ली में होगा। गाने के बोल कुछ इस प्रकार हैं: “जो राम को लेकर आए, उनका राज होगा दिल्ली में, आपदा हटानी है, बीजेपी ही लानी है…” यह गाना बीजेपी के चुनावी प्रचार में खास भूमिका निभा रहा है, जहां पार्टी अपने समर्थकों और दिल्ली की जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रही है कि पार्टी ही दिल्ली में खुशहाली और विकास लाएगी. गाने में मोदी प्रशासन के नेतृत्व की भी बात की गई है, और यह संदेश दिया गया है कि 2025 में दिल्ली में बीजेपी की प्रशासन बनेगी. देखें वीडियो गरीबों को उत्थान चाहिए स्त्रीओं को सम्मान चाहिए युवाओं को उत्थान चाहिए बुजुर्गों को सम्मान चाहिए… 10 वर्षों की बदहाली पर प्रहार चाहिए, दिलवालों को दिल्ली को अब भाजपा प्रशासन चाहिए। pic.twitter.com/UroUhTUHLy — BJP (@BJP4India) February 2, 2025 The post ‘दिल वालों के दिल्ली को भाजपा प्रशासन चाहिए’ BJP ने जारी किया नया कैम्पेन, देखें Video appeared first on Naya Vichar.

बिहार, राजनीति

पप्पू यादव और नीतीश कुमार के MLA गोपाल मंडल की मुलाकात चर्चे में, जदयू विधायक ने ‘ऑफर’ के बारे में बताया…

Bihar Politics: भागलपुर में सीएम नीतीश कुमार के कार्यक्रम में शनिवार को गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के चर्चित विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल कहीं नहीं दिखे. दूसरी तरफ शनिवार की शाम को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हुई. तस्वीर में जदयू विधायक गोपाल मंडल पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव से मुलाकात करते नजर आ रहे है. जिसके बाद लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गयी. वहीं गोपाल मंडल ने इस मुलाकात के पीछे की वजह को बताया है. पप्पू यादव से मिले जदयू विधायक गोपाल मंडल जदयू विधायक गोपाल मंडल और सांसद पप्पू यादव के मुलाकात की तस्वीर वायरल होते ही नेतृत्वक महकमे के साथ-साथ इलाके के आमलोगों के बीच यह चर्चा तेज हो गयी कि कहीं गोपाल मंडल पाला तो नहीं बदलने वाले हैं. लोग कयास लगाने लगे कि हो सकता है कि गोपाल मंडल कांग्रेस के टिकट पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़े, इसलिए वे मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा को छोड़कर दिल्ली में पप्पू यादव से गर्मजोशी से मुलाकात करते नजर आ रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर पप्पू यादव के लिए भी कयास लगने शुरू हो गए. ALSO READ: बिहार से महाकुंभ स्नान के लिए निकले और रास्ते में हो गयी मौत, ये दर्जन भर लोग वापस नहीं लौट सके अपने घर… पप्पू को जदयू में लाने का कर रहे हैं प्रयास- बोले गोपाल मंडल इधर, दोनों नेताओं के मुलाकात की तस्वीर वायरल होने के बाद तमाम चर्चाओं पर गोपाल मंडल ने ही विराम लगाया. विधायक ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के आदेश से दिल्ली आये हैं. यहां दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और वे बुराडी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करके अपने (JDU) प्रत्याशी को जीत दिलवाने का प्रयास कर रहे हैं. इसी दौरान उनकी मुलाकात पप्पू यादव से हुई. गोपाल मंडल के ऑफर पर क्या था पप्पू यादव का जवाब? विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि पप्पू यादव मेरे छोटे भाई के समान हैं. मैंने उससे कहा कि आप जदयू में आइये यहां आपको सम्मान मिलेगा. राजद वाला आपको कभी सम्मान नहीं दिया. विधायक ने कहा कि पप्पू यादव ने उनके आमंत्रण पर कहा-‘देखते हैं भायजी.’ आगे उन्होंने कहा कि पप्पू यादव उनके चेले के समान हैं, उम्मीद है कि वह भविष्य में जदयू में आ जायेंगे. The post पप्पू यादव और नीतीश कुमार के MLA गोपाल मंडल की मुलाकात चर्चे में, जदयू विधायक ने ‘ऑफर’ के बारे में बताया… appeared first on Naya Vichar.

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