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PM मोदी ने बीजेपी प्रत्याशी के छुए पैर, देखें Video

Delhi Election 2025: दिल्ली में चुनावी प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने पटपड़गंज से बीजेपी प्रत्याशी के पैर छुए हैं. पीएम मोदी आज करतार नगर में चुनावी सभा को संबोधित किया. पीएम मोदी बीजेपी प्रत्याशी रविंद नेगी के समर्थन में प्रचार करने पहुंचे थे. सोशल मीडिया पर सवाल होने लगा है कि आखिर रवींद्र नेगी हैं कौन जिनका पैर पीएम मोदी ने छुआ है. मंच पर सभा के दौरान सबसे पहले रवींद्र नेगी ने पीएम मोदी का पैर छुआ था जिसके बाद पीएम ने तीन बार पैर छुआ. VIDEO | Delhi Elections 2025: PM Modi (@narendramodi) meets BJP candidates during ‘Sankalp Rally’ at Kartar Nagar.#DelhiElectionsWithPTI #DelhiElections2025 (Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/H3sM0z63h3 — Press Trust of India (@PTI_News) January 29, 2025 कौन हैं रवींद्र नेगी? रवींद्र नेगी पटपड़गंज से बीजेपी के उम्मीदवार हैं और पिछले चुनाव में उन्होंने मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी. रवींद्र नेगी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं. इस बार उनका सामना लोकप्रिय शिक्षक अवध ओझा से होना है. रवींद्र नेगी का पूर्वी दिल्ली इलाके में अच्छा प्रभाव माना जाता है. यमुना के पानी को लेकर पीएम मोदी ने बोला हमला पीएम मोदी ने दिल्ली में पानी की समस्या को लेकर AAP की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली में आज भी लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं और यहां की हालात में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की पहचान बदलने की जरूरत है, क्योंकि पिछले 14 और 11 सालों में जो प्रशासनें रहीं, उनका कोई प्रभावी बदलाव नहीं दिखा. इसके अलावा, पीएम मोदी ने अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर भी निशाना साधा, जिसमें उन्होंने हरियाणा पर यमुना नदी में जहरीला अमोनिया मिलाने का आरोप लगाया था. मोदी ने कहा कि यह बयान हरियाणा या दिल्ली के लोगों के लिए नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के लिए अपमानजनक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई विश्वास कर सकता है कि दिल्ली में रहने वाले लोग, जो यमुना का पानी पीते हैं, उनकी जान लेने के लिए हरियाणा यमुना में जहर मिलाएगा? यह भी पढ़ें.. PM Modi Ghonda Rally: पीएम मोदी ने महाकुंभ हादसे पर जताया दुख, 8 फरवरी को दिल्ली में बीजेपी प्रशासन बनने की भविष्यवाणी की यह भी पढ़ें.. मैं खुद यमुना का पानी पीता हूं… यमुना विवाद पर पीएम मोदी ने केजरीवाल पर साधा निशाना The post PM मोदी ने बीजेपी प्रत्याशी के छुए पैर, देखें Video appeared first on Naya Vichar.

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Congress: दलित और मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटी

Congress: दिल्ली चुनाव में मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी की ओर से घोषणा पत्र जारी कर चुकी है. इसमें हर वर्ग को साधने के लिए कई लोकलुभावन वादे किए गए है. अब कांग्रेस ने भी घोषणा पत्र जारी किया है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में जातिगत जनगणना कराने और सच्चर कमेटी की सिफारिशों को दिल्ली में लागू करने का वादा किया है. कांग्रेस जातिगत जनगणना का वादा करने पिछड़े समुदाय और सच्चर कमेटी के जरिये अल्पसंख्यकों को साधने की कोशिश की है. पार्टी दिल्ली चुनाव में मुस्लिम और दलित मतदाताओं को साधने पर विशेष जोर लगा रही है. यह पार्टी का कोर वोटर रहा है और आम आदमी पार्टी के उभार के बाद इस वर्ग ने कांग्रेस से दूरी बना ली. एक बार फिर कांग्रेस की कोशिश इस कोर वोटर को साधकर दिल्ली में सियासी धमक हासिल करने की है. बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि दिल्ली में प्रदूषण बड़ी समस्या बन चुकी है. इसे रोकने में केंद्र और दिल्ली आप प्रशासन पूरी तरह नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि पार्टी पहले ही 5 गारंटी जारी कर चुकी है. दिल्ली में कांग्रेस प्रशासन बनने पर 15 हजार सिविल डिफेंस के लोगों को स्थायी नौकरी देने, सफाई कर्मचारियों को पक्की नौकरी मुहैया कराने का वादा किया गया है.  मुस्लिम वर्ग पर है पार्टी की नजर दिल्ली में दलित, अल्पसंख्यक और गरीब तबका कांग्रेस का कोर वोटर रहा चुका है. इस वर्ग के समर्थन के सहारे कांग्रेस लगातार 15 साल दिल्ली की सत्ता पर काबिज रह चुकी है. लेकिन समय के साथ कांग्रेस का कोर वोटर आम आदमी पार्टी के मुफ्त घोषणा और योजनाओं के कारण उसका प्रमुख वोट बैंक बन गया. लेकिन अब कांग्रेस इस वर्ग को एक बार फिर साधने के लिए जुट गयी है. घोषणा पत्र में पार्टी की ओर से गरीब लोगों को सस्ता और पौष्टिक खाना मुहैया कराने के लिए 100 इंदिरा कैंटीन खोलने का वादा किया है. इस कैंटीन में गुणवत्ता वाला भोजन पांच रुपये में दिया जायेगा. पार्टी ने दिल्ली की हर विधानसभा में 10 पब्लिक लाइब्रेरी खोलने का वादा किया है. चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि कांग्रेस अगर दिल्ली में सत्ता में आयी तो जातिगत जनगणना और पूर्वांचलियों के लिए अलग से मंत्रालय बनाया जाएगा. पार्टी ने घोषणा पत्र के जरिये अल्पसंख्यक और दलित वर्ग को साधने की कोशिश की है. अगर कांग्रेस अपने मकसद में कामयाब हाेती है तो आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है. कांग्रेस इस बार दलित और मुस्लिम बहुल सीटों को जीतने के लिए विशेष मेहनत कर रही है. The post Congress: दलित और मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटी appeared first on Naya Vichar.

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नीतीश की बीमारी कहीं NDA में राजनीतिक उठापटक की नींव न डाल दे, टूट चुकी है 19 साल की परम्परा!

नया विचार पटना– बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार क्या हुए, राज्य में नई नेतृत्वक उठापटक की कहानी शुरू हो गई। कुछ हो न हो, पर नीतीश कुमार कुछ इसी तरह से बीमार रहे तो एनडीए की नेतृत्व किंतु-परंतु के घेरे में तो चली ही जाएगी। इसके साथ ही एनडीए के छोटे दल जो बड़ा चेहरा दिखाने लगे हैं, उनकी टकराहट की गूंज कुछ बढ़ भी सकती है। सबसे ज्यादा चिंता की बात भाजपा के लिए ही हो जाएगी, क्योंकि बिहार में ‘कुर्सी की नेतृत्व’ में नीतीश कुमार उनके लिए तो तुरुप का इक्का ही हैं। दिलचस्प तो यह है कि बीमारी के कारण नीतीश कुमार जिन महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुए, विपक्ष इसे एनडीए में खटपट के रूप में देखने लगा है। आइए जानते हैं कि विपक्ष को बोलने का मौका कब-कब नीतीश कुमार ने दिया… …और तोड़ दी 19 साल की परम्परा अपने नेतृत्वक करियर में नीतीश कुमार के चिंतन में सबसे ज्यादा दलित पीड़ित ही रही है। लेकिन, इस बार नीतीश कुमार के जीवन का नकारात्मक ही सही पर एक रिकॉर्ड बन गया। दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गणतंत्र दिवस के मौके पर दलित टोला जाते रहे हैं। लेकिन खुद के रचे इतिहास को खुद नीतीश कुमार ने ही इस बार बदल दिया। दरअसल होता यह था कि गणतंत्र दिवस पर नीतीश कुमार गांधी मैदान आते थे, और यहां से किसी दलित टोले में उनकी उपस्थिति में झंडोत्तोलन होता था। इस गणतंत्र दिवस पर भी दलित टोला में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जाने का कार्यक्रम तय था। मुख्यमंत्री को फुलवारी शरीफ प्रखंड के महुली गांव के महादलित टोले में जाना था। प्रशासनिक तैयारी की जा रही थी। बड़ा मंच बना। सजावट की सारी व्यवस्था की गई। नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान भी गए, पर सीएम झंडोत्तोलन के बाद सीधे अपने आवास चले गये। सीएम नीतीश कुमार के बदले मंत्री विजय चौधरी महुली गांव में पहुंचे। विजय चौधरी की मौजूदगी में महादलित टोले के बुजुर्ग सुभाष रविदास ने झंडोत्तोलन किया।इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के नहीं जाने से नेतृत्वक गलियारा अफवाहों से भर गया था। पीठासीन पदाधिकारियों की बैठक में भी नहीं पहुंचे सीएम गत माह जनवरी को पटना में देश भर के पीठासीन पदाधिकारियों का सम्मेलन हुआ था। इसमें लोकसभा के अध्यक्ष समेत सारे राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष मौजूद थे। कार्यक्रम में नीतीश कुमार को आना था और संबोधन भी करना था। लेकिन नीतीश कुमार कार्यक्रम में नहीं गए। कर्पूरी ठाकुर की जयंती कार्यक्रम में नहीं आए नीतीश ज्ञात हो कि 24 जनवरी को कर्पूरी जयंती मनाई जाती है। इस मौके पर उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पटना और समस्तीपुर के दौरे पर आये थे। प्रोटोकॉल तो यही कहता है के नीतीश कुमार को पटना एयरपोर्ट पर ही उप-राष्ट्रपति का स्वागत करना चाहिए था, लेकिन वे वहां नहीं गए। तय यह हुआ था कि स्व. कर्पूरी ठाकुर के गांव में आयोजित कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ नीतीश कुमार भी मौजूद रहेंगे। लेकिन नीतीश कुमार मुख्य समारोह में शामिल नहीं हुए। बीमार हुए नीतीश तो NDA में बिखराव? वरिष्ट पत्रकार का मानना है कि नीतीश कुमार का ही वह चेहरा है, जो भाजपा को सत्ता के करीब लाता है। और यह बीमारी जिसके कारण महत्वपूर्ण कार्यक्रम तक छूट जा रहे हैं। ऐसे में चुनाव प्रचार से भी अगर नीतीश कुमार दूर रह गए तो एनडीए में दरार तो पड़ेगी ही, जदयू भी विभाजित हो सकती है। सेकंड लाइनर नहीं होने के कारण पार्टी बिखर भी सकती है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही एनडीए में शामिल छोटे दलों ने पहले से ही डिमांड का पहाड़ खड़ा कर रखा है। तब ये सौ फीसदी स्ट्राइक रेट वाली पार्टियां हिस्सेदारी की सीमा हर हाल में पाना चाहेंगी। और ये स्थितियां महागठबंधन की लड़ाई को अतिरिक्त ताकत दे जाएगा। एनडीए में नीतीश कुमार के विकल्प को ले कर कोई चेहरा भी नहीं है। यह एक यक्ष प्रश्न तो खड़ा हो जाएगा।

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नीतीश के बेटे निशांत की पॉलिटिकल एंट्री को लेकर बेचैनी क्यों? होली बाद की दी जा रही तारीख, जानें

नया विचार पटना– बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार जल्द ही नेतृत्व में कदम रख सकते हैं। समाचार है कि होली के बाद वो जेडीयू में शामिल हो सकते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं की तरफ से लगातार निशांत के नेतृत्व में आने की मांग हो रही है। बस अब नीतीश कुमार की हरी झंडी का इंतजार है। हालांकि, जेडीयू ने अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन पार्टी के अंदरूनी नेता मीडिया रिपोर्ट में इस बात के संकेत दे रहे हैं। निशांत हाल ही में अपने पिता के साथ एक कार्यक्रम में नजर आए थे, जहां उन्होंने लोगों से नीतीश कुमार को वोट देने की अपील की थी। इसके बाद से ही उनके नेतृत्व में आने की चर्चा और जोर पकड़ ली। नीतीश के बेटे की पॉलिटिकल एंट्री की अटकलें मीडिया रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल से ही जेडीयू में निशांत के नाम की चर्चा चल रही है। पार्टी के कई कार्यकर्ता चाहते हैं कि निशांत पार्टी में शामिल हों और सक्रिय नेतृत्व में आएं। लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इस मामले में अभी सावधानी बरत रहे हैं। वे इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से भी बच रहे हैं। इस वजह से मामला थोड़ा उलझा हुआ है। लेकिन पार्टी के अंदरूनी हलकों में निशांत के नाम पर लगातार चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि जदयू कार्यकर्ता काफी समय से निशांत को पार्टी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन वरिष्ठ नेताओं की तरफ से इस बारे में कोई खास उत्साह नहीं दिखाया जा रहा है। वे इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। निशांत का नाम समय-समय पर चर्चा में आता रहता है, लेकिन पार्टी के बड़े नेता इस बारे में कुछ भी कहने से बचते नजर आते हैं। ऐसा लगता है कि वे इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहते। निशांत ने पिता नीतीश के लिए की थी वोट अपील हाल ही में निशांत अपने पिता नीतीश कुमार के साथ बख्तियारपुर में एक कार्यक्रम में गए थे। वहां स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों का अनावरण किया गया था। इस मौके पर निशांत ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि पिता जी ने अच्छा काम किया है, उन्हें जरूर वोट दें और दोबारा मुख्यमंत्री बनाएं। यह अपील बिहार की जनता के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भी थी। इससे पहले निशांत को 2015 में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में देखा गया था। निशांत के इस बयान के बाद जेडीयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने संकेत दिए कि निशांत नेतृत्व में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम उनके (निशांत के) बयान का स्वागत करते हैं। उन्हें मौजूदा प्रशासन की अच्छी समझ है। निशांत के नेतृत्व में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे प्रगतिशील विचारों वाले युवाओं का नेतृत्व में स्वागत है, सही समय पर फैसला लिया जाएगा। हालांकि, जेडीयू ने आधिकारिक रूप से इस पर कोई बयान नहीं दिया है। जेडीयू के बड़े नेताओं ने अब तक साधी चुप्पी लेकिन पार्टी के एक नेता ने मीडिय से कहा कि अभी भी देर नहीं हुई है। हमें भविष्य के लिए निशांत कुमार को जेडीयू में लाने की जरूरत है। इस बयान के बाद निशांत के जेडीयू में शामिल होने की अटकलें और तेज हो गई हैं। अब देखना होगा कि नीतीश कुमार कब इस पर अपनी मुहर लगाते हैं और निशांत औपचारिक रूप से नेतृत्व में एंट्री लेते हैं। यह बिहार की नेतृत्व के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।

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बिहार की सियासी विसात पर रंग दिखाने लगे लालू यादव के ‘मोहरे’, पारस के ‘सिपाही’ को आगे कर सेट कर दिया ‘अनंत प्लान’

नया विचार – बिहार की नेतृत्व में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बिछाए मोहरे अभी से ही रंग दिखाने लगे हैं। जिस दिन राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस और लालू प्रसाद यादव के बीच बातचीत हुई तभी से यह पक्का हो गया कि पशुपति पारस अब महागठबंधन के साथ होंगे। लेकिन जब दफादार चौकीदार के मसले पर बैठ राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पासवान विरोधी कह डाला तो यह स्पष्ट हो गया कि वे महागठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ अपनी उपेक्षा का हिसाब लेंगे। यह लालू यादव का प्लानिंग है भाई! बिहार विधान सभा चुनाव के मद्दे नजर यह माना जा रहा था कि राष्ट्रीय लोजपा के नेता सूरजभान सिंह की एंट्री अब तय है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की नजर में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह मुंगेर, लखीसराय, बेगूसराय, बलिया और नवादा में प्रभावी होंगे। इसके साथ-साथ मैन टू मैन मोहरे बिछाने की पहल भी राजद सुप्रीमो की तरफ से की जाने लगी है। तब नेतृत्वक गलियारों में यह चर्चा भी थी कि मोकामा और लखीसराय यानी अनंत सिंह और राज्य के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के विरुद्ध सूरजभान सिंह को अपरोक्ष रूप से उतारा जाएगा। इन दोनों जगहों पर सूरजभान के संबंधी (भाई या पत्नी) मोकामा और लखीसराय में मौजूदा विधायक को चुनौती देने जा रहे हैं। सूरजभान की एंट्री अभी तक तो यह अनुमान ही था कि सूरजभान कमांडर की भूमिका में एनडीए प्रशासन के विरुद्ध अपना दम खम दिखाएंगे। पर मोकामा गोलीकांड में पूर्व विधायक अनंत सिंह के जेल जाने के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह का गर्जन एक तरह से उस अनुमान पर मुहर लगाने जैसा है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व सांसद सूरजभान सिंह ने तंज कसते यहां तक कह डाला कि अनंत सिंह रावण जैसे हैं। रावण का भी अंत हुआ था तो अनंत सिंह का भी अंत होगा। लगे हाथ उन्होंने अनंत सिंह को सुझाव भी दे डाला कोई भी विधायक हों, उनका ये काम नहीं है। ये काम प्रशासन का है। प्रशासन के काम में किसी भी विधायक को इस चीज की शोभा नहीं देता है। कहीं जाकर ऐसी घटना हो, हम ये काम करें। मधुबनी हो, मोहनिया हो, मोकामा हो, सब बिहार में ही है। किसी भी विधायक को लोकतंत्र का आदर करना चाहिए। सूरजभान कितने प्रभावी? सूरजभान सिंह राज्य के भूमिहार बहुल क्षेत्र में प्रभावी हो सकते हैं। ऐसे भी सूरजभान सिंह बलिया से सांसद रहे। उनकी पत्नी वीणा देवी मुंगेर से सांसद रहीं। इनका भाई चंदन सिंह नवादा से संसद रहे। इन तीन लोकसभा क्षेत्रों में प्रभावी सूरजभान सिंह लालू प्रसाद के साथ मिल कर एनडीए के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। अनंत और सूरजभान का जंग पुराना अदावत की नेतृत्व तो उसी दिन शुरू हो गई जब मोकामा विधानसभा सीट से वर्ष 2000 में सूरजभान सिंह ने निर्दलीय नॉमिनेशन किया था और अनंत सिंह के बडे़ भाई और आरजेडी प्रत्याशी दिलीप सिंह को हराया था। उसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में दिलीप सिंह की मौत के बाद अनंत सिंह जेडीयू के टिकट पर मोकामा से मैदान में उतरे और पहली बार विधायक बने। इसके बाद अब तक जितने चुनाव मोकामा विधानसभा या मुंगेर लोकसभा के चुनाव हुए सूरजभान सिंह की भूमिका रही। तब एनडीए में थे और अब महागठबंधन की नेतृत्व में आने वाले हैं। लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के पहले तो बलिया, बेगूसराय, लखीसराय और नवादा की नेतृत्व पर बाहुबली इफेक्ट तो पड़ ही गया।

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समस्तीपुर से शुरू हुई थी भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश की मुहिम, खड़े-खड़े कर दिया था बीडीओ का तबादला,

नया विचार पटना– विकास यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता और अफसरों को सीधा संदेश दिया कि रिश्वतखोरों की अब यहां गुंजाइश नहीं होगी. समस्तीपुर के झखरा में कहा,”यह बीडीओ साहेब कल से सरायरंजन में नहीं रहेंगे.” समस्तीपुर जिले के झखरा में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन बनाने वाली जनता को शक्तिशाली बनाना चाहिए. हमारा प्रयास सत्ता में रहते हुए लोकतंत्र को मजबूत बनाना है. जनता दरबार में सरायरंजन के बीडीओ के खिलाफ अधिक शिकायतें मिलने पर मंच से ही कहा “यह बीडीओ साहब कल से सरायरंजन में नहीं रहेंगे.” मुख्यमंत्री के सामने सारे अधिकारी लाइन से खड़े थे, न जाने किसकी बारी आ जाये और उन्हें तलब कर लिया जाये. गुढ़वी गांव की आंख की अंधी युवती भी पहुंची थी, उसे नौकरी चाहिए थी. सीएम ने बगल में खड़े अधिकारी को उसे मदद करने का निर्देश दिया. यहां उजियारपुर के सुनील चौधरी, दुधपुरा के संजय कर्ण भी अपनी समस्याओं को लेकर पहुंचे थे. मुख्यमंत्री ने बारी-बारी से सभी से उनके आवेदन लिये और कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया. जाति के घरौंदे से बाहर निकलने की अपील दलसिंहसराय पहुंचे तो वहां मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहारी होने पर गर्व होने का मान दिलायेंगे. जिले के आरबी कॉलेज मैदान में आयोजित सभा में मुख्यमंत्री ने मौजूद भारी भीड़ से अपील की, जाति के घरौंदे से बाहर निकलें और बिहारी होने का अभिमान तथा स्वाभिमान जगायें. इससे एकजुट होकर समृद्ध बिहार के निर्माण का उनका सपना पूरा हो सकेगा. यहां मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार देश का पहला ई-गवर्नेंस वाला राज्य बन चुका है. उन्होंने यहां भी भ्रष्टाचारियों और रिश्वतखोरों को पकड़वाने में आम लोगों से सहयोग मांगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि रिश्वतखोरों को पकड़वाने वालों को एक हजार रुपये से लेकर पचास हजार रुपये तक का ईनाम दिया जायेगा. अपनी प्रशासन की विकास योजनाओं की भी चर्चा की. बिहार को वाजिब हक दिलाने की होगी कोशिश बेगूसराय में जनता से कहा, असली मकसद तो आपके दरबार में हाजिरी लगाना है. मुख्यमंत्री ने बेगूसराय में कहा कि योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन तो एक बहाना है. विकास यात्रा का असली उद्देश्य तो आप सबसे जनता से मिलना है. आपके दरबार में हाजिरी लगाना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार की आज भी हकमारी हो रही है. जबकि वह बिहार को वाजिब हक दिलाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल उपलब्ध संसाधनों से ही राज्य का विकास होगा. बेगूसराय में वहां के तत्कालीन सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की मांग पर जिले के गुप्ता बांध का विकास बाइपास सड़क के रूप में किये जाने की घोषणा की. बताया कि चार साल के उनके शासन काल में कृषि उत्पाद दो गुना हो गया. यहां 63 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया गया और 87 करोड़ की योजनाओं का उद्घाटन हुआ.

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विधायक ने चलाया राजद का प्रचार अभियान 

नया विचार (प्रो अवधेश झा) मोरवा  विधायक रणविजय साहू ने प्रखंड के विभिन्न पंचायत में नुक्कड़ सभाओं का आयोजन कर राष्ट्रीय जनता दल का प्रचार अभियान चलाया। विधायक ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजद की प्रशासन बनाने पर प्रदेश की सभी स्त्रीओं को माई बहिन योजना के तहत ढ़ाई हजार रुपए प्रति महीना एवं सालाना तीस हजार रुपए देकर एवं अन्य रोजगार सृजन से पूरी तरह आत्म निर्भर बनाकर हर परिवार को सुखी बनाया जायेगा। इस अवसर पर विधायक ने संपूर्ण प्रखंड के गरीबों में कंबल वितरण एवं धोती वितरण करने का भी आश्वासन दिया। सैकड़ों लोगों में माई बहन योजना का पत्रक वितरण किया गया। मौके पर प्रखंड महासचिव अजय कुमार शाह, अध्यक्ष मुन्ना कुमार यादव, मनोज कुमार राय, पंचायत समिति चंदन शाह, राजबली पोद्दार ,पूर्व अध्यक्ष दिनेश चौधरी, दिनेश यादव, स्त्री अध्यक्ष अनुपम कुमारी,रजी अहमद सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

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मांझी मांग रहे 20 लेकिन NDA में किसे कितनी सीट, बड़ा भाई कौन? अंदर चल रही बात जान लीजिए

नया विचार पटना– बिहार की नेतृत्व में खरमास खत्म होते ही बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की महक बढ़ने लगी है। लगभग नौ महीने बाद निर्धारित विधानसभा चुनाव को लेकर अब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दल सीट बंटवारे पर खुलकर बात करने लगे हैं। पशुपति कुमार पारस का दल राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) लोकसभा चुनाव के बाद एनडीए से बाहर हो गया है। अब बिहार एनडीए में हिंदुस्तानीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), लोक जनशक्ति पार्टी – रामविलास (लोजपा-आर), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) शामिल है। 243 सीट का बंटवारा इन पांच दलों के भीतर होना है अगर चुनाव तक कोई और नेता अपनी पार्टी के साथ इस तरफ ना आ जाए। खुलकर बोलने के लिए चर्चित हम नेता और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने 20 सीटों की मांग कर दी है और साथ ही ये भी कहा कि उनके कार्यकर्ता तो तैयारी 40 सीट पर कर रहे हैं। जब मीडिया ने पूछा कि नहीं मिली 20 सीट तो क्या करेंगे, तो मांझी बोले कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जो प्यार और प्रतिष्ठा देते हैं, वो कहां मिलेगा। ये हमारे परिवार की बात है। मांझी के इशारों को समझें तो सीटों को लेकर तगड़ा घमासान होने वाला है लेकिन एनडीए में रहकर। मांझी ने गांधी मैदान में 2 लाख लोगों को जुटाने का भी ऐलान किया है। एनडीए दलों के सूत्रों के मुताबिक सीट बंटवारे पर अभी कोई औपचारिक बातचीत नहीं हो रही है लेकिन बड़े नेताओं की मेल-मुलाकात में कौन कितनी सीटें लड़ सकता है, इसके संभावित स्वरूप पर विमर्श लगातार चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में बेहतर स्ट्राइक रेट (लड़ी सीटों पर जीत का प्रतिशत) और नीतीश के चेहरे के दम पर जेडीयू बड़ा भाई का दर्जा वापस लेना चाहती है। लोकसभा चुनाव में जेडीयू 16 जबकि बीजेपी 17 सीट लड़ी थी। 5 सीट लोजपा और 1-1 सीट हम और रालोमो को मिली थी। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इस समय जो बातचीत चल रही है, उसके हिसाब से कम से कम 100 सीट दोनों बड़े दल यानी भाजपा और जदयू लड़ेंगे ही लड़ेंगे। जेडीयू की कोशिश है कि उसे भाजपा से 2-3 सीट ज्यादा मिले, जिससे बिहार एनडीए में बड़े भाई के दर्जे को लेकर कन्फ्यूजन ना हो। इन चर्चाओं में जेडीयू 102 से 103 सीट, भाजपा 100 से 101 सीट, लोजपा-आर 25 से 26 सीट, जीतनराम मांझी की हम 7 से 8 सीट और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम 7 से 8 सीट लड़े, इस तरह का सीन बन रहा है।

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राजद नेता व विधायक आलोक मेहता के 19 ठिकानों पर ED की रेड जारी 

नया विचार – इस वक्त की बड़ी समाचार बिहार के सियासी गलियारों से निकलकर सामने आ रही है। जहां पूर्व मंत्री व उजियारपुर से राजद के विधायक आलोक मेहता के 19 ठिकानों पर आज सुबह ED की रेड पड़ी है। यह मामला बैंक लोन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। यह छापेमारी बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत 19 ठिकानों पर जारी है। जानकारी के मुताबिक बिहार प्रशासन के पूर्व मंत्री और राजद के विधायक आलोक मेहता के कई ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। ED की टीम आलोक मेहता और उनसे जुड़ी कई कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय कि टीम आज सुबह-सुबह राजधानी पटना के आवास पर पहुंची है और यहां भी छापेमारी कर रही है। इस टीम के दर्जनों अधिकारी राजद के विधायक से मामले कि जानकारी ले रहे हैं और छापेमारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि वैशाली शहरी कॉरपोरेशन बैंक से जुड़ा करोड़ों रुपए के बैंक लोन घोटाला का मामला है। इस मामले में बैंक के प्रमोटर, चेयरमैन,CMD,CEO सहित कई अन्य अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। ऐसे में अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम 19 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। यह छापेमारी पटना,दिल्ली,उत्तर प्रदेश, कोलकाता समेत कुल 19 ठिकानों पर चल रही है। फिलहाल राजद विधायाक के पटना के प्रशासनी आवास पर भी एक टीम छापेमारी कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन 85 करोड़ के बैंक घोटाले की बात कही जा रही है। इसमें फर्जी तरीके से लोन अकाउंट बनाया गया और पैसे का फर्जीवाड़ा किया गया। आलोक मेहता राजद के बड़े नेता है और उजियारपुर इलाके से इनका वास्ता रहा है। ऐसे में बिहार के 9 ठिकानों पर ईडी की टीम छापेमारी कर रही है। आलोक मेहता इस प्रशासनी बैंक के प्रमोटर रहे हैं। ऐसे में उनकी भूमिका काफी संदिग्ध बताई जा रही है। बता दें, राजधानी पटना में राजद विधायक आलोक मेहता के प्रशासनी आवास पर भी छापेमारी जारी है। आज सुबह ही बड़ी संख्या में पुलिस वहां पहुंची हुई है। आलोक मेहता राजद के वरिष्ठ नेता हैं। महागठबंधन की प्रशासन में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग का जिम्मा संभाल रहे थे। ऐसे में अब उनके आवास पर यह छापेमारी चल रही है। मुखिया के साथ दिखे थे मंत्री छापेमारी से ठीक एक दिन पहले गुरुवार के दिन दोपहर में बिना लाव लश्कर के आलोक मेहता के करीबी और बिहार प्रशासन के पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक सादे लिबास पैंट, हवाई चप्पल और जैकेट में एक मुखिया के साथ फ्रेजर रोड स्थित बैंक की शाखा में गए थे। हालांकि किस लिए गए थे ये स्पष्ट नहीं है।   इस समाचार को अपडेट की जा रही है

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दिल्ली विधानसभा चुनाव – बिहार की पार्टियां बढ़ाएंगी BJP कांग्रेस की टेंशन? दिल्ली में 24% पूर्वांचल के वोटर्स

जेडीयू का कहना है कि नीतीश कुमार के चेहरे को जनता देश के स्तर पर पसंद करती है. आरजेडी ने लालू-तेजस्वी की लोकप्रियता का जिक्र किया है नया विचार – दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान हो चुका है. बिहार की पार्टियां भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार हैं. दिल्ली में करीब 24 फीसद पूर्वांचल के वोटर्स हैं. पूर्वांचल के करीब 40 लाख वोटर्स दिल्ली में कई सीटों पर असर डालते हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या बिहार की पार्टियां दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस की टेंशन बढ़ाने वाली हैं? जेडीयू और एलजेपी रामविलास के साथ उधर आरजेडी भी दिल्ली में लड़ना चाहती है. सवाल यह भी है कि पूर्वांचल के वोटर्स की संख्या अधिक होने के कारण क्या दोनों राष्ट्रीय पार्टियां सहयोगी दलों की अनदेखी कर पाएंगी? जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि नीतीश कुमार के चेहरे को जनता देश के स्तर पर पसंद करती है. नीतीश के कारण बीजेपी को हर जगह लाभ होता है. दिल्ली में बड़ी संख्या में बिहारी वोटर रहते हैं जो नीतीश कुमार की विचारधारा और उनके कामकाज को पसंद करते हैं. दिल्ली चुनाव में जेडीयू की इस बार पहले के मुकाबले मजबूत धमक रहेगी. पिछली बार दो सीट मिली थी. इस बार सीट कितनी होगी यह एनडीए के नेता तय करेंगे, लेकिन इस बार पहले से बेहतर रहेगा. हर पार्टी चाहती है गठबंधन के अंदर उसको ज्यादा सीट मिले. दिल्ली चुनाव से पहले ही इंडिया गठबंधन बिखरता दिख रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन से अलग हुए थे उसके बाद ये डूबने लगा था. खुद को बचाने के लिए यह लोग एक नाव पर सवार हो गए थे, लेकिन हर विधानसभा चुनाव में इन लोगों का असली चेहरा दिख रहा है. सब एक दूसरे की पोल खोल रहे हैं. क्या कांग्रेस से बात करेगी लालू की पार्टी? दिल्ली विधानसभा चुनाव के मसले पर आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर हम लोग लड़े थे. चार सीट कांग्रेस ने हम लोगों को दी थी. दिल्ली में प्रशासन बनाने और बिगाड़ने में पूर्वांचल वोटरों की अहम भूमिका रहती है. दिल्ली में पूर्वांचल के वोटर्स के बीच लालू-तेजस्वी की लोकप्रियता है. हमारा आलाकमान कांग्रेस आलाकमान से क्या बातचीत करेगा, क्या तय होगा, यह बताया जाएगा. आरजेडी जहां भी लड़ती है उसका लाभ गठबंधन को मिलता है. झारखंड में बीजेपी का सफाया हो गया. दिल्ली में बीजेपी का सफाया होगा और उसमें आरजेडी की बड़ी भूमिका होगी. कितनी सीट पर लड़ेंगे, कौन सी सीटें होंगी, ये सब तय होगा. दिल्ली चुनाव से पहले क्या इंडिया गठबंधन बिखर गया है? ममता बनर्जी की पार्टी बोली बीजेपी को हराए आम आदमी पार्टी, अखिलेश ने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया, आरजेडी का कांग्रेस की ओर झुकाव है. इस पर मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि हर राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं. दिल्ली में कांग्रेस व आप अलग-अलग लड़ रही है. राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया गठबंधन एकजुट था व लोकसभा चुनाव बीजेपी के खिलाफ लड़े. बीजेपी के 400 पार नारे की हवा निकाल दी. दिल्ली में बीजेपी की प्रशासन नहीं आएगी. उधर एलजेपी रामविलास के प्रवक्ता राजू तिवारी ने कहा कि पूर्वांचल के वोटर्स में चिराग सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं. दलित वोट 17 फीसद है जो चिराग के साथ है. इसका लाभ दिल्ली में एनडीए को मिलेगा. पिछली बार हम लोग दिल्ली में एनडीए में एक सीट पर लड़े थे. इस बार कितनी सीट पर लड़ेंगे इस पर बातचीत चल रही है. एक दो दिन में ही फैसला हो जाएगा.

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