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बिहार, राजनीति, समस्तीपुर

प्रशांत किशोर और BPSC अभ्यर्थियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई निंदनीय, जन सुराज बिहार के युवाओं के लिए सत्याग्रह जारी रखेगा – चंद्रमणि

नया विचार   : जन सुराज पार्टी के समस्तीपुर जिला अध्यक्ष चंद्रमणि सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पटना में पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के खिलाफ हुई कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। चंद्रमणि सिंह ने बताया कि प्रशांत किशोर BPSC छात्रों के समर्थन में उनकी मांगों को लेकर गांधी मैदान में शांतिपूर्ण तरीके से 2 जनवरी से अनशन पर बैठे थे। 6 जनवरी की सुबह करीब 4 बजे पुलिस ने अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर, BPSC छात्रों और अन्य समर्थकों को बलपूर्वक अनशन स्थल से हटाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। गांधी मूर्ति के नीचे अगर बैठ कर कोई सत्याग्रह कर रहा है तो इसमें क्या गुनाह है? प्रशासन को इस बात का जवाब देना चाहिए।   *प्रशांत किशोर ने सत्याग्रह करने का आह्वान 30 दिसंबर को किया था, छात्रों की मांग मानने के लिए प्रशासन को दिए थे 2 दिन* जिला अध्यक्ष चंद्रमणि सिंह ने आगे बताया कि जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर जी 2 जनवरी 2025 से लगातार आमरण अनशन पर हैं। बिहार में BPSC परीक्षा में हुई धांधली और अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों के आंदोलन को समर्थन देते हुए प्रशांत किशोर सबसे पहले 29 दिसंबर को पटना के गांधी मैदान में छात्र संसद में शामिल हुए थे। छात्र संसद में ये निर्णय हुआ कि मार्च निकाला जाए। पुलिस ने छात्रों के मार्च को जेपी गोलंबर पर रोक दिया था। प्रशांत किशोर जी छात्रों के प्रतिनिधिमंडल और हजारों छात्रों के साथ इस मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। अधिकारियों ने छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को बिहार के मुख्य सचिव से मिलवाने का वादा किया और सभी छात्रों से मार्च को खत्म करने की अपील की। प्रशांत जी ने भी ये बात मीडिया और छात्रों के साथ साझा किया। इसके प्रशांत जी और ज्यादातर छात्र वहां से लौट गए। इसके बाद पुलिस ने कायरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए कुछ बचे हुए सैकड़ों छात्र पर लाठियां बरसाई, पानी की बौछार की और उन्हें बेरहमी से पीटा। इस घटना से प्रशांत किशोर जी बेहद आहत हुए। हालांकि अगले दिन छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के मुख्य सचिव से मुलाकात की और अपनी बातों को रखा। प्रशांत किशोर जी ने 30 दिसंबर को कहा कि अगर प्रशासन 2 दिनों में छात्रों की मांगों पर विचार नहीं करती है तो वो खुद 2 जनवरी से BPSC के छात्रों के साथ सत्याग्रह करेंगे।   प्रशासन ने BPSC छात्रों की मांगें नहीं मानी। इसके बाद 2 जनवरी से प्रशांत किशोर जी छात्रों के साथ पटना में गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन पर बैठ गए। उन्हें लगातार छात्रों का समर्थन मिलता रहा और बिहार के सभी ज़िलों के युवा, छात्र और उनके माता-पिता इस अभियान से जुड़ते चले गए और बड़ी संख्या में लोग पटना के गांधी मैदान पहुंच कर प्रशांत जी को अपना समर्थन देने लगे। प्रशांत जी को पूरे बिहार से मिल रहे इस व्यापक समर्थन से घबरा कर नीतीश और भाजपा की प्रशासन ने एक बार फिर कायरता दिखाई और 6 जनवरी के अहले सुबह करीब 4 बजे प्रशांत किशोर जी समेत सभी अनशनकारियों को जबरन उठाकर ले गई और गिरफ्तार कर उनके ऊपर FIR कर दिया। प्रशांत जी को पुलिस 5 घंटे से अधिक एंबुलेंस और फिर अन्य वाहन में पटना और उसके आसपास के इलाके में घुमाती रही। फिर उन्हें कोर्ट लेकर गई, जहां से उन्हें जमानत मिल गया।   *प्रशांत किशोर का आमरण अनशन अस्पताल में भी जारी, छात्रों के साथ न्याय करने की मांग पर कायम है जन सुराज* छात्रों और आमलोगों ने इस पुलिसिया कार्रवाई का भारी विरोध किया। हजारों की संख्या में लोगों ने पटना में सड़क पर उतरकर प्रशांत किशोर और अन्य लोगों की गिरफ्तारी का विरोध किया। पुलिस ने प्रशांत किशोर जी को सिविल कोर्ट में पेश किया, जहां उन्होंने सशर्त बेल लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें बेऊर जेल ले जाया गया। उनके बेऊर जेल पहुंचने के कुछ घंटों के भीतर ही कोर्ट ने उन्हें बिना शर्त जमानत दे दी। इस बीच प्रशांत किशोर जी ने अपना आमरण अनशन जारी रखा है। 7 जनवरी की सुबह प्रशांत जी की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें ICU में शिफ्ट किया गया। उन्होंने कुछ खाने से इनकार कर दिया है और अस्पताल में भी अनशन जारी रखा है। जन सुराज पार्टी प्रशांत किशोर जी और BPSC छात्रों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन की इस कायरतापूर्ण कार्रवाई की कड़ी निंदा करती है। हमारी मांग है कि प्रशासन छात्र सत्याग्रह समिति की सभी 5 मांगों को मान कर अविलंब छात्र हित में निर्णय लें अन्यथा ये आंदोलन और तीव्र होगा। मौके पर जनसुराज जिला अध्यक्ष चंद्रमणि सिंह, निरंजन ठाकुर संयोजक, रिंकी पासवान स्त्री अध्यक्ष,  राम बालक पासवान प्रदेश कोर कमेटी राज कपूर सिंह प्रदेश कार्य समिति सदस्य,  गोविंद कुमार,  मनीष हिंदुस्तानी,  महेश ठाकुर, अमरेंद्र कुमार, विजय वात्स्यायन उपस्थित रहें।

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चुनाव याचिका खारिज

नया विचार पटना– हाईकोर्ट ने बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार गजानंद शाही की ओर से दायर चुनाव याचिका को खारिज कर दिया है। शाही ने जदयू विधायक सुदर्शन कुमार के निर्वाचन की वैधता को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। मंगलवार को न्यायमूर्ति नवनीत कुमार पांडे की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई की और याचिका को खारिज कर दिया। वर्ष 2020 में बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से जदयू के उम्मीदवार सुदर्शन कुमार को 113 मतों से निर्वाचित घोषित किया गया था। कांग्रेस प्रत्याशी गज्जानंद शाही ने नामांकन पत्र और मतगणना में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए यह चुनाव याचिका दायर की थी।

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केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई के लिए निचली अदालत से मांगा रिकॉर्ड

मामला प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द के प्रयोग का नया विचार- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग करने के आरोप में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जारी सम्मन के आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए पटना सिविल कोर्ट की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को निचली अदालत से अभिलेख मांगा। सांसदों और विधायकों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश अक्षय कुमार सिंह की अदालत ने केजरीवाल की ओर से दाखिल की गई पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के लिए निचली अदालत से मामले के अभिलेख की मांग करते हुए 27 जनवरी की अगली तिथि निश्चित की है। इस बीच मामले के शिकायतकर्ता रविभूषण प्रसाद वर्मा भी अदालत में उपस्थित हुए जिन्हें पुनरीक्षण याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता रविभूषण प्रसाद वर्मा ने हिंदुस्तानीय दंड विधान की धारा 332, 500 और 505 के तहत शिकायती मुकदमा दायर किया था। अदालत ने शिकापती मुकदमा संख्या 4908/2023 दर्ज करते हुए जांच के लिए विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत को सौंपा था। जांच के बाद विशेष न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ हिंदुस्तानीय दंड विधान की धारा 500 और 505 के तहत मामला प्रथमदृष्टया सही पाते हुए उनकी उपस्थिति के लिए सम्मन जारी करने का आदेश दिया था।

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प्रशांत किशोर का आमरण अनशन जारी, डॉक्टर्स ने जारी की स्वास्थ्य बुलेटिन

6 दिन से अनशन के कारण उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, पूरे दिन जांच के बाद शाम को जारी की जाएगी मेडिकल रिपोर्ट नया विचार –  जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर बिहार में शिक्षा व्यवस्था की खराब स्थिति के मद्देनजर वे 2 जनवरी से लगातार आमरण अनशन पर हैं। आज अब अनशन का छठवां दिन है। देर रात उनकी तबियत बिगड़ गई। जिसके बाद उन्हें पटना के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मेदांता अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर रविशंकर ने बताया कि आज पूरे दिन उनकी जांच की जाएगी, उनकी स्थिति अभी स्थिर है शाम तक कुछ कहा जा सकता है उन्हें क्या हुआ है। मोटे तौर पर डॉक्टर ने बताया कि ठंड में बैठे थे इसलिए तबियत बिगड़ी, सभी तरह की जांच की जाएगी फिर शाम में एक रिपोर्ट जारी किया जाएगा।

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प्रशांत किशोर की धरना में मोरवा के कार्यकर्ताओं ने किया प्रतिनिधित्व गिरफ्तारी की निंदा

नया विचार मोरवा: बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर की धरना में मोरवा प्रखंड के कार्यकर्ताओं ने भी प्रतिनिधित्व किया। धर्मपुर बांदे पंचायत निवासी धर्मनाथ शाह उर्फ विरू का नेतृत्व में आधे दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने कड़ाके की ठंढ में भी पटना की धरना सभा में शामिल होकर तथा प्रशांत किशोर के साथ अपनी गिरफ्तारी देकर प्रतिनिधित्व किया। बिहार प्रशासन द्वारा धरना एवं अनशन को शांति वार्ता के द्वारा तोड़वाने की बजाय प्रशांत किशोर को गिरफ्तार किए जाने और फिर छोड़ देने की निंदा की । धर्मनाथ शाह ने बताया कि प्रशासन के प्रति विरोध प्रदर्शन एवं धरना बिहार के विभिन्न स्थानों पर जारी रहेगी। साथ ही मोरवा प्रखंड के सभी जनसुराज कार्यकर्ताओं से बारी बारी से जनसुराज संस्थापक प्रशांत किशोर की सभी जायज मांगों के समर्थन शुरू किए गए आंदोलन में सहभागी बनने का आह्वान किया। मौके पर दर्जनों जनसुराज कार्यकर्ता मौजूद थे।

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प्रशांत किशोर ने बेल लेने से किया इनकार, जेल जाने से पहले बोले – गांधी के बिहार में अगर अनशन और सत्याग्रह करना गुनाह है तो मैं यह गुनाह करूंगा

नया विचार पटना: जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर 2 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे थे। जिसके बाद 6 जनवरी की सुबह 4 बजे बिहार पुलिस प्रशांत किशोर को आमरण अनशन स्थल गांधी मूर्ति से गिरफ्तार कर 5 घंटे तक एंबुलेंस में घुमाती रही फिर उन्हें फतुआ के सामुदायिक अस्पताल ले गई और उसके बाद पीरबहोर सिविल कोर्ट पटना लेकर आई। जहां से निकलने के बाद प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत की और उन्होंने कहा कि आज सुबह 4 बजे जहां हमलोग पिछले 5 दिनों से सत्याग्रह कर रहें थे, करीब 4 बजे पुलिस के साथी आए और बोले मेरे साथ चलिए। जाहिर सी बात है हमारे साथ भी काफी लोग मौजूद थे भीड़ थी लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं। पुलिस का बरताव खराब नहीं रहा है। जेल जाने के क्रम में मिडिया को संबोधित करते प्रशांत किशोर थप्पड़ मारने वाली समाचार जो मीडिया में चल रही है वो बेबुनियाद है। हमारी लड़ाई पुलिस से नहीं हैं। लेकिन मैं बताना चाहता हूं इसके बाद पुलिस मुझे लेकर AIIMS गई, वहां मुझे एक डेढ़ घंटे बैठा कर रखा वहां की हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने मेरा एडमिशन करने से मना कर दिया इसके पीछे क्या कारण रही। मुझे नहीं बताया गया। इस बीच में मेरे कई साथी समर्थक AIIMS के गेट पर आ गए थे। वहां से निकलते वक्त थोड़ी बहुत हाथापाई की गई।लेकिन वहां से पुलिस का बरताव गलत रहा 5 बजे से लेकर 11 बजे तक पुलिस मुझे एंबुलेंस में बैठा कर अलग अलग जगहों पर घुमाती रही है, लेकिन किसी ने नहीं बताया हम कहां जा रहें हैं। 5 घंटे बाद मुझे फतुआ के सामुदायिक केंद्र में ले गए। वह डॉक्टरों से मेरा परीक्षण करा कर एक सर्टिफिकेट लेना चाहते थें। लेकिन मैंने उसकी इजाजत नहीं दी क्योंकि मैं कोई गलत काम नहीं कर रहा। जिस कारण से डॉक्टर ने सार्टिफिकेट नहीं दिया और मैं वहां के डॉक्टर का धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने किसी गैरकानूनी काम में साथ नहीं दिया। इसके बाद पुलिस ने मेरा एक वीडियो रिकॉर्डिंग करवाया जिसमें पूछा गया मैं परीक्षण क्यों नही करवा रहा हूं। AIIMS से निकलते हुए प्रशांत किशोर “प्रशांत किशोर ने कहा सत्याग्रह जारी रहेगा .. बेल ठुकराकर जेल जाना स्वीकार किया, कहा– यह मौलिक लड़ाई है नीतीश और भाजपा के लाठीतंत्र को उखाड़ फेकना है!“ आगे प्रशांत किशोर ने बताया कि फिर पुलिस मुझे वापस पटना लाएं, करीब 2 घंटे घुमाकर। फिर मुझे कोर्ट में लाया गया यहां सीडीजीएम ने मुझे बेल दी है। लेकिन शर्त रखा गया की आप फिर से ये सब नही करेंगे इसलिए मैने उस बेल को रिजेक्ट कर दिया है। और जेल जाना स्वीकार किया है, इसलिए स्वीकार किया क्योंकि यह एक मौलिक लड़ाई है, बिहार में स्त्रीओं और युवाओं पर लाठी चलाना जायज है, और उसके खिलाफ आवाज उठाना जुर्म है। तो हम जेल जाने के लिए तैयार हैं। गांधी मैंदान जो की एक पब्लिक प्रॉपर्टी है वहां जाकर अपनी मन की बात रखना और जिस बिहार में गांधी ने सत्याग्रह की अगर वहां सत्याग्रह करना गुनाह है तो हमें वो गुनाह करना मंजूर हैं। इसलिए मैने बेल नही लिया, क्योंकि ये मेरी लड़ाई खिलाफ है जिन युवाओं ने मेरा साथ दिया, ये उनके साथ धोखा होगा। और ये जो मेरा अनशन 5 दिन से चल रहा है वह जेल में भी जारी रहेगा जब तक प्रशासन इसका रास्ता नहीं निकलती ये बदलने वाला नहीं है। आगे उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की पुलिस वालों के साथ धक्का – मुक्की नहीं कीजिए, इन्हे ऊपर से आदेश इसलिए ये ऐसा कर रहें हैं। यह अभियान लाठीतंत्र चलाने वाले नीतीश और भाजपा को उखाड़ने का अभियान हैं।

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नीतीश कुमार को लेकर बिहार में फिर से क्यों है हलचल, क्या करवट बदलेगी राजनीति

  नया विचार – कहा जाता है कि नेतृत्व में कुछ भी बेवजह नहीं होता है. संभव है कि वजह बाद में पता चले. बिहार में नीतीश कुमार कुछ भी करने वाले होते हैं तो उसके संकेत पहले से ही मिलने लगते हैं. कई बार लगता है कि ये तो सामान्य बात है लेकिन कुछ महीने बाद ही असामान्य हो जाती है. नीतीश कुमार की एक तस्वीर पर ख़ूब बात हो रही है. इस तस्वीर में नीतीश कुमार ने हँसते हुए तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखा है और तेजस्वी हाथ जोड़कर थोड़ा झुक कर हँस रहे हैं. हालांकि यह एक प्रशासनी कार्यक्रम की तस्वीर है. जहां पक्ष और विपक्ष का आना एक औपचारिक रस्म होता है. लेकिन कई बार औपचारिक रस्म में ही अनौपचारिक चीज़ें हो जाती हैं. दरअसल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान राज्यपाल की शपथ ले रहे थे और इसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार भी मौजूद थे और बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी. दोनों नेताओं की यह तस्वीर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा था कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाज़े खुले हुए हैं. बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और राज्य के सियासी गलियारों में पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार को लेकर लगातर अटकलें लगाई जा रही हैं. इन अटकलों को नीतीश की चुप्पी ने भी हवा दी है. लालू के इस बयान के बाद बिहार में कांग्रेस के नेता शकील अहमद ख़ान ने भी कहा, “गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करने वाले लोग गोडसेवादियों से अलग हो जाएंगे, सब साथ हैं, नीतीश जी तो गांधीजी के सात उपदेश अपने टेबल पर रखते हैं.” क़रीब एक साल पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन का साथ छोड़ा था और वापस एनडीए में चले गए थे. वो अगस्त 2022 में दोबारा बिहार में महागठबंधन से जुड़े थे. गुरुवार को जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पत्रकारों ने इस मुद्दे पर सवाल किया तो वो ख़ामोश दिखे, लेकिन राज्य के नए राज्यपाल ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, “आज शपथ ग्रहण का दिन है, नेतृत्वक सवाल मत पूछिए.” हालांकि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने लालू के बयान से किनारा करते हुए कहा, “छोड़िए न… लालू जी क्या बोलते हैं, क्या नहीं बोलते हैं ये लालू जी से जाकर पूछिए हमलोग एनडीए में हैं और मज़बूती से एनडीए में हैं.” हालांकि ललन सिंह का यह कहना बहुत मायने नहीं रखता है क्योंकि नीतीश कुमार ने तो यहां तक कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन फिर से बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा. क्या नीतीश फिर पाला बदल सकते हैं ? बिहार में बीजेपी के नेता कई बार इस तरह का बयान देते हैं कि वो राज्य में अपना मुख्यमंत्री और अपनी प्रशासन चाहते हैं. पिछले दिनों बीजेपी विधायक और राज्य प्रशासन में उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौक़े पर कहा था कि अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब राज्य में बीजेपी का अपना मुख्यमंत्री होगा. हालांकि बाद में वो अपने बयान से पलटते नज़र आए और एक बयान जारी कर नीतीश कुमार को बिहार में एनडीए का चेहरा बताया. हाल के समय में देशभर में कई क्षेत्रीय दलों में टूट हुई है, जिनमें महाराष्ट्र की शिव सेना और एनसीपी जैसे दल भी शामिल हैं. बिहार में रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी एलजेपी के भी दो टुकड़े हो गए, जिसके लिए चिराग पासवान ने बीजेपी के प्रति नाराज़गी भी जताई थी. इसके अलावा ओडिशा में बीजू जनता दल जैसी ताक़तवर क्षेत्रीय पार्टी भी बीजेपी से हार गई. क्षेत्रीय पार्टियों के कमज़ोर पड़ने का सीधा फायदा बीजेपी को हो रहा है. ऐसे में क्या नीतीश के मन में भी बीजेपी का डर है? वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, “डर बड़े-बड़े नेताओं को होता है तो नीतीश कुमार को क्यों नहीं होगा. इसलिए नीतीश कुमार दो तरह से स्पोर्ट्स रहे हैं. वो बीजेपी के साथ हैं और तेजस्वी के कंधे पर हाथ रखकर संकेत दे रहे हैं कि हालात बदले तो वो आरजेडी के साथ भी आ सकते हैं.” वरिष्ठ पत्रकार मानते हैं कि अगर नीतीश को कभी बिहार की सत्ता किसी और को सौंपनी पड़े तो उनकी पार्टी में कोई नेता नहीं है और वो बिहार के मौजूदा नेताओं को यहां की सत्ता नहीं सौंपेंगे, ऐसी स्थिति में उनके लिए तेजस्वी यादव ज़्यादा सही हैं. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार बिहार की मौजूदा सियासत को कुछ अलग नज़रिए से देखते हैं. उनका कहना है, “नीतीश नेतृत्वक तौर पर मज़बूत हैं, इसलिए उनकी चर्चा होती रहती है. अलग बीजेपी ने नीतीश की पार्टी तोड़ी तो भी उनका वोट नहीं तोड़ पाएंगे. नीतीश के भरोसे ही केंद्र की प्रशासन चल रही है तो बीजेपी ऐसा क्यों करेगी.” उनका मानना है कि बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्य में बहुत फ़र्क़ है. नीतीश कुमार सियासी तौर पर बहुत अनुभवि नेता हैं, जो हर चाल को पहले ही भांप लेते हैं. वो कहते हैं, ” नीतीश अगर आरजेडी के साथ जाते हैं तो भी वो ज़्यादा से ज़्यादा सीएम ही रहेंगे, पीएम नहीं बन जाएंगे. हो सकता है कि नीतीश कुमार बीजेपी पर दबाव बना रहे हों कि वो 122 विधानसभा सीटें चाहते हैं, बाक़ी सीटें बीजेपी अपने सहयोगियों के साथ बांटे.” बिहार में कैसे शुरू हुईं अटकलें बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू को महज़ 43 सीटों पर जीत मिली थी जबकि उसने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि इसके बाद भी नीतीश कुमार ही राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. पहले उन्होंने एनडीए में रहकर सीएम पद अपना दावा बनाए रखा और फिर अगस्त 2022 में महागठबंधन में आ गए. उनकी पार्टी ने उस वक़्त आरोप भी लगाया था कि जेडीयू को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी. एक चैनल के कार्यक्रम में अमित शाह से पूछा गया कि एनडीए ने महाराष्ट्र में बिना सीएम का चेहरा पेश किए बड़ी जीत हासिल की है, तो क्या बीजेपी बिहार में भी ऐसा प्रयोग करना चाहेगी? तो अमित शाह ने कहा मैं पार्टी का

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आगामी विधानसभा चुनाव में फिर मुख्यमंत्री बनेंगे नीतीश कुमार 

  नवि प्रतिनिधि मोरवा : आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे नीतीश कुमार। उक्त बातें पूर्व विधायक विद्यासागर सिंह निषाद ने जदयू कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहीं। प्रखंड के ररियाही पंचायत में जदयू के राष्ट्रीय सचिव विद्यासागर सिंह निषाद की उपस्थिति एवं प्रखंड अध्यक्ष शर्वेन्दु कुमार शरण की अध्यक्षता में जदयू कार्यकर्ताओं की आवश्यक बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयार रहने का आह्वान किया।कार्यकर्ताओं को संबोधित कर नीतीश प्रशासन के द्वारा चलाए जा रही लाभकारी योजनाओं को विस्तार से बताया और 2025 से 2030 में बिहार की कमान नीतीश जी को सौपने का संकल्प दिलाया । प्रखंड अध्यक्ष शर्वेन्दु कुमार शरण ने 10 जनवरी से घरविहीन लोगों के प्रधानमंत्री आवास योजना एवं मुख्यमंत्री आवास योजना शुरू करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार जताया। मुखिया सीताराम राय, पंचायत अध्यक्ष मुकेश राय, गणेश पटेल, प्रखण्ड उपाध्यक्ष विजय साह, बलिद्र राय , पंकज राय, रामबलि राम, महेंद्र राय , संजय सहनी, श्यामबाबू दाहा, नरेश मल्लिक, सुरवली राम, संजय सिन्हा, हरिहर पंडित, अरविंद दास, मुखिया चौधरी सहनी, राजेश सहनी, वीरेंद्र दास ,धीरेंद्र राय, विपिन राय, सखिचंद सादा, मिथलेश साह, रामचंद्र साह, नथुनी साह ,उपेद्र साह, रामबाबू राम, मो. अमीम बख्खों, देवेंद्र पासवान, चंदन चौधरी आदि ने बैठक को सम्बोधित किया। मौके पर प्रखंड के अधिकांश कार्यकर्ता एवं ग्रामीण मौजूद थे।

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महिलाओं के लिए वरदान बनेगा माई-बहन मान योजना 

नया विचार प्रतिनिधि,मोरवा : बिहार की स्त्रीओं के लिए वरदान बनेगा माई बहन मान योजना। उक्त बातें विधायक रणविजय साहू ने हलई हाट पर आयोजित कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं। विधायक ने बताया कि बिहार प्रशासन के प्रतिपक्ष के नेता सह पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा घोषित बिहार की स्त्रीओं के लिए प्रति महीने 2500 रुपए बिहार की स्त्रीओं के लिए वरदान साबित होगा। विधायक ने बताया कि आगामी विधानसभा चुनाव में राजद की प्रशासन बनने पर इस योजना से गरीब –अमीर सभी घरों की स्त्रीओं को इसका लाभ मिलेगा। प्रचार रथ को रवाना करते राजद विधायक रणविजय साहू  इसके साथ ही माई-बहन मान योजना का साइकिल प्रचार रथ को विधायक रणविजय साहू के द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। साइकिल प्रचार रथ यात्रा में मोरवा से राजेन्द्र आर्य, पटोरी एवं ताजपुर से जीतेन्द्र कुमार, दिलीप कुमार एवं दीपनारायण सिंह के नेतृत्व में रवाना किया गया। प्रखंड अध्यक्ष मुन्ना कुमार यादव एवं व्यावसायिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष चंदन साह की संयुक्त अध्यक्षता तथा उपाध्यक्ष मनोज कुमार राय के संचालन में राजद कार्यकर्ताओं ने इस योजना के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी दी। योगेंद्र राय, रामानंद राय, रघुवीर आजाद, दिनेश राय, रामबाबू पासबान, हरेंद्र पंडित, पटोरी प्रमुख सुरेश राय, जितेंद्र राय, राम शंकर राय, देवानंद राय, सुरेश राय, रेणु देवी,रिंकू देवी, धर्मशिला देवी आदि ने संबोधित किया। मौके पर सैंकड़ो लोग मौजूद थे।

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