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Indian Judiciary – भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में भारतीय न्यायाधीशों को वास्तविक रूप से दंड से मुक्ति क्यों मिलती है?

हिंदुस्तान में किसी भी वर्तमान या पूर्व न्यायाधीश पर कभी भी भ्रष्टाचार के लिए महाभियोग नहीं लगाया गया है या उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। नया विचार ( विनोद कुमार झा ) – भ्रष्टाचार के आरोपों से न्यायपालिका जिस तरह निपटती है, वह उन समाचारों के परिणामस्वरूप सुर्खियों में आ गई है, जिनमें कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर में कथित तौर पर बेहिसाब नकदी पाई गई। यद्यपि हिंदुस्तान में भ्रष्टाचार के लिए किसी भी न्यायाधीश पर कभी महाभियोग नहीं लगाया गया है या उसे दोषी नहीं ठहराया गया है, फिर भी भ्रष्टाचार के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ मोटे तौर पर दो तरह की कार्रवाई की जा सकती है। पहला तरीका है न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनाई गई आंतरिक प्रक्रिया, जिसके परिणामस्वरूप न्यायाधीश इस्तीफा दे सकते हैं या उन्हें न्यायिक कार्य आवंटित नहीं किया जा सकता है। अत्यंत दुर्लभ मामलों में, इसके परिणामस्वरूप न्यायाधीश के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मिल सकती है। दूसरा है संसद द्वारा महाभियोग। संविधान में विस्तृत रूप से बताया गया है कि इससे न्यायाधीश की बर्खास्तगी हो जाती है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, भ्रष्टाचार के लिए अभियोजन की कमी यह दर्शाती है कि मौजूदा तंत्र न्यायिक भ्रष्टाचार को संबोधित करने में सक्षम नहीं हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों को पलटने जैसे सुधारों का सुझाव देते हैं जो न्यायाधीशों को जांच से बचाते हैं और न्यायिक अवमानना के हिंदुस्तान के सख्त मानकों को उदार बनाते हैं जो न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर सार्वजनिक चर्चा को रोकते हैं। आंतरिक प्रक्रिया उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ कदाचार के आरोपों को संबोधित करने के लिए इन -हाउस प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 1999 में शुरू की गई थी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत राष्ट्रपति, हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को की जानी चाहिए, जो इसकी जांच करते हैं। गंभीर आरोपों के लिए, न्यायाधीश की प्रतिक्रिया मांगी जाती है। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक है, तो मामला बंद कर दिया जाता है। अन्यथा, शिकायत और जवाब हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया जाता है, जो गहन जांच का आदेश दे सकते हैं। दो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और एक न्यायाधीश वाली तीन सदस्यीय समिति अनौपचारिक जांच करती है। आरोपी न्यायाधीश भाग ले सकता है, लेकिन वकीलों और गवाहों से जिरह की अनुमति नहीं है। यदि आरोप गंभीर हैं, तो न्यायाधीश को इस्तीफा देने की सलाह दी जाती है। अगर वे मना करते हैं, तो न्यायिक कार्य वापस ले लिया जाता है और हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश महाभियोग की सिफारिश कर सकते हैं। कम कदाचार के लिए, न्यायाधीश को परामर्श दिया जाता है और समिति की रिपोर्ट उनके साथ साझा की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय ने 2003 के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि इस तंत्र के तहत जांच रिपोर्ट गोपनीय होती है । नतीजतन, जिन न्यायाधीशों के खिलाफ कार्यवाही की गई है और उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनकी संख्या अस्पष्ट बनी हुई है। 2002 में, केंद्रीय कानून मंत्रालय ने संसद को सूचित किया कि 2017 और 2021 के बीच न्यायिक भ्रष्टाचार के बारे में 1,631 शिकायतें प्राप्त हुईं और हिंदुस्तान के मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को भेज दी गईं। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में सांप्रदायिक टिप्पणी के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ ऐसी ही प्रक्रिया शुरू की थी । इसका परिणाम अस्पष्ट है और यादव उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बने हुए हैं। महाभियोग प्रक्रिया संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग संविधान और न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, 1968 के अनुसार चलाया जाता है । संसद संविधान के अनुच्छेद 124(4) और (5) के तहत अनुच्छेद 218 के साथ “सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता” के लिए निष्कासन की पहल कर सकती है, हालांकि “दुर्व्यवहार” को कहीं भी स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। न्यायालयों ने इसे भ्रष्टाचार, ईमानदारी की कमी या जानबूझकर किए गए कदाचार के रूप में व्याख्यायित किया है। निष्कासन प्रस्ताव के लिए 100 लोकसभा सांसदों या 50 राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। यदि स्वीकार किया जाता है, तो तीन सदस्यीय न्यायिक समिति मामले की जांच करती है। यदि कदाचार सिद्ध होता है, तो संसद मतदान करती है, जिसके लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। यदि पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति को न्यायाधीश को हटाने की सलाह दी जाती है। हिंदुस्तान में कभी भी सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश पर महाभियोग नहीं लगाया गया है। 1993 में, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी रामास्वामी ऐसे पहले जज बने, जिन पर महाभियोग प्रस्ताव का सामना करना पड़ा , क्योंकि उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए अपने आधिकारिक आवास पर अत्यधिक धनराशि खर्च की थी। हालाँकि स्पीकर द्वारा गठित न्यायिक समिति ने रामास्वामी को 14 में से 11 आरोपों में दोषी पाया, लेकिन उन्हें हटाने का प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया। 2009 में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनाकरन के खिलाफ उनके कानूनी आय स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव सफलतापूर्वक पारित हो गया था। जब न्यायिक आयोग उनके खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा था, तब उन्होंने 2011 में इस्तीफा दे दिया था ।b2011 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौमित्र सेन के खिलाफ सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोप में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। उन्हें हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पारित हो गया था। लेकिन लोकसभा में आने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया । आपराधिक अभियोजन? ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जब संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों को भ्रष्टाचार के आरोपों के लिए आपराधिक अभियोजन का सामना करना पड़ा हो। 1976 में, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के वीरास्वामी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1947 के तहत मामला दर्ज किया। इसके बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई जिसमें बताया गया कि मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद उनकी संपत्ति उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक बढ़ गई। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने

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Aduvic School Management Software & App: शिक्षा जगत में क्रांति लाने को तैयार!

नया विचार, समस्तीपुर: शिक्षा जगत में तकनीकी विकास के साथ, स्कूल प्रशासन को आसान और प्रभावी बनाने के लिए Aduvic School Management Software & Mobile App को लॉन्च किया गया है। यह सॉफ़्टवेयर स्कूलों के एडमिनिस्ट्रेटर, शिक्षक, छात्रों और अभिभावकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा। Aduvic: एक एफर्टलेस स्कूल मैनेजमेंट सॉल्यूशन Aduvic का उद्देश्य स्कूल मैनेजमेंट को पूरी तरह से डिजिटल बनाना और सभी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आसान करना है। इसमें एडमिनिस्ट्रेटर के लिए क्लास मैनेजमेंट, स्टूडेंट ट्रैकिंग, फीस कलेक्शन, परीक्षा प्रबंधन, स्टाफ मैनेजमेंट जैसी सुविधाएँ शामिल हैं। Aduvic के अनोखे फीचर्स Aduvic को कई उन्नत विशेषताओं के साथ लॉन्च किया गया है, जो इसे अन्य स्कूल मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर से अलग बनाते हैं: सेशन मैनेजमेंट: नए सेशन बनाएं और पुराने सेशन्स का रिकॉर्ड रखें। स्टूडेंट मैनेजमेंट: स्टूडेंट्स का नामांकन, क्लास असाइनमेंट और रोल नंबर जेनरेशन ऑटोमेटिक होता है। इनक्वायरी मैनेजमेंट: स्कूल-वाइज इनक्वायरी रिकॉर्ड कर सकते हैं। होमवर्क एवं स्टडी मटेरियल: शिक्षक डिजिटल रूप से स्टडी मटेरियल और होमवर्क असाइन कर सकते हैं। Aduvic सॉफ्टवेयर के डेमो स्कूल डैशबोर्ड का छायाचित्र। स्वचालित नोटिफिकेशन सिस्टम: ईमेल, SMS के माध्यम से आवश्यक जानकारी छात्रों और अभिभावकों तक पहुँचाई जाती है। परीक्षा और अटेंडेंस प्रबंधन: अटेंडेंस ट्रैकिंग, परीक्षा समय सारणी, एडमिट कार्ड जनरेशन और परिणाम घोषित करना आसान हुआ। एकाउंटिंग और फीस मैनेजमेंट: ऑटोमेटेड फीस कलेक्शन, इनवॉइस जनरेशन, ऑनलाइन भुगतान की सुविधा। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आधारित सुरक्षा: छात्रों और शिक्षकों का डेटा अत्यंत सुरक्षित रखा जाता है।   Aduvic की कीमत और प्लान्स Aduvic वर्तमान में एक वार्षिक सब्सक्रिप्शन मॉडल के तहत उपलब्ध है। इसकी कीमत ₹4999 प्रति वर्ष है। फिलहाल कोई फ्री ट्रायल उपलब्ध नहीं है, लेकिन किफायती मूल्य इसे अन्य महंगे सॉफ़्टवेयर से बेहतर विकल्प बनाता है। संस्थापक की प्रेरणादायक कहानी Aduvic के संस्थापक प्रकाश झा की कहानी संघर्ष और सफलता का बेहतरीन उदाहरण है। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले प्रकाश झा के पिता एक शिक्षक हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत RO वाटर प्यूरीफायर मैकेनिक के रूप में की थी। 2022 में उन्होंने “जंगल सफारी रेस्टोरेंट” नामक एक अनोखा रेस्टोरेंट खोला, जिसे उन्होंने 12 लाख की लागत से स्थापित किया था। लेकिन व्यापारिक मतभेदों और धोखे के कारण यह 9 जनवरी 2023 को बंद हो गया। इस असफलता के कारण उन्हें समाज में कई आलोचनाओं और तानों का सामना करना पड़ा। लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने एक बड़ी योजना बनाई। उन्होंने लगातार दो वर्षों तक संघर्ष किया, कई बार आर्थिक संकटों का सामना किया और अपने टैलेंट को आगे बढ़ाते हुए वेब डेवलपमेंट सर्विसेज में कदम रखा। अपनी मेहनत और प्रतिबद्धता से उन्होंने 15 मार्च 2025 को Aduvic School Management Software लॉन्च किया। संस्थापक प्रकाश झा एवं उनके पूर्व संस्थान जंगल सफारी फॅमिली रेस्टोरेंट की छायाचित्र। प्रकाश झा कहते हैं: “मेरा सपना था कि स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को टेक्नोलॉजी से जोड़कर इसे आसान बनाया जाए। Aduvic एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो स्कूलों को डिजिटल क्रांति की ओर ले जाएगा।” ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और सुरक्षा Aduvic को अत्याधुनिक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बनाया गया है, जिससे डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है। यह तकनीक धोखाधड़ी और डेटा ब्रेक से बचाव करती है, जिससे स्कूलों के प्रशासन को सुरक्षित बनाया जा सकता है। मार्केट इम्पैक्ट और लॉन्चिंग Aduvic के लॉन्च के बाद से अब तक 500+ स्कूलों ने इसे अपनाने की इच्छा जताई है। संस्थापक को विश्वास है कि अगले एक वर्ष में 5000 से अधिक स्कूल इस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करेंगे। संस्थापक प्रकाश झा के शब्द Aduvic School Management Software न केवल शिक्षा प्रणाली को डिजिटाइज़ कर रहा है, बल्कि इसे अधिक सुगम, प्रभावी और किफायती भी बना रहा है। इसके संस्थापक प्रकाश झा की संघर्षपूर्ण यात्रा इसे और भी प्रेरणादायक बनाती है। यह सॉफ़्टवेयर आने वाले वर्षों में शिक्षा जगत में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है। अधिक जानकारी के लिए: www.aduvic.com

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समय रैना का सही नहीं चल रहा समय, जानें क्या कहती है इनकी कुंडली

Samay Raina Kundali: कॉमेडियन समय रैना और पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया पर विवादास्पद टिप्पणियां करने का आरोप लगाया गया है. इस संदर्भ में रैना के कार्यक्रम ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ से संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं. ज्योतिष के नजरिए से हम बताने जा रहे हैं कि समय रैना का आने वाला समय कैसा रहेगा और उनकी कुंडली क्या कहती है. समय रैना का जन्म 26 अक्टूबर 1997 को दोपहर 2:00 बजे जम्मू कश्मीर, हिंदुस्तान में हुआ.उनकी कुंडली मकर लग्न की है और राशि सिंह है.उनका जन्म पूर्वाफाल्गुन नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है.लग्नेश शनि मीन राशि में स्थित है और जन्मकुंडली के तीसरे भाव में है.केतु कुम्भ राशि में धन भाव में विराजमान है, जबकि गुरु मकर राशि में पहले भाव में स्थित है. राहु के साथ चंद्रमा सिंह राशि में जन्मकुंडली के आठवें भाव में है.सूर्य और बुध तुला राशि में दशम भाव में हैं, जबकि मंगल और शुक्र वृश्चिक राशि में एकादश भाव में स्थित हैं. उनके जन्मकुंडली के दशम भाव में बुधादित्य योग बनता है, जो उनके करियर के लिए लाभकारी है.सूर्य नीच के होते हुए भी उनके जीवन में शिक्षा में प्रगति लाएगा और आत्मविश्वास को बढ़ाएगा.सूर्य और बुध की युति के प्रभाव से वे लोकप्रिय रहेंगे, उनकी वाणी का प्रभाव मजबूत होगा, और वे विवेकवान, धनवान, तथा सत्यवादी बने रहेंगे.अपने जीवन में वे कई प्रतियोगिताओं में सफल होंगे.देवगुरु वृहस्पति केंद्र में स्थित होकर पंचम, सप्तम और नवम भाव पर प्रभाव डाल रहा है.इस स्थिति में व्यक्ति का स्वाभिमान प्रबल रहेगा, लेकिन उनमें घमंड की भी भरपूर मात्रा होगी.समय-समय पर व्यभिचार और अन्य समस्याएं उनके जीवन में कठिनाई उत्पन्न करेंगी. ऐसा रहेगा समय रैना का करियर करियर का संबंध बुध के भाव से है, जो दशम भाव में सूर्य के साथ स्थित है.शुक्र और मंगल एकादश भाव में हैं, और बुध इनकी करियर की संभावनाओं को सशक्त बनाएगा.हालांकि, राहू और चंद्रमा आठवें भाव में स्थित हैं, जो सिंह राशि में हैं, जिससे इनकी वाणी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.चंद्रमा का आठवें भाव में होना माता-पिता के साथ भी समस्याएँ उत्पन्न करेगा.इनके स्वभाव में निरंतर परिवर्तन होता रहेगा, जो इनके मान-सम्मान को प्रभावित कर सकता है.ये हमेशा चिंतित रहेंगे और अपने जीवन में कई बार विवादों में फंस सकते हैं. समय रैना के वर्तमान ग्रहों की स्थिति वर्तमान में चंद्रमा की महादशा 14 फरवरी 2023 से प्रारंभ हुई है.वर्तमान गोचर में, 14 जुलाई 2024 से चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही है, जिससे इनकी वाणी में उतार-चढ़ाव आएगा और मानसिक तनाव उत्पन्न होगा.इसके साथ ही, बुरी आदतों की लत लगने की संभावना है.यह समय इनके लिए अनुकूल नहीं है, और विवाद इतना बढ़ सकता है कि मामला न्यायालय तक पहुंच सकता है.वर्तमान में इनका समय अनुकूल नहीं है, पूरे वर्ष के दौरान करियर में विवाद उत्पन्न होंगे.यात्रा व्यर्थ साबित होगी और कष्टकारी रहेगी, स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहेगा.इस समय यदि परिस्थितियों के अनुसार कार्य किया जाए, तो सफलता प्राप्त की जा सकती है. जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. ज्योतिषाचार्य अमित कुमार झा ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 6204391233 The post समय रैना का सही नहीं चल रहा समय, जानें क्या कहती है इनकी कुंडली appeared first on Naya Vichar.

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क्या रणवीर इलाहाबादिया के पक्ष में नहीं हैं किस्मत के सितारे, जानें बन रही है ग्रहों की स्थिती

Ranveer Allahbadia Kundali, Grah Yog: समय रैना के कार्यक्रम ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में रणवीर इलाहाबादिया ने माता-पिता के संबंधों पर एक विवादास्पद टिप्पणी की, जिसके परिणामस्वरूप सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया. हमने रणवीर इलाहाबादिया की कुंडली खंगाली, जिससे उनके व्यवाहार और आने वाले जीवन के बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिला. रणवीर विवादों में घिर चुके हैं और ये कितना आगे जा सकता है, इसके बारे में हम आपको ज्योतिषशास्त्र की नजर से यहां बताने जा रहे हैं. रणवीर इलाहाबादिया की बढ़ सकती हैं समस्याएं रणवीर इलाहाबादिया का जन्म 01 जून 1993 को स्थानीय समयानुसार दोपहर 02:00 बजे मुंबई में हुआ. उनकी जन्मकुंडली के अनुसार, रणवीर का जन्म कन्या लग्न में हुआ है और उनकी राशि तुला है. उनका जन्म नक्षत्र चित्रा के चौथे चरण में हुआ है. जन्मकुंडली के अनुसार, लग्नेश दशम भाव में मिथुन राशि में स्थित है. लग्न में देवगुरु वृहस्पति कन्या राशि में विराजमान हैं, जबकि मंगल एकादश भाव में कर्क राशि में है. शनि छठे भाव में कुंभ राशि में है और शुक्र मेष राशि का है, जो लग्न कुंडली के आठवें भाव में स्थित है. राहु तीसरे भाव में वृश्चिक राशि में है, जबकि केतु और सूर्य नवम भाव में वृष राशि में हैं. चंद्रमा तुला राशि में है, और केतु तथा सूर्य नवम भाव में स्थित हैं. केंद्र में देवगुरु की उपस्थिति है. रणवीर का स्वभाव स्वार्थी हो सकता है, लेकिन वे भाग्यशाली रहेंगे. उनकी शिक्षा उच्च स्तर की होगी और कई प्रतियोगी परीक्षाओं में उनके परिणाम अच्छे रहे हैं. सूर्य और केतु के प्रभाव से इनके स्वभाव में नैतिकता बनी रहेगी. प्रारंभिक अवस्था में इनका जीवन साधारण रहेगा, लेकिन जैसे-जैसे आयु बढ़ेगी, ये अपनी मेहनत के अनुसार प्रगति करेंगे. सूर्य और केतु नवम भाव में स्थित होने के कारण पिता के साथ इनका संबंध मजबूत नहीं रहेगा. परिवार में अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास करने से समस्याएं बढ़ सकती हैं. सूर्य के प्रभाव से इनके कार्यक्षेत्र में मजबूती आएगी. शिक्षा और करियर उच्च शिक्षा का महत्व रहेगा, जिसके कारण करियर में निरंतर प्रगति होगी. शनि का प्रभाव आठवें भाव पर होने के कारण करियर में मजबूती आएगी. प्रशासन से मान-सम्मान प्राप्त होगा और प्रशासनी क्षेत्र में उनकी उपलब्धियाँ उल्लेखनीय रहेंगी. संवाद करने की शैली उच्च स्तर की होगी, जिससे जीवन में यश की प्राप्ति होगी. पैतृक संपत्ति का लाभ भी मिलेगा. शनि और शुक्र के प्रभाव से उनका करियर अभिनय और सोशल मीडिया से संबंधित कार्यों में उन्नति करेगा. वर्तमान की स्थिति वर्तमान में रणवीर की जन्मकुंडली में गुरु की महादशा 14 मई 2014 से प्रारंभ हुई है, और इस समय गुरु की महादशा में मंगल की अंतर्दशा चल रही है. इस दौरान कुछ विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन वे परिस्थितियों के अनुसार विवादों को सुलझाने का प्रयास करेंगे. इस समय बातचीत करते समय वे अपना संयम खो सकते हैं, जिससे मान-सम्मान में कमी आ सकती है. मंगल एकादश भाव में स्थित है. ज्योतिषाचार्य अमित कुमार झा ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ 6204391233 The post क्या रणवीर इलाहाबादिया के पक्ष में नहीं हैं किस्मत के सितारे, जानें बन रही है ग्रहों की स्थिती appeared first on Naya Vichar.

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दवा, दारू, दर, दीन और कालिंदी, AAP के अरविंद केजरीवाल की हार की 5 बड़ी वजह

Arvind Kejriwal: दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की अप्रत्याशित हार ने कई नेतृत्वक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है. आम आदमी पार्टी (AAP) जिसने एक समय दिल्ली की नेतृत्व में क्रांतिकारी बदलाव लाया था, अब सत्ता से बाहर हो चुकी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. पार्टी ने कई सीटों पर बढ़त बनाते हुए रुझानों में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है. 2013 में अन्ना हजारे के आंदोलन से नेतृत्व में कदम रखने वाले अरविंद केजरीवाल को पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. चुनाव के दौरान ही हार के संकेत मिलने लगे थे, लेकिन केजरीवाल अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के सहारे इसे जीत में बदलने की कोशिश करते रहे. इस हार के पीछे दवा, दारू, दर (शीशमहल), दीन (मुस्लिम वोट बैंक) और कालिंदी (यमुना नदी) जैसे पाँच प्रमुख कारण माने जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली से खुद अपनी सीट से हार गए हैं. भाजपा के प्रवेश वर्मा ने उन्हें शिकस्त दी है. आइए जानते हैं, AAP की इस हार के 5 प्रमुख वजहें… 1. दवा: मोहल्ला क्लीनिक मॉडल की गिरती साख केजरीवाल प्रशासन ने मोहल्ला क्लीनिक और प्रशासनी अस्पतालों के मॉडल को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया था. लेकिन चुनाव से पहले आई स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोर स्थिति और मुफ्त दवाओं की अनुपलब्धता ने जनता को निराश किया. दिल्ली के प्रशासनी अस्पतालों में बदहाल सुविधाओं और डॉक्टरों की कमी के चलते कई मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ा. इससे आम जनता में AAP प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ी, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा. 2. दारू: शराब नीति पर विवाद और भ्रष्टाचार के आरोप केजरीवाल प्रशासन की नई शराब नीति को लेकर विपक्ष ने जोरदार हमला किया. आरोप लगे कि नई नीति के तहत शराब के ठेकों की संख्या बढ़ा दी गई, जिससे दिल्ली में शराब की खपत बढ़ गई और कई इलाकों में कानून-व्यवस्था बिगड़ने लगी. इस मुद्दे ने स्त्री मतदाताओं को खासा नाराज किया, क्योंकि उन्हें लगा कि यह नीति सामाजिक बर्बादी को बढ़ावा दे रही है. इसी दौरान शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और घोटाले के आरोपों ने AAP की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया. इसके कारण अरविंद कुल 177 दिन जेल में रहे तो सिसोदिया ने 17 महीने जेल बिताए. यह सब उनकी नकारात्मक छवि में जुड़ता गया. 3. दर (शीशमहल): आलीशान बंगले पर विवाद केजरीवाल, जो खुद को आम आदमी के नेता के तौर पर पेश करते थे, उनके लग्जरी “शीशमहल” बंगले को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ. जब यह सामने आया कि प्रशासनी फंड से 45 करोड़ रुपये खर्च कर मुख्यमंत्री आवास को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया, तो जनता के बीच “आम आदमी बनाम विशेष आदमी” की बहस छिड़ गई. विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाकर AAP प्रशासन को घेर लिया और जनता में भी यह धारणा बनी कि केजरीवाल अब साधारण नेता नहीं रहे. 4. दीन: मुस्लिम वोट बैंक में सेंध AAP को हमेशा से मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार इस वोट बैंक में दरार पड़ गई. हाल के वर्षों में कई मुस्लिम समुदायों ने कांग्रेस और अन्य दलों की ओर रुख कर लिया. दिल्ली दंगों, शाहीन बाग आंदोलन और AAP की केंद्र के प्रति नरम नीति को लेकर मुस्लिम मतदाता असमंजस में रहे. यही वजह रही कि AAP को अपने पारंपरिक वोट बैंक का पूरा समर्थन नहीं मिला और इसका सीधा फायदा विपक्षी दलों को हुआ. केजरीवाल ने 2020 में हुए दिल्ली दंगों में मुस्लिम जनता का उस तरह से साथ नहीं दिया, जितनी उस समाज की अपेक्षा थी. यह भी उनकी हार के प्रमुख कारणों में रहा. 5. कालिंदी (यमुना नदी): जल संकट और प्रदूषण दिल्ली में यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन हालात जस के तस बने रहे. चुनाव से पहले आई झाग से भरी यमुना नदी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिससे AAP प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठे. जल संकट, बढ़ता प्रदूषण और खराब सीवरेज सिस्टम ने लोगों को नाराज कर दिया, खासकर उन इलाकों में जहां पानी की किल्लत सबसे ज्यादा थी. केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान यहां तक कह गए कि यह चुनाव जिताने वाला मुद्दा नहीं है. इतना ही नहीं बीच चुनाव के दौरान हरियाणा के मुख्यमंंत्री के साथ पानी भरा गिलास भी छाया रहा. सत्ता से बाहर हुई AAP दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल की रेवड़ी संस्कृति बनाम भाजपा के बुनियादी विकास मॉडल की टक्कर देखने को मिली. जहां AAP लगातार मुफ्त सुविधाओं की घोषणाएं करती रही, वहीं भाजपा ने सड़कों और पानी की समस्याओं को प्रमुख मुद्दा बनाया. बुराड़ी से संगम विहार और पटपड़गंज से उत्तम नगर तक टूटी सड़कों और अधूरी मरम्मत को लेकर भाजपा ने लगातार हमले किए. आरोप लगे कि जल बोर्ड ने कई जगह सड़कें तोड़ दीं, लेकिन उनकी मरम्मत नहीं हुई, जिससे जनता को परेशानी हुई. खुद केजरीवाल ने भी सड़कों की बदहाली को स्वीकार किया था. इसके अलावा, पानी की किल्लत और टैंकर माफिया की समस्या ने जनता को झकझोर दिया. गर्मियों में पानी की कमी एक बड़ी चिंता बनी रही, जिससे AAP की मुफ्त योजनाओं पर भी सवाल उठे. भाजपा ने जहां फ्री स्कीम जारी रखने का वादा किया, वहीं सड़कों और पानी की समस्या के समाधान का भरोसा भी दिलाया. माना जा रहा है कि दिल्ली की जनता ने इन्हीं मुद्दों पर भाजपा को मौका देने का फैसला किया. दिल्ली चुनाव में AAP की हार कोई एक दिन में नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे कई कारण हैं. स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट, शराब नीति पर विवाद, मुख्यमंत्री आवास का खर्च, मुस्लिम वोट बैंक की सेंध और जल संकट जैसे मुद्दों ने केजरीवाल प्रशासन की लोकप्रियता को कम कर दिया. जनता ने बदलाव का फैसला किया, और इसका सीधा असर चुनावी नतीजों में दिखा. वहीं भाजपा इस जीत से पूरी तरह बम-बम है. The post दवा, दारू, दर, दीन और कालिंदी, AAP के अरविंद केजरीवाल की हार की 5 बड़ी वजह appeared first on Naya Vichar.

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Delhi Election Result: वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से दिल्ली में पिछड़ गई केजरीवाल की आप

Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों की शुरुआती तस्वीर स्पष्ट रूप से दर्शा रही है कि आम आदमी पार्टी को इस बार करारी हार का सामना करना पड़ सकता है. चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार सुबह 9:37 बजे तक हिंदुस्तानीय जनता पार्टी 32 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि आम आदमी पार्टी 14 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए थी. वहीं, आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी लगभग 50 सीटों पर आगे थी, और आम आदमी पार्टी केवल 19 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए थी. यह आंकड़े स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि आम आदमी पार्टी को इस बार बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है. अरविंद केजरीवाल को क्यों नहीं मिली जनता की सहानुभूति? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों को प्रशासन में रहते हुए जेल जाना पड़ा, लेकिन दोनों की नेतृत्वक परिस्थितियों में अंतर रहा. जहां झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन के प्रति सहानुभूति दिखाई और उनकी पार्टी ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के प्रति वैसी सहानुभूति नहीं देखी गई. आइए जानते हैं कि आम आदमी पार्टी की इस बड़ी हार के पीछे क्या कारण हो सकते हैं. 1. अनर्गल आरोपों और झूठ से समर्थकों की नाराजगी अरविंद केजरीवाल पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वे अपने विरोधियों पर बिना आधार के आरोप लगाते रहे हैं. इसके चलते कई बार उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है, जिससे उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनती गई, जिसकी बातों पर भरोसा करना मुश्किल होता गया. सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब उन्होंने हरियाणा प्रशासन पर जानबूझकर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का आरोप लगाया. उन्होंने यह तक कहा कि हरियाणा प्रशासन दिल्ली में नरसंहार करना चाहती है. इस आरोप पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद दिल्ली बॉर्डर पर जाकर यमुना का पानी पीकर इस दावे को गलत साबित किया. इससे न केवल उनके विरोधियों को मौका मिला बल्कि उनके हार्डकोर समर्थक भी नाराज हो गए. इसे भी पढ़ें: तिहाड़ जेल वापस जाएंगे अरविंद केजरीवाल?  2. शीशमहल विवाद ने छवि को नुकसान पहुंचाया नेतृत्व में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाई थी और कहा था कि वे प्रशासनी सुविधाओं का उपयोग नहीं करेंगे. लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने न केवल प्रशासनी बंगले और गाड़ियों का उपयोग किया, बल्कि अपने लिए एक बेहद महंगा मुख्यमंत्री आवास भी बनवाया, जिसे मीडिया ने ‘शीशमहल’ का नाम दिया. सीएजी रिपोर्ट में भी उनके आवास पर हुए भारी खर्च पर सवाल उठाए गए. इससे उनकी सादगी वाली छवि को बड़ा झटका लगा, और जनता में उनके प्रति अविश्वास बढ़ गया. 3. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन न होना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान ‘बंटे तो कटे’ का नारा दिया था, जो हिंदू एकता के संदर्भ में था. हालांकि, इस नारे से सीख लेते हुए अन्य पार्टियों ने भी अपने गठबंधन को मजबूत किया. लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ नहीं आ सके. हरियाणा में कांग्रेस बहुत कम मार्जिन से प्रशासन बनाने से चूक गई थी, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में दोनों पार्टियां एक साथ नहीं आईं. इससे वोटों का विभाजन हुआ और बीजेपी को फायदा मिला. इसे भी पढ़ें: गड्ढे में गिरे ‘केजरीवाल’, मीम्स वायरल 4. स्त्रीओं के लिए 2100 रुपये योजना लागू न करना झारखंड में झामूमो प्रशासन की जीत का एक प्रमुख कारण स्त्रीओं के लिए लागू की गई आर्थिक सहायता योजना को माना गया. दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल ने स्त्रीओं को हर महीने एक निश्चित राशि देने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं कर पाए. इससे जनता में यह संदेश गया कि अगर वे इस योजना को चुनाव से पहले लागू नहीं कर सके, तो चुनाव जीतने के बाद भी इसे लागू करने में असफल हो सकते हैं. अगर यह योजना एक महीने पहले लागू कर दी गई होती, तो शायद परिणाम कुछ और हो सकते थे. 5. गंदे पानी की सप्लाई और राजधानी की गंदगी दिल्ली प्रशासन ने मुफ्त सुविधाओं की शुरुआत करके जनता का समर्थन पाया था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी से जनता परेशान हो गई थी. सबसे बड़ा मुद्दा पानी की सप्लाई का था. गर्मियों में दिल्ली में लोग साफ पानी के लिए परेशान होते रहे, और टैंकर माफिया पूरी तरह हावी हो चुका था. अरविंद केजरीवाल ने 24 घंटे स्वच्छ जल सप्लाई का वादा किया था, लेकिन यह पूरा नहीं हुआ. इसके साथ ही राजधानी की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई थी. चूंकि एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी की ही प्रशासन थी, इसलिए पार्टी के पास कोई बहाना नहीं था. इससे जनता में प्रशासन के प्रति नाराजगी बढ़ी. इसे भी पढ़ें: राजा बनाने वाले अवध ओझा की हवा टाइट, जानें क्या हुआ? आम आदमी पार्टी की हार के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं. अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता पर उठते सवाल, शीशमहल विवाद, कांग्रेस से गठबंधन न होना, स्त्री आर्थिक सहायता योजना का लागू न होना, राजधानी की सफाई और पानी की समस्या, और खुद के मुख्यमंत्री बनने को लेकर संशय – ये सभी कारण जनता की नाराजगी के पीछे रहे. इस चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल मुफ्त सुविधाएं देना ही काफी नहीं होता, बल्कि जनता को बुनियादी सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है. अगर आम आदमी पार्टी भविष्य में वापसी करना चाहती है, तो उसे इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करना होगा. इसे भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर मीम्स और रील्स की बाढ़, यूजर्स ले रहे आप-कांग्रेस के मजे The post Delhi Election Result: वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से दिल्ली में पिछड़ गई केजरीवाल की आप appeared first on Naya Vichar.

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कौन हैं वो लोग जिन्हें सेना के विमान में कैदियों की तरह भरकर अमेरिका ने भारत वापस भेजा ?

Table of Contents आखिर कौन हैं ये अवैध प्रवासी? अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद बदली प्रवासी नीति Laken Riley Act क्या है? अमेरिका में कितने हिंदुस्तानीय अवैध प्रवासी जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का फैसला अवैध प्रवासियों को हिंदुस्तान भेजने का मामला नया नहीं : एस जयशंकर अमेरिका से हिंदुस्तान भेजे गए अवैध प्रवासी Deportation Of 104 Indians : अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर में 40 घंटों तक 104 हिंदुस्तानीय जंजीरों से बंधे रहे और उन्हें खाना तो दूर शौचालय तक जाने की अनुमति नहीं मिल रही थी. इन 104 हिंदुस्तानीयों के पैरों को जंजीरों से बांधकर रखा गया था और उन्हें अपनी सीट से उठने भी नहीं दिया जा रहा था. इंडियन एक्सप्रेस में छपी समाचार के अनुसार यह सच्चाई अवैध प्रवासियों में शामिल पंजाब के होशियारपुर निवासी हरविंदर सिंह ने बताई है. हरविंदर सिंह ने बताया है कि उन्हें 40 घंटों तक ठीक से खाना भी नहीं दिया गया. इन 104 हिंदुस्तानीयों में 13 शिशु भी शामिल हैं. अमेरिका आखिर क्यों इन हिंदुस्तानीयों के साथ इस तरह का व्यवहार कर रहा है? आखिर कौन हैं ये अवैध प्रवासी? संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध अप्रवासी वैसे विदेशियों को कहा जाता है कि जो बिना जरूरी दस्तावेज और अनुमति के बिना वहां प्रवेश करते और रहते हैं. इनमें शामिल लोगों का इस प्रकार वर्गीकरण किया जा सकता है- वैसे लोग जो आव्रजन अधिकारी की स्वीकृति के बिना देश में प्रवेश करते हैं. वीजा अवधि या अस्थायी संरक्षित स्थिति की अवधि समाप्त होने के बाद भी जो लोग देश नहीं छोड़ते हैं. देश से निकाले जाने के बाद भी गलत तरीके से देश में प्रवेश करते हैं. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद बदली प्रवासी नीति अमेरिका में अब रिपब्लिकन पार्टी की प्रशासन है, जो  वीजा ओवर स्टे करने और अस्थायी संरक्षित स्थिति यानी काम करने के लिए अमेरिका में रहने का विशेष अधिकार की अवधि समाप्त होने के बाद भी वहां बने रहने वालों के प्रति सख्त रवैया अपना रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि उनकी प्रशासन देश में अमेरिका फर्स्ट की नीति लागू कर रही है, जिसमें ये अवैध प्रवासी सबसे बड़े बाधक हैं. अवैध प्रवासियों की वजह से  अमेरिका की वित्तीय स्थिति पर खराब असर पड़ता है. अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के लिए डोनाल्ड ट्रंप एक नया कानून लेकर आए हैं. साथ ही उन्होंने जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का आदेश भी दिया है. Laken Riley Act क्या है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 29 जनवरी को अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के लिए Laken Riley Act पर साइन कर दिया है. इस एक्ट के कानून बनते ही अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने का विशेष अधिकार संघीय अधिकारियों का मिलता है, खासकर अपराध में शामिल  लोगों पर यह एक्ट ज्यादा कारगर साबित होता है.  साथ ही यह एक्ट अवैध प्रवासियों के देशों को एक तरह से चेतावनी भी है कि वे अपने नागरिकों को वापस बुला  लें, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. USBP and partners successfully returned illegal aliens to India, marking the farthest deportation flight yet using military transport. This mission underscores our commitment to enforcing immigration laws and ensuring swift removals. If you cross illegally, you will be removed. pic.twitter.com/WW4OWYzWOf — Chief Michael W. Banks (@USBPChief) February 5, 2025 अमेरिका में कितने हिंदुस्तानीय अवैध प्रवासी अमेरिका में चिह्नित किए गए 18 हजार अवैध प्रवासी हिंदुस्तानीय हैं. इनमें से कुछ वीजा ओवर स्टे करके रह रहे हैं, तो कुछ काम करने की अनुमति अवधि समाप्त होने के बाद डंकी रूट से यहां घुसे हैं और रह रहे हैं. डंकी रूट उस मार्ग को कहते हैं, जो मैक्सिको और कनाडा की ओर से अमेरिका की सीमा को जोड़ता है. इन मार्गों से एजेंट को पैसे देकर हिंदुस्तानीय अमेरिका की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं और वहां रहते हैं. चूंकि अमेरिका में काम अच्छी कीमत पर और आसानी से मिल जाता है, इसलिए  लोग रिस्क  लेकर भी डंकी रूट को अपनाते हैं. अमेरिका से बुधवार को वापस भेजे गए हरविंदर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उसने 42  लाख रुपए एक एजेंट को दिए थे, वह भी अपनी जमीन गिरवी रखकर तब जाकर वह अमेरिका पहुंच पाया था. कई  लोग ऐसे भी हैं, जो लाखों खर्च करने के बाद भी अमेरिका नहीं पहुंच पाते और इधर–उधर भटकते रह जाते हैं. अमेरिका में रहने वाले प्रवासी हिंदुस्तानीयों की जनसंख्या वहां की जनसंख्या का लगभग 1.5% है. इसे भी पढ़ें :बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाते वक्त इस स्त्री की कब्र पर आंसू बहाने गए थे मोहम्मद अली जिन्ना पानीपत के 20,000 मुसलमानों की महात्मा गांधी ने बचाई जान, लेकिन उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सके History of Munda Tribes 7 : पड़हा राजा कैसे करते थे न्याय, कौन -कौन थे पदधारी और कब मिलती थी जिंदा गाड़ने की सजा विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का फैसला अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का फैसला भी किया है, जिससे लोगों में दहशत है. हालांकि अभी इसपर फैसला नहीं हुआ है क्योंकि संघीय न्यायालय ने इस फैसले पर डेमोक्रेटिक पार्टी की अपील पर रोक लगा दी है. लेकिन यह फैसला अवैध प्रवासियों के लिए ही लिया गया है. अमेरिकी कानून के अनुसार अगर किसी प्रवासी का बच्चा वहां की धरती पर जन्म लेता है, तो उसे वहां की नागरिकता स्वत: मिल जाती है. इसे रोकने के लिए ही डोनाल्ड ट्रंप की प्रशासन ने जन्मजात नागरिकता पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. अवैध प्रवासियों को हिंदुस्तान भेजने का मामला नया नहीं : एस जयशंकर एस जयशंकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अवैध प्रवासियों को हिंदुस्तान भेजने के मामले में कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस तरह हिंदुस्तानीयों को देश वापस भेजा गया है. अमेरिका में 2012 से यह कानून लागू है और अमेरिका ने अपनी नीतियों के अनुसार उन्हें यहां भेजा है. अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का तरीका नया नहीं है. पहले भी ऐसा होता आया है. ये हिंदुस्तानीय वहां गलत तरीके से रह रहे थे और उनकी स्थिति भयावह थी. वे अमानवीय स्थिति में वहां थे. उन्हें हमें

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Chanakya Niti: परिवार को तबाही के रास्ते पर ले जाती हैं आपकी ये गलतियां, समय रहते इन आदतों में जरूर कर लें सुधार

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य हिंदुस्तान के महानतम शिक्षकों में से एक माने जाते हैं. वह न सिर्फ एक अर्थशास्त्री थे, बल्कि कुशल रणनीतिकार और कूटनीतिज्ञ भी थे. उन्होंने नीतिशास्त्र नामक एक ग्रंथ लिखी थी, जो कि चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. इस ग्रंथ में जीवन से जुड़ी अलग-अलग पहलुओं पर नीतियां बताई गई हैं, जो भी व्यक्ति चाणक्य नीति को अच्छे से पढ़कर समझ लेता है, वह जीवन में हर तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो जाता है. वह इंसान को पहचानने में माहिर हो जाता है. हालांकि, चाणक्य नीति ने घर के मुखिया को लेकर कुछ बातें बताई हैं. अगर वे अपनी इन आदतों में सुधार नहीं करते है, तो घर के बर्बादी की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में अगर आप भी घर के मुखिया हैं, तो इन आदतों में जरूर सुधार कर लें. यह भी पढ़ें- Chanakya Niti: रात में भूलकर भी न करें यह एक काम, जिंदगी हो जाएगी बर्बाद, घर में छा जाएगी कंगाली यह भी पढ़ें- Chanakya Niti: सिर्फ खुशनसीब व्यक्ति के पास होती हैं ये तीन चीजें, धरती पर भोगते हैं स्वर्ग का सुख नियमों का करें पालन घर के छोटे शिशु बड़े-बुजुर्गों से ही सीखते हैं. लेकिन अगर घर के बड़े बुजुर्ग ही नियमों का पालन नहीं करेंगे, तो बच्चों पर कहां से लगाम लगा पाएंगे. ऐसे में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में मुखिया नियमों का पालन नहीं करता है, तो घर पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है. ऐसी स्थिति में घर के शिशु भी नियमों का पालन नहीं करते हैं. धन की करें बचत चाणक्य नीति के अनुसार, जिस घर का मुखिया धन की बचत करना नहीं जानता है, उस घर में कंगाली बहुत जल्द आ जाती है. फिजूल खर्च करने से घर की प्रगति नहीं होती है. ऐसे में घर के मालिक को धन की बचत और खर्च दोनों का बखूबी ज्ञान होना चाहिए. घर के बड़ों को जरूरी सामानों पर ही रुपए खर्च करने चाहिए, जिससे बचत किए हुए पैसे भविष्य में किसी काम में आ सके. घर के सदस्यों से बनाकर रखें अच्छे संबंध चाणक्य नीति के मुताबिक, घर के मालिक या बड़े-बुजुर्गों को परिवार के सभी सदस्यों से अच्छे संबंध बनाकर ही रखना चाहिए. यह परिवार को जोड़े रखने का काम करता है. जिस परिवार में एकता रहती है, वहां कोई भी मुश्किल हो निपटने में आसानी हो जाती है. अगर घर के मालिक का परिवार के अन्य सदस्यों से अच्छे संबंध नहीं होंगे, तो घर में फूट जल्द ही हो जाती है. इसके अलावा, यह बच्चों की मानसिकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. यह भी पढें- Chanakya Niti: आपका दुश्मन खुद-ब-खुद डाल देगा हथियार, सिर्फ याद रखें चाणक्य की ये बातें Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. नया विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है. The post Chanakya Niti: परिवार को तबाही के रास्ते पर ले जाती हैं आपकी ये गलतियां, समय रहते इन आदतों में जरूर कर लें सुधार appeared first on Naya Vichar.

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Parenting Tips: बच्चों का दिमाग होगा तेज, आज ही डाइट में शामिल करें ये चीजें

Parenting Tips: हर पैरेंट्स चाहते है की उनके शिशु दिमाग से तेज हो. बच्चों के लिए शारीरिक विकास जितना जरूरी है, उतना ही मानसिक विकास भी जरूरी हैं. जिसके लिए उनका खान-पान सही रखना बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. उनके पढ़ाई- लिखाई से लेकर हमें उनको हर जगह आगे रखना चाहिए. अपने बच्चों के दिमाग को तेज रखने के लिए अक्सर हम उन्हें महंगे कोचिंग में डालते है जहां वह कई तरह के प्रोग्राम सीखते हैं. आज हम इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कुछ परेंटिंग टिप्स जो आपके बच्चों के दिमाग को तेज और शक्तिशाली बनाएगा. आज हम आपको बच्चों के खान-पान के चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं. जो आप अपने बच्चों के डाइट में शामिल कर सकते हैं.    फल खिलाएं  संतरे, अमरूद, कीवी, केले, और ब्लूबेरिज में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाएं जाते हैं. जो बच्चों के दिमाग को ऊर्जा देने के साथ-साथ उन्हें हेल्दी भी रखने में मदद करता हैं.  पैरेंटिंग से जुड़ी ट्रेंडिंग समाचारें यहां पढ़ें ये भी पढ़ें: Parenting Tips: रात में बच्चों के कपड़े घर से बाहर क्यों नहीं सुखाने चाहिए? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण ये भी पढ़ें: Parenting Tips: हर सुबह अपने बच्चों से जरूर कहें ये बातें दूध और पनीर  दूध और पनीर में प्रोटीन, विटामिन ए और के जैसे बहुत सारी पोषक तत्व पाएं जाते है. जो बच्चों के दिमाग के विकास के लिए बहुत फायदेमंद हैं.  ड्राइ फ्रूट खिलाएं  बादाम,पिस्ता,अखरोट, और चिया सीड्स जैसे ड्राइ फ्रूट में प्रोटीन, विटामिन जैसे कई पोषक तत्व पाएं जाते हैं. जो बच्चों के दिमाग को तेज करने के लिए बहुत मदद करते हैं. इसलिए आप अपने बच्चों को इसे रोज खिलाएं.  हरी सब्जियां खिलाएं  ब्रोकली,पालक और मेंथी में भरपूर मात्रा में आयरन और फोलेट पाएं जाते हैं. अगर आप अपने बच्चों के दिमाग को तेज बनाने के साथ उनके याद रखने की चीजों को भी ठीक करना चाहते है, तो हरी सब्जियां उन्हें जरूर खिलाएं.  ये भी पढ़ें: Parenting Tips: बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर देती हैं आपकी ये गलतियां, बचपन भी हो जाता है खराब  मछली खिलाएं  मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाएं जाते है. जो बच्चों के ब्रेन सेल के लिए बहुत फायदेमंद हैं. ये आपके बच्चों के दिमाग को तेज रखने के लिए बहुत मदद कर सकती है. अंडा खिलाएं  अंडे में प्रोटीन, विटामिन बी6 और बी12 होते है. जो आपके बच्चों के दिमाग को बेहतर बनाने के लिए बहुत अच्छा माना जाता हैं.  ये भी पढ़ें: Parenting Tips: तेरह साल की उम्र से पहले आने बच्चों को सिखाएं ये चीजें The post Parenting Tips: बच्चों का दिमाग होगा तेज, आज ही डाइट में शामिल करें ये चीजें appeared first on Naya Vichar.

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Mental Health Tips: भटकते मन को शांत रखने के लिए, आज ही ट्राय करें ये टिप्स 

Mental Health Tips: अक्सर हमारे साथ ऐसा होता है की हम कुछ काम करते रहते है लेकिन हमारा ध्यान कहीं और रहता है. हम हमेशा अपने मन में कुछ न कुछ सोचते रहते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम अपने मन में बहुत से तरह के विचार चलते रहते हैं. यही कारण है की हमारा मन कभी शांत नहीं रहता है. इस वजह से हम अपने काम पर भी फोकस नहीं कर पाते है. यह सब चीजे हमारी जीवन में चल रही कोई घटना या चिंता के कारण होता हैं. कभी-कभी हम बिना किसी दुख और तकलीफ के भी अपने मन को इधर-उधर भटकाते रहते है. लेकिन क्या आपको पता की अपने मन को शांत और स्थिर रखना इतना भी मुश्किल नहीं हैं. तो आज हम जानेंगे अपने मन को शांत और स्थिर रखने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स, जिससे हम अपने भटकते मन को शांत कर सकते हैं. ज्यादा ना सोचें  अच्छे या बुरे सोच अक्सर हमारे मन में चलते रहते हैं, ऐसे में आप अपने मन को यह सोच-सोच कर परेशान ना करें की यह क्यों हो रहा हैं. बल्कि आप अपने सूझ-बुझ से समझकर इसके प्रति ज्यादा ना सोचें.   हेल्थ से जुड़ी ट्रेंडिंग समाचारें यहां पढ़ें ये भी पढ़ें: Mental Health: आपके मेंटल हेल्थ को बेहतर रखने में मदद करेंगे ये छोटे बदलाव, आज ही करें ट्राय ये भी पढ़ें: Health Tips: अगर शरीर में दिखने लगे ये संकेत तो हो जाएं सावधान, कैंसर के हो सकते हैं लक्षण खुद को व्यस्त रखें  हम हमेशा कुछ ना कुछ सोचकर अपने मन में उल्टे-सीधे विचार लाते हैं. जो करना बहुत ही गलत हैं ऐसा करने से हमारा मेंटल हेल्थ भी खराब होता है. इसलिए, इससे बचने के लिए आप अपने आप को इतना व्यस्त रखें की कोई भी गलत चीज अपने मन में ना आए. साथ ही आप अपने मेंटल हेल्थ के लिए एक रूटीन बनाएं और उसे रोज फॉलो करें.  अपने विचारों को डायरी में लिखें  अपने मन को शांत और स्थिर रखने के लिए सबसे अच्छा है की अपनी बातों को किसी डायरी या नोट पर लिखें. अपने विचारों को डायरी में लिखने से आप मन हल्का महसूस होता हैं.  व्यायाम करें  अगर आपका मन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है, जिसकी वजह से आप काफी चिंता में है. तो ऐसे में अपने मन को शांत रखने के लिए आप रोज एक्सरसाइज और व्यायाम करें. आप चाहे तो तरह-तरह के गेम भी स्पोर्ट्स सकते है ये करने से आपका मन शांत रहता हैं.   ये भी पढ़ें: Health Tips: क्या आप जानते हैं सर्दियों में रोजाना एक ग्लास गर्म पानी पीने के फायदे? जानकर चौंक जाएंगे आप ये भी पढ़ें: Health Tips: सेहत को होगा दोगुना फायदा, खाने से पहले कभी भी न छीलें ये सब्जियां Disclaimer: हमारी समाचारें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें. The post Mental Health Tips: भटकते मन को शांत रखने के लिए, आज ही ट्राय करें ये टिप्स  appeared first on Naya Vichar.

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