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बिहार के सबसे बड़े बाहुबली को ‘बाय-बाय’ करेंगे नीतीश, बुढ़ापा में जवानी दिखाने पर कटेगा विधानसभा टिकट!

नया विचार – बिहार के बड़े बाहुबली नेताओं में एक और मोकामा के पूर्व विधायक अनंत सिंह ने शुक्रवार को पटना की बाढ़ कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया है। यह मामला सोनू-मोनू गिरोह से जुड़ी गोलीबारी की घटना से संबंधित है। अनंत सिंह मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा भी रखते हैं, जहां से वर्तमान में उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक हैं। हालांकि इस घटना के बाद कयासों का बाजार गर्म है। मुंगेर सांसद ललन सिंह के बयान के बाद कयास लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनंत सिंह को ‘बाय-बाय’ भी कह सकते हैं। क्या है पूरा मामला दरअसल, 22 जनवरी की शाम पटना के नौरंगा जलालपुर गांव में अनंत सिंह और सोनू-मोनू गिरोह के बीच गोलीबारी हुई थी। इस गोलीबारी में कई राउंड फायरिंग हुई, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। इस घटना के बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। पुलिस ने इस मामले में कई FIR दर्ज की और कुछ गिरफ्तारियां भी हुई। इस घटना के पीछे पैसों के लेन-देन का विवाद बताया जा रहा है। बता दें कि अनंत सिंह का मोकामा क्षेत्र में काफी प्रभाव है। उनके परिवार का इस सीट पर लंबे समय से दबदबा रहा है। उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनकी पत्नी नीलम देवी वर्तमान में मोकामा से विधायक हैं। अनंत सिंह इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में इसी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। फिलहाल वे पटना के बेऊर जेल में बंद हैं। सोनू-मोनू ईंट भट्टा कारोबारी वहीं, सोनू-मोनू दो भाई हैं, जिनका ईंट भट्ठा और मिट्टी का कारोबार है। उनके पिता प्रमोद सिंह वकील हैं और मां उर्मिला सिन्हा स्थानीय मुखिया हैं। सोनू-मोनू पर भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। अनंत सिंह और सोनू-मोनू के बीच पहले भी विवाद हो चुके हैं। गोलीबारी के बाद तो सोनू ने यहां तक कह दिया कि 68 की उम्र में 34 वाले से लड़ रहे हैं। वहीं, सूरजभान सिंह और पप्पू यादव ने कहा था कि इस उम्र में अनंत सिंह को ये सब करना शोभा नहीं देता है। क्यों हुई गोलीबारी बताया जा रहा है कि गोलीबारी की घटना की शुरुआत एक पैसों के विवाद से हुई। सोनू-मोनू का मुकेश कुमार सिंह नाम के व्यक्ति से 60 लाख रुपये का विवाद था। मुकेश सिंह सोनू-मोनू के ईंट भट्टे में मुंशी का काम करते थे। मुकेश सिंह ने अपनी फरियाद अनंत सिंह से की। अनंत सिंह पहले मुकेश सिंह के घर गए और फिर सोनू-मोनू से बात करने के लिए उनके पास गए। इसी दौरान दोनों गुटों के बीच गोलीबारी हो गई। मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि सोनू मोनू हम पर 60 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाते हैं। उन लोगों ने मेरे घर पर ताला लगा दिया था तो हम लोग थाने गए, लेकिन वहां किसी ने नहीं सुनी तो हम लोग अपनी फरियाद लेकर विधायक जी (अनंत सिंह) के पास गए। विधायक जी पहले हमारे घर (हेमजा गांव) आए और ताला खोले। बाद में वो सोनू-मोनू से मिलने नौरंगा गए। उन्होंने अपने आदमी को सोनू-मोनू को बुलाने भेजा। इसी दौरान सोनू-मोनू फायरिंग करने लगे। वहीं सोनू-मोनू के पिता प्रमोद सिंह का कहना है कि अनंत सिंह के लोगों ने पहले गोली चलाई। उनका कहना है कि चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी की मदद नहीं करने की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। क्या कह रहे पुलिस अधिकारी बाढ़ के ASP राकेश कुमार के अनुसार, इस गोलीबारी में 15 से 20 राउंड फायरिंग हुई। हालांकि, स्थानीय लोगों का दावा है कि 60 से 70 राउंड गोलियां चलीं। दावा किया जा रहा है कि 24 जनवरी की सुबह फिर से गोलीबारी हुई। मुकेश कुमार सिंह का कहना है कि सुबह पांच बजे सोनू और उसके समर्थकों ने उनके घर पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हालांकि, पटना के ग्रामीण SP ने इस दावे को संदेहास्पद बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की तैनाती में इस तरह की घटना होना संदेह पैदा करता है। गोलीबारी मामले में 4 एफआईआर बता दें कि 22 जनवरी को गोलीबारी के मामले में चार एफआईआर दर्ज हुई हैं। एक अनंत सिंह की तरफ से, दूसरी मुकेश सिंह की तरफ से, तीसरी पचमहला थाना और चौथी सोनू-मोनू की मां उर्मिला ने दर्ज कराई है। इस मामले में सोनू के साथ-साथ अनंत सिंह गुट की तरफ से रोशन की गिरफ्तारी हुई है। बिहार की सियासत तेज इस घटना के बाद से ही बिहार की नेतृत्व में भी हलचल मच गई है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। वहीं, मुंगेर के सांसद ललन सिंह ने अनंत सिंह को टिकट देने के लिए तेजस्वी यादव पर ही सवाल उठाया है। दोनों नेताओं की बयानबाजी के बाद मोकामा की नेतृत्व में नए समीकरण बना दिए हैं। वहीं, इस घटना के बाद सोनू-मोनू और अनंत सिंह, दोनों ने मीडिया के सामने आकर एक-दूसरे पर आरोप लगाए। इस घटना ने बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। इस घटना का असर अनंत सिंह के नेतृत्वक भविष्य पर भी पड़ सकता है। संभव है कि नीतीश कुमार की पार्टी अनंत सिंह को टिकट ही न दे। शायद ललन सिंह ने ‘तेजस्वी के टिकट’ पर सवाल उठाकर इशारा कर दिया है।

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दस लाख तक कमाई हो सकती है टैक्स फ्री, 25% का नया स्लैब संभव

नया विचार नई दिल्ली–  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2025-26 का बजट पेश करेंगी। वे आयकर देने वालों को बड़ी राहत दे सकती हैं। सूत्रों के अनुसार प्रशासन, 20 लाख रु. तक कमाने वाले आयकरदाताओं को आयकरदाताओं टैक्स में छूट मिल सकती है। इसके लिए दो विकल्पों पर विचार हो रहा है। पहला 10 लाख रुपए तक सालाना आय को टैक्स फ्री करना और दूसरा 15 से 20 लाख रु. की आय वालों के लिए 25% का नया टैक्स स्लैब बनाना। यह छूट नए टैक्स रिजीम वालों को ही देने की तैयारी है। फिलहाल, 75,000 रु. के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ, 7.75 लाख रुपए तक आय पर टैक्स नहीं देना पड़ता। 15 लाख रुपए से ऊपर आय वाले 30% टैक्स स्लैब में आते हैं। यदि ये विकल्प लागू होते हैं तो केंद्र को लगभग 50,000 करोड़ से 1 लाख करोड़ रुपए तक राजस्व का नुकसान हो सकता है। वहीं इस विषय पर एक्सपर्ट में कहा कि ऐसे समय में जब, जीडीपी ग्रोथ धीमी है, आयकर छूट में राहत शहरी खपत बढ़ाएगी। इससे पहले 2023 के बजट में आयकर में राहत दी गई थी। तब नए टैक्स रिजीम वालों के लिए धारा 87ए में कर छूट बढ़ाकर 7 लाख रु. तक की गई। ई थी। हालांकि नए टैक्स रिजीम में ज्यादातर छूट का फायदा नहीं मिलता। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन का कहना है किप्रशासन को 15 लाख से 20 लाख रु. तक की आय वालों के लिए 25% का टैक्स स्लैब लाना चाहिए। इससे लोगों के पास ज्यादा पैसा रहेगा, जिससे खपत बढ़ेगी। ये वही लोग हैं जो फ्रिज, टीवी जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल खरीदते हैं। इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन कॉम्प्लेक्स चॉइसेस के प्रो. अनिल सूद भी कहते हैं- 15 लाख रु. से थोड़ी अधिक आय पर 30% का टैक्स रेट सही नहीं है। आम बजट में रेलवे के लिए कई सौगातें हो सकती हैं। अनुमान है कि इससे रेलवे को 3 लाख करोड़ तक का फंड मिल सकता है। इससे रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार और आम यात्रियों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकेंगी। गरीब और मध्य वर्ग के यात्रियों के लिए नॉन-एसी ट्रेनें शुरू की जा सकेंगी, बीते साल जून में पेश हुए बजट में खपत बढ़ेगी। ये वही लोग हैं जो रेलवे मंत्रालय को 2.65 लाख करोड़ रुपए का फंड मिला था, जिसमें से 2.52 लाख करोड़ सीधे केंद्र के फंड से आए थे। रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने कहा कि मंत्रालय अगले वित्त वर्ष में भी पूंजीगत निवेश को बढ़ावा देगा। मंत्रालय ने 5 जनवरी तक 2024- 25 के लिए आवंटित 2.52 लाख करोड़ रुपए का 76% खर्च कर लिया है।

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चिराग पासवान और प्रशांत किशोर में हो रही ‘अंडर टेबल डील’, BJP को किनारे कर हथियाएंगे नीतीश की कुर्सी?

नया विचार – बिहार को नेतृत्व की प्रयोगशाला कहा जाता रहा है। यहां अक्सर अप्रत्याशित नेतृत्वक गठजोड़ और समीकरण देखने को मिलते रहे हैं। खासकर मकर संक्रांति के बाद बिहार की नेतृत्व में कुछ ना कुछ फेरबदल होते रहे हैं। इस बार भी इसके संकेत मिल रहे हैं। पहला नेतृत्वक बदलाव तो सार्वजनिक है, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का हाथ थामने की तैयारी में हैं। दही चूड़ा भोज के बहाने दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद इनके बीच गठबंधन होने के संकेत मिल रहे हैं। असली नेतृत्वक फेरबदल दूसरी है, जिसपर हमारा मकसद आपका ध्यान दिलाना है। मकर संक्रांति के बाद यानी खरमास खत्म होते ही लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने एक निजी टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में चिराग की ओर से कही गई बातों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि उनके और नये-नये नेतृत्व में आए प्रशांत किशोर के बीच कोई अंडर टेबल डील हो रही है। चिराग ने पढ़े प्रशांत के लिए कसीदे जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर को लेकर पूछे गए सवाल पर चिराग पासवान ने बेहद सधे हुए अंदाज में जवाब दिया। चिराग ने कहा- ‘चुनावी नेतृत्व में किसकी कितनी ताकत है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि आपके पास कितने विधायक या सांसद हैं। नेतृत्वक स्तर पर और चुनावी रणक्षेत्र में अभी भी उनको (प्रशांत किशोर) प्रूफ करना है। मुझे नहीं पता कि वह उसमें कितना खरा उतरेंगे। उपचुनाव में उन्होंने जरूर प्रयास किया। वो सफलता उनको नहीं मिली।’ चिराग ने आगे कहा कि प्रशांत जी मेरे पुराने मित्र हैं। इतना मैं जरूर मानता हूं कि वो भी एक नई सोच के साथ बिहार को एक बदलाव की दिशा में लेकर जाना चाहते हैं, जिसका मैं जरूर सम्मान करता हूं। भविष्य के गर्भ में उनके लिए क्या है, क्या नहीं ये मुझे नहीं पता। लेकिन ये जरूर है कि वह एक नई सोच के साथ आए हैं। कम से कम वह जात-पात, धर्म-मजहब से उठकर कोई सामने आता है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए। MY समीकरण ने दशकों तक हमारे प्रदेश को जातीयता और सांप्रदायिकता में बांटने का काम किया। मैं भी अपने MY समीकरण की बात करता हूं, जिसमें M का मतलब स्त्री और Y का अर्थ युवा है। मैंने लोकसभा चुनाव में उसे प्रमाणित करके भी दिखाया है। पांच लोकसभा सीटों में 4 युवा (एक स्त्री युवा) और दो स्त्रीओं को टिकट दिया। मोदी का हनुमान वाले बयान को बताया फिल्मी डायलॉग पिछले 10 साल की नेतृत्व देखें तो चिराग पासवान हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति समर्पण को दर्शाने के प्रयास में होते हैं। यही वजह है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होने के बाद भी चिराग पासवान ने खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बता दिया था। मोदी के हनुमान वाले बयान पर उनसे सवाल पूछा गया तो पहली बार ऐसा लगा कि वह इससे बाहर निकलना चाहते हैं। चिराग ने कहा, ‘2020 का बिहार विधानसभा चुनाव मैं अकेले लड़ रहा था। मतभेद की वजह से मैंने जेडीयू के सामने अपने प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि बीजेपी का मैं समर्थन कर रहा था। उस वक्त कहा गया था कि मैं प्रधानमंत्री की तस्वीर का इस्तेमाल कहीं भी प्रचार में नहीं कर सकता हूं। जब दो तीन बार यही बात पूछी गई तो उस वक्त आया तो फिल्मों के बैकग्राउंड से ही तो कहीं ना कहीं वो डायलॉगबाजी चलती है मन में। उस वक्त बोलते बोलते थोड़ा नाटकीय होते हुए बोल दिया था कि मुझे प्रधानमंत्री की तस्वीर होर्डिंग्स पर लगाने की जरूरत नहीं है, वो मेरे दिल में बसते हैं। जरूरत हुई तो दिल चीर कर दिखा दूंगा। उसी बात को लोगों ने हनुमान से जोड़ा।’ कई मुद्दों पर चिराग की बीजेपी से अलग राय 1. जातीय जनगणना और आरक्षण: इस मुद्दे पर चिराग बीजेपी से इतर राय रखते हैं। चिराग कहते हैं कि जातीय जनगणना होनी चाहिए। साथ 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने के कांग्रेस के दावे पर वह कहते हैं- ‘मैं मानता हूं कि जितने भी प्रावधान हैं, जो भी इस व्यवस्था को और भी सशक्त करने की सोच को मजबूती दे सकते हैं वह किया जाना चाहिए।’ वह कहते हैं कि आज भी कई योजनाएं हैं जिसके लिए जातीय अनुपात के आंकड़े होना जरूरी है। 2. वक्फ संशोधन बिल: बीजेपी जहां इस बिल को लाने पर आमदा है, वहीं चिराग इसके खिलाफ हैं। चिराग कहते हैं कि हम और बीजेपी अलग-अलग पार्टी हैं, इसलिए कई मुद्दों पर हमारी अलग-अलग राय है। वक्फ बिल जब कैबिनेट में आया, उस वक्त हमारी पार्टी की सोच थी कि जितने भी स्टेक होल्डर हैं उनको अपनी बातें रखने का मौका मिलना चाहिए। हम लोगों का मत था कि इसको एक कमेटी में भेजा जाना चाहिए। इसके लिए जेपीसी का गठन किया गया है, जो भी कमेटी का फैसला होगा वह पार्टी को स्वीकार होगा। 3. संभल जैसी घटना: बीजेपी से इतर चिराग कहते हैं कि ऐसी कोई भी घटना आपको परेशान कर सकती है। लेकिन वहीं पर आपको अपनी प्रशासन पर विश्वास रखना होता है। कोर्ट को माध्यम बनाकर मस्जिद मस्जिद मंदिर ढूंढने के सवाल पर चिराग कहते हैं कि उनकी प्राथमिकताओं में ये है ही नहीं। ये आस्था का सवाल है। इसपर किसी के लिए भी कॉमेंट करना ठीक नहीं है। मैं कतई इस बात का पक्षधर नहीं हूं कि आप जगह जगह जाकर खुदाई करें। 4. यूनिफॉर्म सिविल कोड: गृहमंत्री अमित शाह खुद कह चुके हैं कि वह इसे देशभर में लागू करके रहेंगे। वहीं चिराग पासवान इसके खिलाफ में हैं। वह इसपर कुछ भी खुलकर बोलने से बचते रहें हैं। 5. तेजस्वी की शिक्षा: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की शिक्षा को लेकर बीजेपी, जेडीयू और प्रशांत किशोर लगातार आक्रामक है, लेकिन चिराग की इसपर अलग राय है। चिराग कहते हैं कि एजुकेशन जरूर मायने रखती है, लेकिन आपकी नीति, आपकी सोच आपके विचार, आपके फैसले आपके व्यक्तित्व को प्रस्तुत करते हैं। मैं कतई किसी के ऊपर व्यक्तिगत टिप्पणी का पक्षधर नहीं हूं। कौन कितना पढ़ा-लिखा है इसपर उनका मूल्यांकन करने के बजाय

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शादी के लिए गुण से गुण नहीं पहले दिल से दिल तो मिलाओ !

शादी के लिए लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं। यह परंपरा आज भी कई जगह है। फिर भले ही अपने लड़के की शकल देखने लायक भी ना हो। नया विचार ( विनोद कुमार झा ) हमारे देश में दो तरह की शादियां होती हैं। जैसे कुछ लड़के-लड़कियों के लिए लव मैरिज है और दूसरी बाकी सभी लड़के-लड़कियों के लिए, अरेंज मैरिज है। लव मैरिज हो तो लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद करके लाइफ के सारे प्लान कर लेते हैं। लेकिन अगर शादी अरेंज है, तो शादी होने से पहले लड़की देखने का रिवाज आज भी छोटे शहरों में है। लड़के वाले लड़की देखने जाते हैं। भले ही अपने लड़के की शकल देखने लायक भी ना हो! रिश्ते करवाने वाले बिचौलिए भी इसमें मीडिएटर की भूमिका निभाते हैं। लड़के के घर वाले लड़की की फोटो देखते ही तुरंत हां कर देते हैं, क्योंकि शादी के लिए लड़के की उम्र तीन-चार बार निकल चुकी है। लड़की वाले भी लड़के की फोटो देखकर तुरंत हां कर देते हैं और ‘दामाद जी’ बहुत अच्छे हैं’ कह देते हैं। लड़के वाले फिर लड़की को देखने का एक दिन तय करते हैं। लड़के वाले लड़की को देखने आ रहे हैं। इसके लिए लड़की वालों के यहां एक दिन पहले से स्वागत की तैयारी शुरू हो जाती है और मासूम लड़की को समझाया जाता है कि किसी बात को लेकर गड़बड़ ना कर दे। 8-10 साल पुरानी 5 सीटर कार में 11-12 लोग पहुंचते हैं, उनमें लड़के की बहन भी होती है, जिसकी अपनी शादी पिछली 9 सालों से नहीं हो पा रही होती! लड़के वालों के आते ही लड़की वालों के घर में एक ऐसा माहौल क्रिएट हो जाता है जैसे आयकर विभाग वाले घर में छापा मारने आए हैं। सभी लोग सोफे और कुर्सी पर जाकर बैठते हैं, सेंटर टेबल पर समोसा, नमकीन, बिस्किट और कप में चाय होती है। चाय कम मीठी हो तो बंदा एक बिस्किट की जगह दो खा लेता है, लेकिन अगर चाय जरूरत से ज्यादा मीठी हो, तो लड़की की मां या बहन बोल पड़ते हैं, ‘चाय बिटिया ने बनाई है क्या…?’ वो चीनी थोड़ी ज्यादा डाल दी! फिर सिलसिला शुरू होता है एक-दूसरे की तारीफ करने का। लड़की वाले शुरू होते हैं, ‘हमारी लड़की तो ऐसी है, हमारी लड़की तो वैसी है।’ फिर लड़के वाले उधर से ‘हमारा लड़का तो ऐसा है, हमारा लड़का तो वैसा है।’ कुंडली में 36 में से 35 गुण मिल रहे हैं। बाद में पता चलता है कि लड़का भी गुटखा खाता है और लड़की भी खाती है। दोनों के काफी अवगुण मिलते हैं, लड़का भी सुबह देर से उठता है लड़की भी। सारे गुण यहीं सब मिलते हैं। फिर जिनकी किस्मत अच्छी होती है उनका रिश्ता नहीं होता। लेकिन जिनकी किस्मत खराब होती है उनका हो जाता है, मजाक की बात है! कुल मिलाकर राज की बात ये है कि रिश्ता कोई भी हो ना कुंडली में गुण मिलने से चलता है ना एक- दूसरे की तारीफ करने से। रिश्ता चलता है तो एक- दूसरे को समझने से। इसलिए जब भी कोई रिश्ता करें तो दिल से दिल मिलाएं ना कि गुण से गुण… प्रणाम वालेकुम।

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