सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस मनाया गया
नया विचार समस्तीपुर : गुरुवार को वीमेंस कॉलेज समस्तीपुर में इतिहास विभाग द्वारा प्रधानाचार्या प्रोफेसर डॉ सुनीता सिन्हा की अध्यक्षता में सुभाष चंद्र बोस जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गई । सर्वप्रथम प्रधानाचार्या महोदया के द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। साथ ही मौके पर उपस्थित सभी शिक्षकगण तथा छात्राओं ने पुष्पांजलि अर्पित की। प्रधानाचार्या महोदया द्वारा अपने अध्यक्षीय भाषण में यह बताया गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस सत्य, त्याग तथा बलिदान की अद्भुत मिसाल थे। उनके भाषण में ऐसा ओज था, जिसने सारे हिंदुस्तानवासियों में स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक जुनून पैदा किया। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण से न केवल हिंदुस्तान में ही प्रभाव स्थापित किया ,बल्कि इसी के कारण उन्हें अन्य देशों का भी सहयोग प्राप्त हुआ। यही कारण था कि आजाद हिंद फौज की स्थापना विदेश में हुई, जो स्वतंत्रता संग्राम के सफर में काफी मददगार साबित हुआ। इतिहास विभाग के सभी शिक्षक श्री सुरेश साह ,डॉक्टर नेहा कुमारी जायसवाल ,डॉक्टर नीरज प्रसाद, डॉक्टर स्वाति कुमारी ने नेताजी के विषय में प्रकाश डाला।इतिहास विभाग के शिक्षक डॉक्टर सुरेश साह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस एक आध्यात्मिक राजनेता थे। यदि वे जीवित होते तो शायद हिंदुस्तान विकसित देश के रूप में विश्व में स्थापित हो चुका होता और विश्व की नेतृत्व हिंदुस्तान केंद्रित होती।इतिहास विभाग की शिक्षिका डॉ नेहा कुमारी जायसवाल ने कहा कि बोस के प्रेरक वचनों को मौजूदा समय के लोग ही नहीं आने वाली पीढ़ियां भी अनवरत पालन करेंगी। बोस का संपूर्ण जीवन न केवल हिंदुस्तानीयों के लिए परंतु विश्व के लिए एक किताब जैसा है जिसे जितना ही पढ़ेंगे उतना ही ज्ञानवान होंगे। उन्होंने राष्ट्र के युवाओं से अपील की थी कि सफलता असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है,अतः असफलता से डरना नहीं चाहिए, पूरे हिम्मत तथा ईमानदारी तथा निडरता से उनका सामना करना चाहिए। हर कार्य करने के लिए उस कार्य के प्रति एक सनक नहीं हो तो व्यक्ति महान नहीं बनेगा अतः उस कार्य के प्रति समर्पण का होना अत्यंत आवश्यक है । प्रोफेसर डॉ अरुण कुमार कर्ण ने अपने वक्तव्य में कहा कि बोस की जितनी भी व्याख्यान शब्दों में की जाए कमतर रहेगी क्योंकि ऐसे महापुरुष विरले ही आते हैं । डॉ सोनी सलोनी ने उनके विषय में बताया कि बोस के अवतरण ने इस धरती को गौरवान्वित कर दिया। वे एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने देशवासियों में स्वतंत्रता की अलख जगा दी । डॉ विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि बोस ने अपने विचारों से हिंदुस्तानीय युवाओं को काफी प्रेरित किया। उन्होंने कहा है कि जीवन में संघर्ष नहीं है तो जीवन का कोई अर्थ नहीं है।अतः बोस के प्रेरक प्रसंग को अपने जीवन में उतारना चाहिए जिससे हम पूरे जुनून के साथ अपने जीवन में सफल हो सकते हैं तथा देश के लिए कुछ कर सकते हैं। इतिहास विभाग की छात्राओं नेहा कुमारी, सुमन शर्मा, खुशबू कुमारी, रूपा कुमारी, पल्लवी, पिंकी कुमारी ,पलक कुमारी, ज्योति कुमारी ने इस आयोजन में पूरे उत्साह के साथ हिस्सा लिया। मंच का संचालन नेहा कुमारी ने किया ।अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ नेहा कुमारी जायसवाल ने किया।मौके पर डॉक्टर मधुलिका मिश्रा, डॉक्टर रिंकी कुमारी,डॉक्टर रेखा कुमारी, डॉक्टर स्मिता झा आदि शिक्षकगण उपस्थित थे।