सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता
नया विचार सरायरंजन : प्रखंड के सरायरंजन बाजार में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन बुधवार को सुदामा चरित्र पर प्रवचन हुआ। कथावाचक आचार्य पुरुषोत्तम दास ने सुदामा के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता करो तो भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है,जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे। परंतु आजकल स्वार्थ की मित्रता रह गई है। जब तक स्वार्थ सिद्ध नहीं होता है, तब तक मित्रता रहती है। जब स्वार्थ पूरा हो जाता है, मित्रता खत्म हो जाती है। उन्होंने कहा कि एक सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका जाते हैं। तब प्रहरियों से श्रीकृष्ण को अपना मित्र बताते हैं और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की बात सुनकर प्रहरि उनका उपहास उड़ाते हैं और कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं। तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर सुदामा नाम का एक दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान श्रीकृष्ण नंगे पांव है दौरे चले आते हैं और अपने मित्र को रोक कर उनसे गला लगा लेते हैं। मौके पर राजेश्वर साहू ,प्रमोद कुमार साहू,शिव नारायण साहू, रामचंद्र साहू, विमल कुमार साहू ,श्रवण कुमार साहू, प्रद्योत कुमार हरि,विजय कुमार साहू,दिनेश कुमार साहू,भूषण साहू,सोनू कुमार, मोनू कुमार,टुन्नू कुमार सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।