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स्वास्थ्य

समस्तीपुर, स्वास्थ्य

जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग का समीक्षात्मक बैठक की 

नया विचार समस्तीपुर– जिलाधिकारी समस्तीपुर रोशन कुशवाहा द्वारा समाहरणालय सभागार समस्तीपुर में मंगलवार दिनांक 1 अप्रैल 2025 को एईएस/ जापानी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक की गई। समीक्षात्मक बैठक के प्रारंभ में सिविल सर्जन समस्तीपुर द्वारा एईएस एवं जापानी इंसेफेलाइटिस के महत्वपूर्ण लक्षणों पर प्रकाश डाला गया एवं इसके अनुरूप की जाए जा रही तैयारी से जिलाधिकारी एवं अन्य सभी पदाधिकारी को अवगत कराया गया। सिविल सर्जन द्वारा बताया गया कि इसके लिए 50 हेल्थ ऑफिशियल का राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कराया गया है। साथ ही आशा एवं अन्य हेल्थ वर्कर की भी ट्रेनिंग की जा रही है। इसकी अतिरिक्त एम्स पटना में भी कुछ हेल्थ वर्कर्स की ट्रेनिंग होनी है जिन्हें चिन्हित कर लिया गया है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार हेतु सभी दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी गई है ।इसके अलावा एंबुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्राइवेट एंबुलेंस को भी चिन्हित करने हेतु कार्रवाई की जा रही है। उनके द्वारा अनुरोध किया गया कि इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों जिसमें समाज कल्याण विभाग आईसीडीएस/ ग्रामीण विकास विभाग/ पंचायती राज विभाग/ लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण संगठन/ शिक्षा विभाग /एससी /एस टी वेलफेयर विभाग /खाद एवं आपूर्ति विभाग /परिवहन विभाग/ पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग एवं अन्य विभागों के सहयोग से इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है इसलिए सबसे इसके व्यापक प्रचार – प्रचार हेतु अनुरोध किया गया। इसके पश्चात जिलाधिकारी महोदय द्वारा सभी उपस्थित पदाधिकारी एवं वी सी के माध्यम से जुड़े हुए पदाधिकारीगण को निर्देश दिया गया की विशेष कर मुजफ्फरपुर वैशाली की सीमावर्ती क्षेत्रों वाले प्रखंडो /अंचलों को विशेष सतर्कता एवं सावधानी रखने की जरूरत है। साथ ही इसमें जागरूकता एवं क्रिटिकल टाइम को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कार्रवाई करनी है ।वर्ष 2024 में एईएस एवं जे ई से किसी भी मृत्यु की घटना संज्ञान में नहीं आई है इस वर्ष भी पूरी तरह से तैयारी रखनी है ताकि किसी प्रकार की घटना घटित ना हो सके एवं उसका बचाव समय रहते किया जा सके। इसके अलावा जिलाधिकारी द्वारा सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि अपने-अपने प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत स्थानीय लोगों से निजी वाहन की टैगिंग एंबुलेंस के रूप में करना सुनिश्चित करेंगे जिसे आवश्यकता पड़ने पर उनका प्रयोग किया जा सके। साथ ही सिविल सर्जन समस्तीपुर को सभी प्राथमिक दवाइयां की उपलब्धता सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर सुनिश्चित करने इसके अलावा ओआरएस एवं अन्य महत्वपूर्ण बेसिक मेडिसिंस को आंगनबाड़ी केंद्र एवं विद्यालयों पर भी उपलब्ध कराने में निर्देश दिया गया। बैठक में सिविल सर्जन समस्तीपुर, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी समस्तीपुर, डीपीओ आईसीडीएस समस्तीपुर एवं अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी समाहरणालय सभागार से जबकि क्षेत्रीय पदाधिकारी अपने-अपने प्रखंड एवं अंचलों से जुड़े हुए थे।

समस्तीपुर, स्वास्थ्य

निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के बाद जच्चा बच्चा की मौत पर हंगामा ।

पहले हुई शिशुं की मौत चार दिनों बाद मां की भी मौत हो गई, आशा के द्वारा कराई गई थी भर्ती । नया विचार समस्तीपुर– समस्तीपुर जिले में एक संचालित निजी नर्सिंग होम में डॉक्टर की लापरवाही ने एक स्त्री की जान ले ली । मौत के बाद निजी क्लीनिक के संचालक व डॉक्टर फरार है ।पूरा मामला उजियारपुर थाना क्षेत्र के प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उजियारपुर के मुख्य द्वार के ठीक सामने संचालित निजी नर्सिंग होम की है । मृतक के मां का बताना है कि चार दिन पूर्व 8 फरवरी की देर शाम प्रशासनी अस्पताल से प्रसव के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया था जहां ऑपरेशन करने की बात डॉक्टर ने कहा उसके बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन किया जिसके तुरंत बाद ही शिशु की मौत हो गई ।वही आज सुबह में स्त्री की भी मौत हो गई । उसके बाद मृतक के परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया ।हंगामा होता देख मौके से निजी नर्सिंग होम संचालक व डॉक्टर फरार हो गया ।मृतक की मां का बताना है कि सबसे पहले उजियारपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुनीता देवी आशा के द्वारा उसे भर्ती करा दिया ।लेकिन वहीं से सुनीता देवी ने उसे सामने संचालित हो रहे निजी नर्सिंग होम में भर्ती करने की बात कही और वहां ले जाकर भर्ती करा दिया ।मृतका की पहचान कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बिरसिंहपुर गांव निवासी अमित कुमार की 24 वर्षीय पत्नी रेणु कुमारी के रूप में की गई है वह अपने मायके उजियारपुर थाना के हसौली गांव अपने मायके प्रसव करने के लिए आई हुई थी ।वही इस मामले को लेकर थाना अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने बताया कि मेरे पास कोई आवेदन नहीं आया है आवेदन मिलने पर कार्यवाही की जाएगी ।लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ठीक सामने निजी नर्सिंग होम में हंगामा हुआ और पुलिस आवेदन का इंतजार कर रही है ।

समस्तीपुर, स्वास्थ्य

रोगी कल्याण समिति के दो सदस्यों के चुनाव को ले आम सभा आयोजित

नया विचार सरायरंजन: प्रखंड के नरघोघी स्थित श्रीराम जानकी मेडिकल अस्पताल परिसर में गुरुवार को रोगी कल्याण समिति के दो सदस्यों के चुनाव के लिए आमसभा का आयोजन किया गया । इसकी अध्यक्षता अस्पताल के अधीक्षक डॉ .जी सी कर्ण ने की। बैठक के दौरान अधीक्षक डॉ .जी सी कर्ण की उपस्थिति में सर्वसम्मति से स्त्री सदस्य के रूप में सरिता कुमारी एवं पुरुष सदस्य के रूप में जयकृष्ण झा को चुना गया। मौके पर डॉ. विजय कुमार समेत दर्जनों लोग मौजूद थे। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि जिला पदाधिकारी के निर्देश पर रोगी कल्याण समिति की बैठक का आयोजन किया गया है।जिसमे एक स्त्री सरिता देवी व एक पुरुष जय कृष्ण झा को सदस्य के रूप में चयन किया गया है।

समस्तीपुर, स्वास्थ्य

श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में धूमधाम से मनाया गया वर्षगांठ 

नया विचार सरायरंजन : प्रखंड के नरघोगी स्थित श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में बुधवार को धूमधाम से वर्षगांठ मनाया गया। इस दौरान कालेज के चिकित्सकों एवं अतिथियों ने केक काटकर वर्षगांठ मनाया। वर्षगांठ समारोह करते हुए अस्पताल के अधीक्षक डॉ . जी सी कर्ण ने कहा कि श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल की स्थापना का एक साल पूरा हुआ है। आज यह अस्पताल सही तरीके से संचालित हो रहा है। इस कालेज सह अस्पताल के सही तरीके से संचालित होने के लिए सभी चिकित्सकों एवं कर्मियों की अहम भूमिका है। वहीं इस कालेज सह अस्पताल की स्थापना के एक साल पूरा होने पर यहां के ग्रामीणों में भी हर्ष काफी देखा जा रहा है । इस सुदूर गांव में इतना बड़े अस्पताल का स्थापित होना बहुत खुशी की बात है। इसके लिए यहां के लोग भी धन्यवाद के पात्र हैं। बताते चलें कि श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के एक साल पूरा होने के अभी तक एमरजेंसी शुरू नहीं हुई है।इसका ममाल लोगों को सता रहा है। समारोह को डॉ .विजय कुमार, डॉ. सतीश कुमार कर्ण,डा. विजयंत, डा.सुबोध कुमार, डा. अंकित कुमार, डॉ. रजनीकांत, डॉ .संजय निराला, डॉ. अनुपम , डॉ. संतोष कुमार, डॉ. ब्रजेश आनंद, डॉ. दीपक, गोपाल कुमार झा सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।

स्वास्थ्य

डीएमसीएच के न्यू सर्जरी बिल्डिंग में नहीं हो पा रहा ओपीडी, आपातकालीन व अन्य विभागों का स्थानांतरण

नया विचार दरभंगा – जनवरी माह बीतने की ओर बढ़ चला है, लेकिन डीएमसीएच के न्यू सर्जरी बिल्डिंग में ओपीडी, आपातकालीन व अन्य विभागों का स्थानांतरण नहीं हुआ है. पिछले दिनों अस्पताल प्रशासन ने दावा था कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में नये भवन में इन विभागों को ले जाया जायेगा. इससे पहले भी कई बार नये बिल्डिंग में इन विभागों को ले जाये जाने का समय निर्धारित किया जा चुका है. अधिकारियों ने समय-समय पर निरीक्षण भी किया. बता दें कि 27 नवंबर 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डीएमसीएच परिसर स्थित सात मंजिला सर्जरी बिल्डिंग का उद्घाटन किया था. आधा दर्जन से अधिक विभागों को किया जाना है शिफ्ट न्यू सर्जरी बिल्डिंग में आधे दर्जन से अधिक विभागों को शिफ्ट किया जाना है. लेकिन, उद्घाटन के एक साल बाद भी सात मंजिल का यह भवन अधूरा-अनुपयोगी है. ऊपर से नेतृत्वक एवं प्रशासनिक दबाव बढ़ने पर ओपीडी, आपातकालीन व अन्य विभागों के स्थानांतरण का समय घोषित कर दिया जाता है. फिर जब स्थानांतरण को लेकर चिकित्सक एवं कर्मी व्यवस्था देखने वहां जाते हैं, तो स्थिति को चिकित्सकीय दृष्टि से सही नहीं पाते. और इस तरह से शिफ्टिंग की तैयारी धरी रह जाती है. बताया जा रहा है कि अब भी कुछ काम बाकी है. जल्द ही बीएमएसआइसीएल अस्पताल प्रशासन को भवन हैंडओवर कर देगा. विदित हो कि पिछले साल फरवरी माह में सर्जरी व ऑर्थो विभाग को इस भवन में शिफ्ट किया गया था. वहीं अन्य डिपार्टमेंटों को वहां स्थानांतरित करने में काफी विलंब हो रहा है. 2019 में भवन का काम किया गया था प्रारंभ सर्जरी बिल्डिंग निर्माण की टेंडर प्रक्रिया 2017 में पूरी की गयी थी. दो साल बाद दिसंबर 2019 में काम शुरू हुआ. कार्य को 30 माह बाद जून 2022 में पूरा कर लेना था. निर्धारित समय से ढाई साल से अधिक बीत गया पर कार्य अभी भी पूरा नहीं हो सका है. मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण हो रही समस्या दिनानुदिन डीएमसीएच में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. खासकर मेन ओपीडी में रोजाना 2000 से अधिक मरीज व उनके परिजन पहुंचते हैं. आपातकालीन विभाग में करीब 150 से अधिक मरीज जाते हैं. संख्या के अनुपात में ओपीडी व आपातकालीन विभाग में जगह कम पड़ रहा है. इन विभागों को न्यू सर्जरी बिल्डिंग में शिफ्ट होना है. इसके अलावा रेडियोलॉजी, रक्त अधिकोष विभाग को भी शिफ्ट किया जाना है. अधीक्षक डॉ शीला कुमारी ने बताया किजल्द ही ओपीडी व आपातकालीन विभाग को शिफ्ट कर दिया जायेगा. इसे लेकर विभागीय कोशिश की जा रही है.   सर्जरी बिल्डिंग के विभिन्न तलों पर होंगे ये विभाग फ्लोर विभागनिम्न तल- ओपीडी पंजीकरण, सहायता पूछताछ केन्द्र, दीदी की रसोई, बीएमएसआईसीएल कार्यालय, वाहन पार्किंग. भू- तल- आपातकालीन वार्ड, बर्न वार्ड, शल्य कक्ष, ओपीडी, रेडियोलॉजी विभागप्रथम तल- ऑर्थोपेडिक विभाग, ओपीडी, सेंट्रल फार्मेसी, ऑर्थोपेडिकल जिम द्वितीय तल- सामान्य वार्डतृतीय तल- सामान्य वार्ड, ब्लड बैंक चतुर्थ तल- शल्य कक्ष, आईसीयू

स्वास्थ्य

सर्दियों में क्यों बढ़ती है ब्लड शुगरः डायबिटीज है तो ये 10 फल-सब्जियां खाएं, शुगर लेवल कंट्रोल रहेगा

नया विचार – कड़कड़ाती ठंड और सर्द हवाओं की वजह से कई मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जिन लोगों को पहले से क्रॉनिक डायबिटीज है, उन्हें इस मौसम में अधिक ऐहतियात बरतने की जरूरत है। दरअसल सर्दियों में डायबिटिक लोगों का ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण है ठंड के मौसम में मेटाबॉलिज्म का फास्ट होना। ठंड में अक्सर पाचन बढिया रहता है और हम ज्यादा खाना खा लेते हैं। हालांकि, कुछ ऐसे मौसमी फल और सब्जियां हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। तो चलिए, आज जरूरत की समाचार में बात करेंगे कि सर्दियों में डायबिटिक लोगों के लिए कौन से फल-सब्जियां खाना फायदेमंद है? साथ ही जानेंगे कि- • ठंड में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का क्या कारण है? • ब्लड शुगर लेवल को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं? सवाल- सर्दियों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का खतरा क्यों रहता है? जवाब- सर्दियों में तापमान में गिरावट होने के साथ शरीर में बनने वाले इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है, जबकि ठंड में इसकी जरूरत अधिक होती है। यही वजह है कि सर्दियों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का रिस्क होता है। इसके अलावा कुछ और कारण भी हैं। जैसे कि- ठंड में लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है। अक्सर लोग एक्सरसाइज करना बंद कर देते हैं। इससे कैलोरीज बर्न नहीं हो पाती हैं और ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। सर्दियों में खानपान में बदलाव की वजह से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। ठंड के मौसम में प्यास कम लगती है। ऐसे में ड्रिहाइड्रेशन की वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। सवाल- ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) क्या होता है? जवाब– ग्लाइसेमिक इंडेक्स वह पैमाना है, जिससे हमें पता चलता है कि कोई खाद्य पदार्थ कितनी तेजी से हमारे ब्लड शुगर लेवल को बढ़ाता है। हम कुछ भी खाते हैं तो उसके बाद शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है। हरी सब्जियों का GI इंडेक्स सबसे कम होता है। उन्हें खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल बहुत देर से और बहुत मामूली सा बढ़ता है। वहीं ग्लूकोज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 100 होता है। यह पेट में जाने के बाद ब्लड शुगर लेवल को तुरंत बढ़ा देता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर जो खाद्य पदार्थ हाई रेटिंग वाले होते हैं, उनमें कार्ब की मात्रा ज्यादा होती है। ये पेट में जाकर जल्दी और आसानी से पचते हैं और ब्लड शुगर लेवल को तुरंत बढ़ाते हैं। वहीं जिन खाद्य पदार्थों की रैंकिंग ग्लाइसेमिक इंडेक्स पर कम होती है, वो पचने में वक्त लेते हैं और उन्हें खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने की गति बहुत धीमी होती है, जैसे फाइबर, प्रोटीन और हाई क्वालिटी फैट। सवाल- ग्लाइसेमिक लोड (GL) क्या होता है? जवाब- ग्लाइसेमिक लोड यह बताता है कि खाद्य पदार्थ में कितनी मात्रा में शुगर मौजूद है और वह ब्लड शुगर लेवल को कितना बढ़ाता है। इससे उसका ग्लाइसेमिक लोड पता चलता है। सवाल- सर्दियों में कौन से फल डायबिटिक लोगों के लिए फायदेमंद हैं? जवाब- सर्दियों के सीजन में कई ऐसे मौसमी फल हैं, जो डायबिटिक लोगों के लिए रामबाण का काम करते हैं। ये ठंड में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार हैं। सवाल- क्या फ्रूट्स खाने के बजाय उसका जूस पी सकते हैं? जवाब- कई लोगों को लगता है कि फ्रूट जूस भी फ्रूट्स की तरह पोषण से भरपूर होते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह महज एक मिथ है। फ्रूट जूस निकालते समय उसके फाइबर और मिनरल्स निकल जाते हैं। इस वजह से फ्रूट जूस ब्लड शुगर लेवल को ज्यादा बढ़ाते हैं। इसलिए डायबिटिक लोगों को फ्रूट जूस पीने के बजाय मौसमी फल ही खाने चाहिए। सवाल- फल खाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है? जवाब– फल खाते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे कि- • किसी भी फल को भोजन के साथ न खाएं। • हमेशा ताजे फल ही खाएं। फ्रोजन और कटे हुए फल खाने से बचें। • फल उसी समय काटें, जब आप उन्हें खाना चाहते हैं। देर तक काटकर रखने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते हैं। सवाल- सर्दियों में कौन सी सब्जियां डायबिटिक लोगों के लिए फायदेमंद हैं? जवाब– सर्दियों में मिलने वाली कुछ हरी सब्जियां ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार हैं। पालक पालक का ग्लाइसेमिक लोड कम होता है। इसका आप साग बनाकर खा सकते हैं। इससें फाइबर, विटामिन्स, कैल्शियम और आयरन जैसे न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। मेथी साग मेथी को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसमें फाइबर और अमीनो एसिड भरपूर मात्रा में होता है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है। मेथी के साग को डाइट में शामिल कर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकते हैं। बैंगन बैंगन की सब्जी बनाकर या इसे बॉइल करके खा सकते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है। ब्रोकली यह एक सुपरफूड है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी डायबिटिक प्रॉपर्टीज होती हैं। इसकी वजह से यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है। सरसों का साग सरसों का साग विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सरसों का साग फायदेमंद होता है।

समस्तीपुर, स्वास्थ्य

राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय में “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता” पर विशेष कार्यक्रम आयोजित

नया विचार सरायरंजन – सरायरंजन प्रखंड के नरघोघी स्थित राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय, समस्तीपुर में “मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता” पर एक विशेष कार्यक्रम एवं हेल्थ चेकअप कैम्प का आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की पहल “नयी उम्मीद: ए बेटर टुमारो” के तहत आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजकिशोर तुगनायत और कार्यक्रम के संयोजक प्रो. शिवा राम कृष्णा ने किया। उदबोधन कार्यक्रम में प्राचार्य ने कहा इस प्रतियोगिता के युग मे मानसिक स्वास्थ्य लाभ के लिए योग एवं मेडिटेशन का प्रयोग बेहद आवश्यक हो गया है। मुख्य अतिथि और वक्ता, डॉ. मनोज कुमार सिंह (मनोचिकित्सक, गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल, पटना सिटी) और श्री कुणाल कुमार (फाउंडर और डायरेक्टर, नारायणम इन्फो ऑनलाइन, समस्तीपुर) ने भी छात्रों को मार्गदर्शन किया कार्यक्रम में श्री राम जानकी मेडिकल कॉलेज, समस्तीपुर के अधीक्षक डॉ जी सी कर्ण, स्वास्थ प्रबंधक अंजनी आनंद ने भी छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर गहराई से प्रकाश डाला और छात्रों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज के सहयोग से स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया गया। शिविर में छात्रों का निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और उन्हें नि:शुल्क दवाइयां भी वितरित की गईं। डॉ. मनोज कुमार सिंह ने छात्रों को मानसिक विकारों जैसे तनाव, अवसाद और अन्य समस्याओं से निपटने के उपाय बताए। वहीं, श्री कुणाल कुमार ने विद्यार्थी जीवन की चुनौतियों और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के प्रमुख शिक्षक, प्रो. एम. जिया हुसैन और प्रो. अभय कुमार भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन प्रो. शिवा राम कृष्णा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस आयोजन ने न केवल छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने में मदद की, बल्कि उनमें नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार भी किया।

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सदर अस्पताल में मरीज के परिजनों के लिए बनाए जा रहे धर्मशाला तैयार, 30 रुपए शुल्क देकर मरीज के परिजन यहां ठहर सकेंगे

  नया विचार मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में अब इलाज के लिए आने वाले मरीज के भर्ती होने पर उनके परिजनों को अन्य स्थानों पर रात नहीं बितानी पड़ेगी। क्योंकि अब मरीज के परिजनों के ‌ठहरने के लिए अस्पताल कैंपस में ही एक मॉडर्न गेस्ट हाउस बनाया गया है। जिसमें ठहरने के लिए अस्पताल की ओर से निर्धारित राशि जमा कर रूम बुक कराया जा सकता है। बताया जाता है कि सेंट्रल ड्रग स्टोर के समीप ऊर्जा विभाग न के सीआरएस फंड से जी-4 बिल्डिंग का निर्माण किया गया है। मंगलवार को निर्माण एजेंसी ने इस नवनिर्मित भवन को अस्पताल प्रबंधन को हैंडओवर कर दिया। अधीक्षक डॉ. बाबू साहेब झा ने बताया कि इस गेस्ट हाउस में मरीजों के परिजन को सस्ते दर पर ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था होगी। 30 रुपए शुल्क में ठहरने के लिए बेड मिलेगा। इसके अलावा 30 रुपए में भोजन और 15 रुपए में नाश्ता मिलेगा।  

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एचएमपीवी का कोरोना जैसा लक्षण, एक-दूसरे से फैलता है संक्रमण, बरतें सावधानी

एचएमपीवी का कोरोना जैसा लक्षण, एक-दूसरे से फैलता है संक्रमण, बरतें सावधानी एचएमपीवी वायरस को लेकर एडवाइजरी जारी… अस्पताल व्यवस्था को दुरुस्त रखे नया विचार पटना |   एचएमपीवी सामान्य रेस्पिरेटरी वायरस है। इसका लक्षण कोरोना के समान है। कई दिनों से चीन के कुछ शहरों में रेस्पिरेटरी लक्षण वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी देखा जा रहा है। चीन द्वारा इसे सीजनल इनफ्लुएंजा माना जा रहा है। वर्ष 2024 में मलेशिया में 327 केस मिले थे। हिंदुस्तान में 2024 में एसएआरआई के 714 केस मिले थे। इसमें नौ मामले लैब टेस्ट में एचएमपीवी पॉजिटिव मिले थे। हालांकि इस बाबत स्वास्थ्य विभाग के सचिव संजय कुमार सिंह सतर्कता बरतने और अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए सभी जिला पदाधिकारी को एचएमपीवी से संबंधित एडवाइजरी जारी किया है। क्या है एचएमपीवी का लक्षण    एचएमपीवी रेस्पिरेटरी वायरस है जो सबसे पहले 2001 में नीदरलैंड में पाया गया था। इसके लक्षण कोरोना जैसा ही है। इसके मुख्य लक्षणों में बुखार, कफ, नसल कंजेशन (नाक जाम), गले में खरास (शोर थ्रोट), निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, शार्टनेस आफ ब्रीथ (सांस लेने में दिक्कत) आदि है। केस बढ़े तो अस्पतालों में फ्लू कॉर्नर की व्यवस्था करें • कैसे फैलता है एचएमपीवी एचएमपीवी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने अथवा छींकने से फैलता है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति को छूने, एंव संक्रमित वस्तुओं के मुंह, आंख अथवा नाक के संपर्क में आने से फैल सकता है।   • इनक्यूबेशन पीरियड इसका इनक्यूबेशन पीरियड तीन से छह दिन का है। इसका प्रकोप जाड़े के मौसम या बसंत के शुरू में देखने को मिलता है।   • क्या है बचाव : एचएमपीवी संक्रमण से बचाव कोविड-19 के समान ही है। हाथों को साबुन एवं पानी से लगातार धोना। गंदे हाथों से आंख, नाक अथवा मुंह को नही छूना है। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना। खांसते एवं छींकते वक्त मुंह को रूमाल से ढकना। संक्रमण की अवधि में खुद को घर में ही आइसोलेट करना है। क्या है इलाज : एचएमपीवी के संक्रमण से बचाव के लिए कोई विशेष एंटीवायरल इलाज या वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है। इससे बचाव के लिए सिम्टोमेटिक इलाज चलता है। जैसे खूब पानी पीना, आराम करना, दर्द अथवा रेस्पिरेटरी सिमटम को कम करने के लिए दवा लेना एवं गंभीर मामलों में ऑक्सीजन सपोर्ट देना है।   • क्या है जांच: आरटी   -पीसीआर जांच से इसे कनफर्म किया जाता है। राज्य में एचएमपीवी के किसी भी तरह के आउट ब्रेक को रोकने के लिए निम्न निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा इनफ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) व सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी निमोनिया (एसएआरआई) का सर्विलेंस सुनिश्चित करते हुए इसको आईएचआईपी पोर्टल पर प्रतिदिन प्रतिवेदित किया जाय। सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा एनआईवी पुणे कोविड़ 19 से संबंधित दवा, किट, ऑक्सीजन मास्क, वेंटिलेंटर, मास्क आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय। आईएलआई और सारी के ट्रेंड पर लगातार ध्यान रखा जाय और केस बढ़ने की स्थिति में सभी स्वास्थ्य संस्थानों में फ्लू कार्नर को एक्टिवेट किया जाय। सभी हेल्थ वर्कर्स को एचएमपीवी से बचाव के बारे मे प्रशिक्षित किया जाय। सभी स्वास्थ्य संस्थानों में इनफेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिस की सघन मॉनिटरिंग की जाय। अस्पताल में गंभीर रुप से भर्ती एसएआरआई मामले के सैंपल एनआईवी पुणे भेजा जाए ताकि एचएमपीवी का लैब कनफर्मेशन हो सके। निर्देश है कि श्वसन तंत्र एवं बुखार के मरीज के उपचार के लिए अस्पताल को अधिक से अधिक सुव्यवस्थित किया जाए। एचएमपीवी रोगियों के भर्ती होने की स्थिति में वार्ड / बेड के मार्क करने के लिए अलग से आदेश निर्गत किया जाएगा।

स्वास्थ्य

चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत पूरी तरह है तैयार’, चीन में फैले नए वायरस पर बोला स्वास्थ्य मंत्रालय

  नया विचार – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को लोगों को आश्वस्त किया कि चीन में सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसमें ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के कारण होने वाली बीमारियां भी शामिल हैं. एक बयान में मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि चीन में सबकुछ ठीक है और हिंदुस्तान श्वसन संक्रमणों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.   2020 में कोरोना महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी. इसका खौफ अभी लोगों ने जहन से निकला नहीं था कि चीन में एक और वायरस की समाचारें दुनिया के लिए सिर दर्द बनकर उभरी हैं. इसको लेकर हिंदुस्तान में भी सतर्कता बरती जा रही है. शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को आश्वस्त किया कि चीन में सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में हाल ही में हुई वृद्धि को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसमें ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के कारण होने वाली बीमारियां भी शामिल हैं.   एक बयान में मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि चीन में सबकुछ ठीक है और हिंदुस्तान श्वसन संक्रमणों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है.   बैठक के बाद मंत्रालय ने जारी किया बयान   दरअसल, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थिति का आकलन करने के लिए संयुक्त निगरानी समूह की बैठक बुलाने के बाद यह बयान आया. मंत्रालय ने कहा, “अधिकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय चैनलों से अपडेट की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित जोखिम के बारे में जानकारी रहे.”   मंत्रालय ने WHO से सक्रिय दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए समय पर अपडेट प्रदान करने का भी अनुरोध किया है. हिंदुस्तान के निगरानी डेटा से पता चलता है कि देश भर में सांस संक्रमण या संबंधित अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है.   मंत्रालय ने कहा, “हिंदुस्तान में HMPV जैसे वायरस पहले से ही प्रचलन में हैं और मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा किसी भी संभावित मामले को संभालने में सक्षम है.”   स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से की ये अपील   देश की तत्परता को दोहराते हुए मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हिंदुस्तान की मजबूत निगरानी प्रणाली और स्वास्थ्य सेवा संसाधन श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित हैं. साथ ही नागरिकों से शांत रहने और मानक स्वास्थ्य सावधानियों का पालन करने का आग्रह किया, जिसमें स्वच्छता बनाए रखना और लक्षण दिखने पर चिकित्सा सलाह लेना शामिल है.   चीन ने समाचारों का किया खंडन   बता दें कि चीन ने देश में फ्लू के बड़े प्रकोप की समाचारों को खारिज किया और कहा कि इस तरह की समाचारों से बचना चाहिए, जिसमें दावा किया जा रहा है कि चीन के अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है. चीन का कहना है कि हर साल सर्दी के मौसम में सांस संबंधी समस्याएं होती हैं, और इस साल सामने आए मामले पिछले साल की तुलना में कम गंभीर हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बताया कि उत्तरी गोलार्द्ध (चीन और आसपास के इलाकों) में सर्दियों के दौरान सांस संबंधी समस्याएं चरम पर होते हैं. उन्होंने यह आश्वासन दिया कि चीन में यात्रा करना सुरक्षित है.   सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे अस्पताल के वीडियो   सोशल मीडिया पर भीड़ वाले अस्पतालों के वीडियो वायरल हो रहे हैं, लेकिन माओ निंग का कहना है कि यह एक हर साल की घटना है जो सर्दियों के दौरान होती है. पिछले कुछ महीनों से चीन में मौसम भी काफी ठंडा रहा है, जो इस प्रकोप का कारण हो सकता है.   चीन के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण और रोकथाम प्रशासन ने सर्दी के मौसम में सांस संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं. इसका उद्देश्य लोगों को सचेत करना और वायरस संभावित प्रसार को रोकना है।

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