Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों के आधार पर ही इस प्रभावशाली ग्रंथ की रचना की, जो कि चाणक्य नीति के नाम से प्रसिद्ध है. इस ग्रंथ में उन्होंने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की है, जिसमें राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, नैतिक और निजी जीवन से जुड़े विभिन्न विषय शामिल हैं. चाणक्य नीति में स्त्री-पुरुष दोनों के गुणों और अवगुणों के बारे में भी चर्चा की है. ऐसे ही उन्होंने स्त्रियों के स्वभाविक दोषों के बारे में बातें बताई है. वे कहते हैं कि स्त्रीओं में कुछ दोष जन्मजात ही होते हैं. दरअसल, आचार्य चाणक्य दूसरे अध्याय में कहते हैं के पहले श्लोक में कहते हैं कि
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमितलोभिता।
अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषा: स्वभावजा:।।
इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि झूठ बोलना, साहस, छल-कपट, मूर्खता, अत्यंत लोभ, अपवित्रता और निर्दयता स्त्रीओं के स्वभाविक दोष होते हैं.
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- आचार्य चाणक्य के मुताबिक, साहसी होना स्त्रियों का जन्मजात गुण होता है. वे अपने दु:साहस से कोई भी काम कर सकती हैं. ऐसे में उन पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है.
- चाणक्य नीति के मुताबिक, स्त्रीएं स्वाभाविक रूप से लालची होती हैं. हालांकि, नारी ममता, दया और क्षमा का एकमात्र स्थान होती है. इसके बिना जिंदगी अधूरी होती है.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. नया विचार इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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