CM Yogi Gift : हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए यूपी की योगी प्रशासन काम कर रही है. योगी प्रशासन “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” की ओर भी अग्रसर है. प्रशासन की मंशा स्प्रिंकलर और ड्रिप जैसी अपेक्षाकृत दक्ष सिंचाई प्रणालियों को आगे बढ़ाना है. इसे प्रोत्साहन देकर सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी के बेहतर प्रबंधन से सिंचन क्षमता को बढ़ाना प्रशासन का लक्ष्य है. इसके लिए प्रशासन ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई की सक्षम विधाओं पर 80 से 90 फीसद तक अनुदान देती है. लाखों किसानों ने इसका लाभ किया है.
ड्रिप और स्प्रिंकलर विधा से सिंचाई के होने वाले लाभ
इन विधाओं के प्रयोग के नतीजे भी दूरगामी होंगे. पानी बचेगा. साथ ही पानी को भूगर्भ जल से ऊपर खींचने वाली ऊर्जा भी. परंपरागत सिंचाई जिसमें पूरे खेत को पानी से भरा जाता है उससे होने वाली फसलों की क्षति भी नहीं होगी. बराबर से जरूरत के अनुसार बीज और पौधों को पानी मिलने से उनका अंकुरण (जर्मिनेशन) और बढ़वार (ग्रोथ) भी अच्छी होगी. असमतल भूमि पर भी इनका प्रयोग संभव होना अतिरिक्त लाभ होगा. इस सबका असर बढ़ी उपज और इसी अनुसार किसान की बढ़ी आय के रूप में दिखेगा. किसानों की यही खुशहाली डबल इंजन प्रशासन की मंशा भी है. अगर ऐसा हुआ तो उपलब्ध सिंचाई सुविधाओं से ही सिंचन क्षमता डेढ़ गुना से अधिक हो जाएगी.
इनके विस्तार के लिए प्रशासन के साथ सहयोग कर रहा इजराइल
इन विधाओं को लोकप्रिय और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन इजरायल प्रशासन से भी सहयोग ले सकती है. इस बाबत इजराइल के राजदूत से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उनसे इस बाबत बात भी हो चुकी है. खेतीबाड़ी से संबंधित कुछ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को इसका मॉडल भी बनाया गया है.
बुंदेलखंड में इसके विस्तार पर खासा जोर
पानी के लिहाज से सबसे संकटग्रस्त बुंदेलखंड से इसकी पहल भी हो चुकी है. कम पानी में अधिक रकबे की सिंचाई के लिए बतौर मॉडल प्रशासन तीन स्प्रिंकलर परियोजनाओं पर काम कर रही है. इनमें मसगांव चिल्ली( हमीरपुर) कुलपहाड़ (महोबा ) औऱ शहजाद (ललितपुर) परियोजनाएं शामिल हैं. बाद में सिंचाई की अन्य परियोजनाओं को भी स्प्रिंकलर से जोड़े जाने की भी योजना है. खेत-तालाब योजना के तहत निर्मित तालाबों को भी प्रशासन स्प्रिंकलर से जोड़ेगी.
अब तक हुए सिंचन क्षमता का विस्तार
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना की मदद से योगी प्रशासन ने सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा बाण सागर परियोजना को जनता को समर्पित कर प्रदेश के सिचाईं क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया है. इन बड़ी परियोजनाओं को लेकर योगी के आठ वर्ष के कार्यकाल में छोटी, बड़ी कुल 976 परियोजनाएं पूरी हुईं या प्रस्थापित की गईं हैं. इस सबका नतीजा यह रहा कि प्रदेश में करीब 48.32 लाख हैक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई. इससे लगभग 185.33 लाख किसान लाभान्वित हुए. 2017 में प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्र का रकबा 82.58 लाख हेक्टेयर था. आठ वर्षों में यह बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर हो गया. किसानों के व्यापक हित, फसल आच्छादन का रकबा और उपज बढ़ाने के लिए किए गए इस प्रयास का ही नतीजा है कि आज यूपी देश का इकलौता राज्य है जहां उपलब्ध भूमि के 76 फीसद हिस्से पर खेती हो रही है और कुल भूमि का करीब 86 फीसद हिस्सा सिंचित है.
परियोजनाएं जिन पर काम जारी है
सिंचन क्षमता बढ़ाने का यह सिलसिला अभी जारी है. मध्य गंगा नगर परियोजना फेज दो, कनहर सिंचाई परियोजना और रोहिन नदी पर महराजगंज में बैराज बनाने का काम जारी है. इन परियोजनाओं के पूरा होने से करीब 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी. साथ ही इससे सात लाख किसानों को भी लाभ होगा. इसी तरह नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन बेतवा लिंक के पूरा होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझेगी. साथ ही 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा. उल्लेखनीय है कि बाढ़ और सूखे के स्थाई समाधान के लिए नदी जोड़ो परियोजना प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी का सपना था. उनके जन्मदिन पर पिछले साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था. केंद्र और प्रदेश के क्रमशः 90 और 10 फीसद अंशदान वाली इस परियोजना पर योगी प्रशासन तेजी से काम भी कर रही है.
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