Defense: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस तनाव के बीच सोमवार को हिंदुस्तान और फ्रांस के बीच नौसेना के लिए 26 राफेल विमान (22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर) की खरीद के लिए एक अंतर-प्रशासनी समझौते (आईजीए) पर हस्ताक्षर किया गया. समझौते के तहत प्रशिक्षण, सिम्युलेटर, संबंधित उपकरण, हथियार और प्रदर्शन-आधारित रक्षा सामग्री शामिल हैं. इसमें हिंदुस्तानीय वायु सेना के मौजूदा राफेल बेड़े के लिए अतिरिक्त उपकरण भी मौजूद रहेंगे.
फ्रांस के साथ हिंदुस्तान का राफेल को लेकर यह दूसरा करार है. अभी तक फ्रांस हिंदुस्तान को 36 राफेल फाइटर जेट प्लेन दे चुका है. 36 राफेल फाइटर प्लेन एयरफोर्स में तैनात हैं और इनके लिए अंबाला और हाशिमारा में एयरफोर्स दो स्क्वाड्रन बना चुका है. अब नए राफेल सौदों के डील के तहत मिलने वाले सभी 26 राफेल प्लेन इंडियन नेवी को मिलेंगे. जिसकी तैनाती आईएनएस विक्रांत पर होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकॉर्नू ने अंतर-प्रशासनी समझौते पर हस्ताक्षर किया. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में हिंदुस्तान और फ्रांस के अधिकारियों ने समझौते, विमान पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल और हथियार पैकेज आपूर्ति प्रोटोकॉल के आदान-प्रदान करने पर सहमति जतायी. समझौते में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण और आत्मनिर्भर हिंदुस्तान को बढ़ावा देने के प्रशासन की सोच के तहत तकनीकी हस्तांतरण होगा. इसमें राफेल विमान के रखरखाव, मरम्मत और ओवरऑल सुविधा देश में उपलब्ध होगी. इस सौदे से इन सुविधाओं के शुरू होने से उत्पादन और संचालन में काफी संख्या में एमएसएमई के लिए हजारों नौकरियां के पैदा होने की संभावना है.
नौसेना की बढ़ेगी ताकत
फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित, राफेल-मरीन एक लड़ाकू विमान है जो समुद्री क्षेत्र में पूर्ण रूप से चलने में सक्षम है. इन विमानों की आपूर्ति वर्ष 2030 तक पूरी होने की संभावना है. इसके लिए फ्रांस की ओर से हिंदुस्तानीय नौसेना के अधिकारियों को प्रशिक्षण भी मुहैया कराया जायेगा. राफेल-मरीन की खरीद से हिंदुस्तानीय नौसेना और हिंदुस्तानीय वायुसेना दोनों के लिए विमान के लिए प्रशिक्षण और रक्षा सामग्री की परिचालन क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी.
राफेल-मरीन के शामिल होने से हिंदुस्तानीय नौसेना के विमानवाहक पोतों की मारक क्षमता में काफी बढ़ जायेगी. राफेल-एम एक मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. स्टेल्थ तकनीक के कारण इसे रडार में पकड़ना काफी मुश्किल होता है. इस लड़ाकू विमान से नौसेना की निगरानी, जासूसी और हमला करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी. समझौते के तहत फ्रांस ने हिंदुस्तानीय जरूरतों के लिहाज से इसमें कई बदलाव किए है और कई विशेष हथियारों को लगाने का काम किया है.
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