Delhi: दिल्ली में मुख्यमंत्री (सीएम) और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच टकराव होना कोई नया मामला नहीं है. 1998 में शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक कई बार दिल्ली के निर्वाचित प्रशासन और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों और प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर संघर्ष हुआ है. लेकिन, 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिलने के बाद भाजपा के नेताओं की ओर से दावा किया जा रहा है कि अब एलजी और सीएम के बीच तकरार होने की आशंका नहीं है. आइए, जानते हैं कि दिल्ली में एलजी और सीएम के बीच 1998 से लेकर 2025 तक कब-कब किन मुद्दों पर तकरार हुई और भाजपा नेताओं का दावा क्या है?
शीला दीक्षित बनाम उपराज्यपाल विजय कपूर (1998-2004)
साल 1998 से लेकर 2004 तक शीला दीक्षित प्रशासन और उपराज्यपाल विजय कपूर के बीच कई नीतिगत मामलों को लेकर मतभेद रहे. मुख्य रूप से दिल्ली पुलिस के नियंत्रण, सीलिंग ड्राइव और मास्टर प्लान जैसे मुद्दों पर दोनों के बीच विवाद हुआ. उस समय दिल्ली की शीला दीक्षित प्रशासन चाहती थी कि उसे अधिक स्वायत्तता मिले, लेकिन केंद्र प्रशासन के अधीन उपराज्यपाल ने कई बार योजनाओं पर अड़ंगा लगाया.
अरविंद केजरीवाल बनाम नजीब जंग (2013-2016)
2013 में आम आदमी पार्टी की प्रशासन बनने के बाद एलजी और सीएम के बीच पहली बड़ी तकरार शुरू हुई. केजरीवाल प्रशासन ने दिल्ली पुलिस, भूमि और कानून-व्यवस्था पर अधिक नियंत्रण की मांग की. नजीब जंग ने दिल्ली प्रशासन के अधिकारियों की नियुक्तियों में दखल दिया, जिससे विवाद बढ़ा. केजरीवाल प्रशासन ने बिना LG की मंजूरी के विधायिका में बिल पेश करने की कोशिश की, जिसे रोक दिया गया. केजरीवाल ने नजीब जंग को “मोदी प्रशासन का एजेंट” कहा और एलजी ऑफिस पर धरना तक दिया.
अरविंद केजरीवाल बनाम अनिल बैजल (2016-2021)
मुख्यमंत्री कार्यालय ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल बिना मुख्यमंत्री की सहमति के फ़ाइलों को मंजूरी दे रहे थे. मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर आप विधायकों की ओर से कथित हमले के बाद अफसरों ने हड़ताल कर दी. केजरीवाल ने एलजी अनिल बैजल पर अफसरों को हड़ताल पर रखने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में फैसला दिया कि “एलजी को मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्य करना होगा,” लेकिन कुछ शक्तियां केंद्र प्रशासन के पास ही रहीं.
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अरविंद केजरीवाल बनाम वीके सक्सेना (2022 से अब तक)
- शराब नीति घोटाला विवाद: दिल्ली प्रशासन की नई आबकारी नीति को लेकर एलजी और सीएम में तीखी झड़प हुई. एलजी वीके सक्सेना ने इस नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिससे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर कानूनी शिकंजा कसा गया.
- दिल्ली सेवा बिल (2023): केंद्र प्रशासन ने “दिल्ली प्रशासन को अफसरों की नियुक्ति का अधिकार नहीं होगा” कहते हुए एक नया कानून लागू किया, जिससे सीएम और एलजी में फिर से तकरार बढ़ गई.
- आप विज्ञापन फंडिंग विवाद: एलजी ने आप प्रशासन पर प्रशासनी विज्ञापन के लिए सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया.
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क्या कहते हैं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष
अब जबकि दिल्ली में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है, तो उसके नेताओं का मानना है कि दिल्ली में 26 साल बाद पार्टी की सत्ता में वापसी से एक ऐसी प्रशासन बनेगी, जिसके उपराज्यपाल कार्यालय के साथ सौहार्दपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध होंगे. मीडिया से बातचीत करते हुए भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि उनकी पार्टी संवैधानिक प्राधिकारियों का सम्मान करती है और उनके साथ हमेशा समन्वय और सहयोग सुनिश्चित करके लोगों की सेवा करने का लक्ष्य रखती है. सचदेवा ने कहा, ‘‘उपराज्यपाल ने हमेशा दिल्ली के लोगों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए काम किया है जो भाजपा का भी लक्ष्य है. उनके मार्गदर्शन में दिल्ली में हमारी प्रशासन अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाओं और सुविधाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करेगी.’’ उन्होंने कहा कि भाजपा अपने चुनाव घोषणापत्र के अनुसार, दिल्ली को ‘‘विकसित राजधानी’’ बनाने के लिए काम करेगी.
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