प्रतिनिधि, चितरा . हेमंत प्रशासन के कोयला में अतिरिक्त टैक्स लगाये जाने के कारण झारखंड के कोयला खदानों के कोयले की मांग घट गयी है, जिससे कोयला व्यवसायियों, बेरोजगारों व मजदूरों को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ रहा है. इसका असर चितरा कोलियरी में भी देखने को मिल रहा है. उक्त बातें पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने मंगलवार को सहरजोरी स्थित अपने आवासीय कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही. उन्होंने कहा कि राज्य प्रशासन पहले भी कोयला में प्रति टन एक सौ रुपया टैक्स के रूप में वसूलती थी. लेकिन वर्तमान में एक सौ से बढ़कर ढाई सौ रुपया प्रति टन टैक्स कर दिया गया है. इससे चितरा कोलियरी सहित राज्य के तीन कोयला खदानों से कोयले की मांग पहले की तुलना में कम हो गयी है. उन्होंने कहा कि अवैध रूप से कोयला धड़ल्ले से बिना किसी टैक्स के ईंट भट्टे सहित अन्य जगहों में भेजा जा रहा है. कहा कि ज्यादा टैक्स भुगतान का लोड बढ़ने से झारखंड व अन्य राज्यों के कोयला व्यवसायी झारखंड का कोयला नहीं खरीदना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हेमंत प्रशासन आज तक नियोजन नीति लागू नहीं कर पायी और पूर्व के रघुवर प्रशासन में बनायी गयी नियोजन नीति को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया. वहीं चितरा कोलियरी के कोयला कर्मियों के संडे, होली-डे व ओटी काटे जाने पर कहा कि चितरा कोलियरी की ईंट से ईंट बजा देंगे. अगर समस्या का समाधान जल्द नहीं हुआ तो इस नीति का पुरजोर विरोध किया जायेगा.
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