धनबाद.
डीओ 55 सौ रुपये का, पर खुले बाजार में लिंकेज कोयले की बिक्री 9000 रुपये प्रतिटन हो रही है, जबकि नियमानुसार लिंकेज कोयले की बिक्री खुले बाजार में हो ही नहीं सकती है. जानकारी के अनुसार धड़ल्ले से जारी लिंकेज कोयले की इस ब्लैक मार्केटिंग से लिंकेज होल्डरों को प्रतिटन 3500 रुपये की कमाई हो रही है. सनद रहे कि झारखंड प्रशासन के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इस पर रोक व जांच के लिए रांची और धनबाद में कहा था, पर इसके निर्देश का असर नहीं दिख रहा है. आलम यह है कि बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के लिंकेज का कोयला बेरोकटोक खुले बाजार में बिक रहा है. इतना ही नहीं बीसीसीएल की कई कोलियरियों से ग्रेड की हेराफेरी कर हाई ग्रेड का बढ़िया कोयला भी उठा लिया जा रहा है. इससे ना सिर्फ बीसीसीएल, बल्कि केंद्र व राज्य प्रशासन को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर जिले के हार्डकोक उद्यमी व डीओ होल्डरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
क्या है मामला
बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन द्वारा प्रदेश की विभिन्न फैक्ट्रियों के नाम पर लिंकेज के माध्यम से रियायती दर पर कोयला आवंटित किया जाता है. इसको लेकर लिंकेज कोयले का उठाव बीसीसीएल की विभिन्न कोलियरियों से हो रहा है. जानकारों के अनुसार लिंकेज कोयला फर्जी तरीके से फैक्ट्रियों में पहुंचने के बजाय सीधे बिहार-यूपी की मंडियों में पहुंच रहा है, जहां धड़ल्ले से खुले बाजार में बेच दिया जा रहा है. बता दें कि बीसीसीएल ने फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट (एफएसए) यानी लिंकेज के माध्यम से बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन के नाम अपनी पांच कोलियरियों से 30 हजार टन कोयले का आवंटन किया है. इसमें धनसार से 8000 टन, मोदीडीह से 7000 टन, कुइंया से 4000 टन, निचितपुर से 7000 टन व कुसुंडा से 4000 टन कोयले का आवंटन शामिल है. सनद रहे ब्रिकेट इंडस्ट्रीज को स्लरी व लो ग्रेड कोयले की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद वाशरी थ्री, स्टील व हाई ग्रेड का कोयला आवंटित किया जा रहा है. यही नहीं, इंडस्ट्रीज के नाम पर रियायती दर का कोयला अपने कार्य में इस्तेमाल ना कर बाहर मंडी में खुलेआम बेचा जा रहा है.
बिना जीपीएस लिंकेज कोयले की ट्रांसपोर्टिंग क्यों ? :
बीसीसीएल से एमपीएल हो या टाटा कहीं भी कोयले की ट्रांसपोर्टिंग बिना जीपीएस के नहीं होता, परंतु बिहार माइनिंग के लिंकेज कोयले की ट्रांसपोर्टिंग बिना जीपीएस के ही किया जा रहा है. जानकारों का आरोप है कि जब वर्तमान में सभी जगहों पर कोयले की ट्रांसपोर्टिंग के लिए जब गाड़ियों में जीपीएस का इस्तेमाल हो रहा है, तो लिंकेज कोयले की ट्रांसपोर्टिंग बिना जीपीएस वाली गाड़ी से कैसे हो रहा है. इसका खुलासा जांच हो तो हो सकता है.
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