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Dhanbad News: बारिश से छोटे दुकानदारों की कमाई पर संकट, ना पूंजी उठी ना मेहनताना

– 50 करोड़ के कारोबार का था लक्ष्य, 25 प्रतिशत भी नहीं हुआ

-कई दुकानदारों के सामने अब उधारी चुकाने का संकट- बड़े रेस्टोरेंट व होटलों का अच्छा हुआ कारोबार

धनबाद.

नवरात्र के दौरान हुई बारिश ने छोटे दुकानदारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. दुर्गा पूजा पंडालों के आसपास कई दुकानदार कर्ज लेकर ठेला और दुकान सजाए थे. लेकिन पूंजी भी नहीं निकल पायी. बाजार से लिये गये आंकड़ों के मुताबिक जिले में 383 पूजा पंडाल बनाये गये थे. 25 पूजा पंडाल के पास मेला लगा था. साथ ही, सभी 383 जगहों पर ठेला-खोमचा व खाने-पीने की अस्थायी दुकानें सजी थीं. कारोबारियों को उम्मीद थी कि इस बार 50 करोड़ के कारोबार का आंकड़ा पार करेगा. लेकिन बारिश के कारण 25 प्रतिशत भी कारोबार नहीं हुआ. बारिश के कारण न ग्राहक पहुंचे और न ही बिक्री हुई. कई दुकानदारों के सामने अब उधारी चुकाने का संकट खड़ा हो गया है.

बारिश से परिवार की उम्मीदें टूट गयीं

मुकेश यादव :

बरसात ने पूरा माहौल बिगाड़ दिया. 30 हजार रुपये की पूंजी लगाकर गन्ना जूस का ठेला लगाया था. उम्मीद थी कि त्योहार में अच्छी कमाई होगी. लेकिन बारिश ने भीड़ रोक दी. जितना निवेश किया था, वह भी नहीं निकल पाया. नुकसान उठाना पड़ा. पूरे परिवार की उम्मीदें टूट गयीं.

राजेश कुमार :

हमने छोला-भटूरा की दुकान लगायी थी. शुरुआत में थोड़ी रौनक दिखी, लेकिन लगातार बारिश ने भीड़ का उत्साह कम कर दिया. बाजार तो चला, पर वैसा नहीं जैसा हमने सोचा था. मेहनत और खर्च के हिसाब से आमदनी कम रही. त्योहार में जहां हमें मुनाफा मिलना चाहिए था, इस बार व्यापार पर पानी फेर दिया.

वर्ष 2014 के दुर्गोत्सव की झमाझम बारिश की यादें ताजा

इस बार उत्साह और उमंग से दुर्गोत्सव मनाने का सपना मौसम ने तोड़ दिया. महानवमी से लेकर विजयादशमी तक लगातार हो रही बारिश ने श्रद्धालुओं की भीड़ को रोक दिया. महानवमी की शाम अचानक हुई झमाझम बारिश ने पूरे शहर की रौनक फीकी कर दी. देर रात तक बारिश होती रही. जिस कारण पंडालों में श्रद्धालु पहुंच ही नहीं पाये. यहां तक कि गुरुवार को विजयादशमी के दिन भी हालात कुछ अलग नहीं रहे. सुबह से दोपहर तक हुई बारिश के कारण लोग घरों से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके. हालांकि शाम को जब बारिश थमी, तब श्रद्धालु बाहर निकले. धनबाद के लिए यह दुर्गोत्सव यादगार रहा. लेकिन वजह उत्साह नहीं, बल्कि लगातार हुई बारिश रही. वर्ष 2014 के बाद यह दूसरा दुर्गोत्सव रहा, जो बारिश की भेंट चढ़ा. उस साल भी महासप्तमी से महानवमी तक चक्रवाती तूफान का कहर रहा था. प्रशासन ने तब मेले को दो दिन अतिरिक्त समय दिया था, ताकि आम लोग उत्सव का आनंद उठा सकें और व्यापारी अपना नुकसान संभाल सके. संयोग देखिए, इस बार भी तिथियां लगभग वही रहीं. 2014 में 23 सितंबर को महालया, एक अक्तूबर को महासप्तमी, दो अक्तूबर को महाअष्टमी, तीन अक्तूबर को महानवमी और चार अक्तूबर को दशहरा पड़ा था. इस बार एक अक्तूबर को महानवमी और दो अक्तूबर को विजयादशमी थी.

पूर्व मंत्री मन्नान मल्लिक बोले : दुकानदारों की मदद को आगे आये प्रशासन

इधर, पूर्व मंत्री मो मन्नान मल्लिक ने जिला प्रशासन से छोटे दुकानदारों विशेषकर ठेला-खोमचा वालों की मदद की अपील की है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इस बार बारिश के कारण दुर्गा पूजा मेला पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. इससे छोटे दुकानदारों को भारी नुकसान हुआ. प्रशासन मेला अवधि बढ़ाये या फिर आपदा कोष से राहत दे. सनद हो कि वर्ष 2014 की दुर्गा पूजा में इसी तरह दुकानदारों को मौसम की मार पड़ी थी. उस वक्त श्री मल्लिक राज्य के पशुपालन सह आपदा मंत्री एवं धनबाद के विधायक थे. उन्होंने दो दिनों के लिए यहां मेला लगाने की विशेष अनुमति दिलायी थी.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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