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Dhanbad News : बिना जांच मरीजों को दी जा रही शुगर की दवा, कई केंद्र में उपस्थिति बनाकर चले जाते हैं चिकित्सक

धनबाद के शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए नगर निगम द्वारा अर्बन आयुष्मान आरोग्य मंदिर का संचालन किया जाता है. नगर निगम क्षेत्र में कुल 30 अर्बन आयुष्मान केंद्र हैं. निगम इन केंद्रों में बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध होने का दावा करता है, लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर हैं. नया विचार की टीम ने शुक्रवार को शहरी क्षेत्र में नगर निगम द्वारा संचालित विभिन्न आयुष्मान आरोग्य मंदिर केंद्र का जायजा लिया. इसमें कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये. कई केंद्रों में चिकित्सक आते है और बायोमीट्रिक उपस्थिति बनाकर चले जाते हैं. विभिन्न केंद्रों में आवश्यक जांच के साथ दवाओं का घोर अभाव है. कुछ केंद्र ऐसे भी मिले जहां शुगर से संबंधित जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन मरीज के कहने पर उन्हें दवा दे दी जाती है. लगभग सभी केंद्रों में हर दिन इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों की औसतन संख्या 10 से कम दिखी. नया विचार की टीम ने जो देखा, जो पाया, प्रस्तुत है यह रिपोर्ट.

आयुष्मान आरोग्य मंदिर कोलाकुसमा@ 11 बजे : कटने, छिलने पर बैंडेज तक की नहीं है व्यवस्था

कोलाकुसमा के लिपिडीह में स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर में शुक्रवार को दिन के 11 बजे नया विचार की टीम पहुंची. यहां चिकित्सक मौजूद नहीं थे. केंद्र में मौजूद एमपीडब्ल्यू से पूछने पर बताया कि चिकित्सक डॉ जीके हिंदुस्तानी जरूरी काम से बाहर गये हुए हैं. नर्स भी छुट्टी पर थी. एमपीडब्ल्यू ने बताया कि केंद्र में लगभग 60 तरह की दवा उपलब्ध है. जबकि, केंद्र में नियम अनुसार कुल 105 तरह की दवा होना अनिवार्य है. उपकरण नहीं होने के कारण कटने, छिलने पर बैंडेज की व्यवस्था केंद्र में उपलब्ध नहीं है. बताया कि केंद्र में शुगर जांच की व्यवस्था नहीं है. मरीज के कहे अनुसार शुगर की दवा दी जाती है. यह भी बताया कि जरूरत की दवाओं की घोर कमी है. केंद्र में स्प्रिट व सिरिंज तक नहीं है.

आयुष्मान आरोग्य मंदिर, नूतनडीह@ 10.35 : किराया के घर में चल रहे केंद्र का गेट अंदर से था बंद

दिन के 10.30 बजे नया विचार की टीम नूतनडीह स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर पहुंची. पाया कि किराया के घर में केंद्र का संचालन हो रहा है. केंद्र का गेट अंदर से बंद मिला. केंद्र से संबंधित किसी तरह को बोर्ड बाहर प्रदर्शित नहीं था. गेट नॉक करने पर अंदर से एक व्यक्ति बाहर आया. केंद्र के संबंध में पूछने पर उसने गेट खोला. केंद्र में नियुक्त चिकित्सक डॉ कुमार गौतम का चेंबर खाली मिला. पूछने पर पता चला कि बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज कर वह चले गये हैं. एक एमपीडब्लयू लाल सोरेन व जीएनएम रंजीत पासवान मौजूद थे. एमपीडब्ल्यू लाल सोरेन ने बताया कि यहां शुगर, बीपी, बुखार, सर्जी खांसी की दवा दी जाती है. अन्य दवाओं की कमी है. फर्स्ट एड की भी कोई नहीं है.

आयुष्मान आरोग्य मंदिर, धैया मंडल बस्ती@12.30 : शुगर जांच के लिए बेसिक किट नहीं थी मौजूद

धैया के मंडल बस्ती में पिछले एक वर्ष से किराये के मकान में अर्बन आयुष्मान आरोग्य मंदिर का संचालन हो रहा है. दोपहर 12.30 बजे नया विचार की टीम केंद्र पहुंची. पाया कि बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी है. केंद्र की चिकित्सक समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे. संसाधनों के संबंध में पूछने पर पता चला कि शुगर की मामूली जांच के लिए बेसिक किट उपलब्ध नहीं है. यदि कोई व्यक्ति मामूली चोट के बाद ड्रेसिंग कराने पहुंचे, तो उसे निराशा ही हाथ लगेगी. क्योंकि यहां ड्रेसिंग के लिए आवश्यक कॉटन और बैंडेज जैसे फर्स्ट एड के लिए जरूर सामान उपलब्ध नहीं हैं. वर्तमान में केंद्र में केवल बीपी जांच की सुविधा उपलब्ध है. आवश्यक दवाओं की भी कमी हैं.

आयुष्मान आरोग्य मंदिर, सिमलडीह @ 12 : स्वास्थ्य केंद्र में नहीं थीं डॉक्टर

धनबाद के तेलीपाड़ा स्थित सिमलडीह के अर्बन आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सुबह 12 बजे जब नया विचार की टीम पहुंची, यहां आधे घंटे तक आवाज देने के बाद भी कोई बाहर नहीं आया. इसके बाद टीम अंदर घुसी, तो वहां मौजूद एक स्त्री कर्मी सो रही थी. मंदिर में डॉक्टर भी मौजूद नहीं थीं. पूछने पर पता चला कि डॉक्टर आज आयीं ही नहीं है. मंदिर में शुगर की दवा, तो थी, लेकिन जांच करने की मशीन नहीं थी. पता चला कि डॉक्टर के नहीं होने पर आने वाले मरीजों यहां कर्मी ही दवा दे देते है. वहां मौजूद अधिकतर दवा नवंबर माह में एक्सपायर हो जायेगी. मंदिर में लोगों के लिए योग सीखने की भी कोई व्यवस्था नहीं थी. आरोग्य मंदिर के बाहर ना कोई बोर्ड लगा था और ना पोस्टर.

आयुष्मान आरोग्य मंदिर, भूदा @ 10.35 : सर्दी-जुकाम तक की नहीं है दवा

आयुष्मान आरोग्य मंदिर भूदा में बेसिक दवा की किल्लत है. न तो यहां कफ सिरफ है और न ही सर्दी-जुमाम की दवा. पेन किलर की दवा भी नहीं है. हालांकि शुगर की किट, तो नहीं थी, लेकिन इसकी दवा वहां उपलब्ध था. स्त्री व पुरुष शौचालय तो है, लेकिन उसमें पानी नहीं है. यहां तक की मरीज व स्टाफ के लिए पीने का पानी नहीं है. यहां औसतन प्रतिदिन छह से सात मरीज आते हैं. यदि कोई व्यक्ति मामूली चोट के बाद ड्रेसिंग कराने पहुंचे, तो उसे निराशा होती है, क्योंकि यहां ड्रेसिंग के लिए आवश्यक कॉटन और बैंडेज जैसे फर्स्ट एड के लिए जरूर सामान उपलब्ध नहीं हैं. एक्सीडेंटल केस को यहां से सदर अस्पताल रेफर किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह नया विचार समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे नया विचार डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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