रमजान के पाक महीने में बिना नागा प्रतिदिन रात एक बजे से जाग जाओ, सेहरी का वक्त हो चला है…. की गूंज पांडरपाला की गलियों में गूंजती है. रमजान के महीने में लगातार 30 दिनों तक सेहरी से पहले रोजेदारों को जगाने की परंपरा को अब भी जीवित रख हुए हैं पांडरपाला के अब्दुल कुदुस उर्फ शाह बाबा. चाहे कोई भी मौसम हो रात एक बजे से अहले सुबह 4.30 बजे तक माइक ले कर गलियों में घूम-घूम कर लगाते रहते हैं आवाज. इनकी आवाज के साथ ही इलाके में शुरू हो जाती है चहल-पहल. सभी इनका काफी सम्मान करते हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी दिन इनकी आवाज नहीं आयी हो.
कौन हैं शाह बाबा :
पांडरपाला के रहने वाले अब्दुल कुदुस की उम्र लगभग 61 वर्ष है. कोई उन्हें फकीर बाबा बुलाता है, तो कोई शाह बाबा. अपने बारे में वह बताते हैं कि काफी कम उम्र से ही वह काफिला (रोजेदारों को जगाने वाली टीम) का हिस्सा रहे. इसको लेकर वह पिछले 46 वर्षों से हर रमजान यह जवाबदेही निभाते हैं. रमजान के पूरे 30 दिनों तक वह पांडरपाला, वासेपुर, नया बाजार, टिकियापाड़ा सहित आसपास के क्षेत्रों में घूम-घूम कर आवाज लगाते हैं.
हमेशा चलते हैं पैदल :
शाह बाबा बताते हैं कि वह बाइक या दूसरे वाहन का प्रयोग नहीं करते हैं. पैदल चलते हैं. साथ ही काफिला में रहने वाले दो-तीन अन्य सदस्यों को भी पैदल ही घुमाते हैं. उनके काफिले के सदस्य बदलते रहते हैं, पर शाह बाबा खुद रोज रहते हैं. उम्र बढ़ने के कारण अब वह बैटरी वाले हैंड माइक से लोगों को जगाते हैं. प्रत्येक दिन वह अलग-अलग क्षेत्रों में जाते हैं.
कहते हैं शाह बाबा : आगे आयें युवा
रमजान में सेहरी से पहले रोजेदारों को जगाने की परंपरा सदियों पुरानी है. अजान से पहले सबको जगाया जाता है. धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती जा रही है. अब्दुल कुदुस जैसे कुछ बुजुर्ग इस परंपरा को आज भी जीवित रखे हुए हैं. वह कहते हैं कि पहले मुहल्लों में युवाओं की टीम निकलती थी, पर अब यह लगभग समाप्त हो चुकी है. जब तक उनका शरीर साथ देगा तब तक वह इस परंपरा को जारी रखेंगे. उन्होंने युवाओं से इस परंपरा को कायम रखने की अपील की.
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