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Dual Citizenship: क्या एक साथ ले सकते हैं दो देशों की नागरिकता? जानें कानून

Dual Citizenship: हर साल लाखों हिंदुस्तानीय विदेश जाते हैं, कुछ पढ़ाई के लिए तो कुछ नौकरी और व्यापार के लिए. हिंदुस्तानीय प्रवासी खासतौर पर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और मिडिल ईस्ट जैसे देशों में बसते हैं. आमतौर पर विकसित देशों में बसने वाले हिंदुस्तानीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए वहां की नागरिकता ले लेते हैं, जिससे उन्हें हिंदुस्तानीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है. इसके बाद जब भी उन्हें हिंदुस्तान आना होता है, तो वीजा लेना जरूरी हो जाता है. इस समस्या को हल करने के लिए हिंदुस्तान प्रशासन ओसीआई (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) कार्ड जारी करती है. हालांकि, इसे दोहरी नागरिकता नहीं माना जाता. आइए जानते हैं कि हिंदुस्तान में दोहरी नागरिकता का क्या नियम है और ओसीआई कार्ड कैसे काम करता है.

हिंदुस्तान में दोहरी नागरिकता की स्थिति

दुनिया के कई देशों जैसे अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्वीडन, नॉर्वे, ब्रिटेन, आयरलैंड, फिनलैंड और न्यूजीलैंड में दोहरी नागरिकता की अनुमति है. लेकिन हिंदुस्तान में ऐसा नहीं है. हिंदुस्तानीय संविधान दोहरी नागरिकता को मान्यता नहीं देता. नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7ए के अनुसार, हिंदुस्तान प्रशासन केवल हिंदुस्तानीय मूल के कुछ लोगों को ओसीआई कार्ड जारी करती है, जिससे वे हिंदुस्तान से जुड़े रह सकें.

ओसीआई कार्ड क्या है?

ओसीआई कार्ड एक ऐसी विशेष सुविधा है, जो उन लोगों के लिए बनाई गई है, जिन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली है लेकिन हिंदुस्तान से उनका भावनात्मक और पारिवारिक संबंध बना हुआ है. पहले, 2003 में हिंदुस्तान प्रशासन ने पीआईओ (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन) कार्ड जारी किया था, जो 10 साल तक मान्य होता था. लेकिन 2006 में ओसीआई कार्ड योजना शुरू की गई और 2015 में पीआईओ कार्ड को समाप्त कर दिया गया.

क्या ओसीआई कार्ड दोहरी नागरिकता है?

कई लोग यह मान लेते हैं कि ओसीआई कार्ड प्राप्त करना दोहरी नागरिकता लेने के बराबर है, लेकिन ऐसा नहीं है. ओसीआई कार्ड केवल हिंदुस्तान में रहने और यात्रा की सुविधाएं देता है, यह हिंदुस्तानीय नागरिकता नहीं देता. ओसीआई कार्ड होल्डर को लाइफटाइम वीजा की सुविधा मिलती है, जिससे वह बिना वीजा के हिंदुस्तान आ सकता है. लेकिन वह हिंदुस्तान का पूर्ण नागरिक नहीं माना जाता और कुछ अधिकारों से वंचित रहता है.

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ओसीआई कार्ड कौन प्राप्त कर सकता है?

हिंदुस्तान प्रशासन ओसीआई कार्ड उन्हीं लोगों को जारी करती है, जिन्होंने 26 जनवरी 1950 के बाद हिंदुस्तानीय नागरिकता रखी हो या जिनके माता-पिता हिंदुस्तानीय नागरिक रहे हों. हालांकि, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान और ईरान के नागरिकों को यह सुविधा नहीं दी जाती. ओसीआई कार्ड होल्डर्स को हिंदुस्तान में रहने, काम करने और आर्थिक लेन-देन की अनुमति होती है. यह कार्ड जीवनभर मान्य रहता है.

ओसीआई कार्ड होल्डर्स के लिए प्रतिबंध

ओसीआई कार्ड होल्डर्स को कई अधिकार मिलते हैं, लेकिन कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं:

वे हिंदुस्तान में चुनाव नहीं लड़ सकते.

उन्हें हिंदुस्तान में वोट डालने का अधिकार नहीं होता.

वे प्रशासनी नौकरी या संवैधानिक पद पर नियुक्त नहीं हो सकते.

वे हिंदुस्तान में खेती की जमीन नहीं खरीद सकते.

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ओसीआई कार्ड होल्डर और एनआरआई में अंतर

कई लोग एनआरआई (अनिवासी हिंदुस्तानीय) और ओसीआई कार्ड होल्डर को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं. एनआरआई वह व्यक्ति होता है, जिसके पास हिंदुस्तानीय पासपोर्ट होता है लेकिन वह विदेश में रहता है. अगर कोई व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष में 183 दिनों से अधिक विदेश में रहता है, तो उसे एनआरआई माना जाता है. एनआरआई को हिंदुस्तान में वोट डालने का अधिकार होता है, जबकि ओसीआई कार्ड होल्डर को नहीं.

हिंदुस्तान में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है, लेकिन विदेशों में बसे हिंदुस्तानीयों को हिंदुस्तान से जोड़े रखने के लिए ओसीआई कार्ड की सुविधा दी गई है. यह कार्ड उन्हें हिंदुस्तान आने और यहां रहने की विशेष अनुमति देता है. हालांकि, वे हिंदुस्तानीय नागरिकों के समान सभी अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते. ओसीआई कार्ड हिंदुस्तान प्रशासन द्वारा प्रवासी हिंदुस्तानीयों को उनके हिंदुस्तानीय मूल से जोड़ने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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