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Durga Temple: बुलडोजर से गिराया गया दुर्गा मंदिर, मूर्ति तोड़ी, मचा बवाल, देखें वीडियो

Durga Temple: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के खुल्खेत इलाके में 26 जून को एक दुर्गा मंदिर को ध्वस्त किए जाने की घटना ने देश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है. यह घटना रथयात्रा पर्व से महज एक दिन पहले हुई, जिसके कारण इसकी संवेदनशीलता और बढ़ गई. अब इस कार्रवाई के विरोध में शनिवार को ‘बांग्लादेश बंद’ का आह्वान किया गया है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय और हिंदुस्तान प्रशासन का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित करना है.

मंदिर गिराने की कार्रवाई और रेलवे की सफाई (Durga Temple Demolished)

यह कार्रवाई बांग्लादेश रेलवे द्वारा की गई, जिसने दावा किया कि यह मंदिर रेलवे की जमीन पर ‘अवैध रूप से’ बनाया गया था. रेलवे अधिकारियों के अनुसार, मंदिर के साथ-साथ इलाके से अन्य 100 से अधिक अस्थायी दुकानों, नेतृत्वक कार्यालयों और संरचनाओं को भी हटाया गया. हालांकि स्थानीय मंदिर समिति और कई चश्मदीदों ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मंदिर पर बिना किसी पूर्व सूचना के बुलडोजर चलाया गया और वहां रखी मूर्ति को भी खंडित किया गया.

मंदिर समिति के सचिव अर्जुन रॉय ने आरोप लगाया कि मंदिर पर पहले भी हमला हो चुका था. उनके मुताबिक, 23 जून की रात लगभग 500 लोगों की भीड़ ने मंदिर पर धावा बोला था, जबकि उस समय मंदिर के भीतर श्रद्धालु मौजूद थे. इस हमले के तीन दिन बाद मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया, जबकि आसपास बनी अन्य कथित अवैध संरचनाओं को नहीं छुआ गया.

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देशभर में विरोध प्रदर्शन (Bangladesh)

इस घटना के बाद बांग्लादेश के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. ढाका, चटगांव, सिलहट और बारीसाल जैसे प्रमुख शहरों के अलावा कई विश्वविद्यालय परिसरों में मानव श्रृंखलाएं बनाकर विरोध दर्ज कराया गया. प्रदर्शन कर रहे हिंदू संगठनों का कहना है कि अगर मंदिर को अवैध बताकर गिराया गया तो उसी जमीन पर बनी मस्जिदों और मदरसों को क्यों नहीं हटाया गया. इससे यह संदेश जाता है कि प्रशासन में कट्टरपंथी तत्व प्रभावी भूमिका में आ चुके हैं.

रेल मंत्रालय के दावे पर सवाल (Durga Temple)

रेल मंत्रालय के सलाहकार मुहम्मद फौजुल कबीर खान ने दावा किया कि मूर्ति को उचित सम्मान के साथ बालू नदी में विसर्जित किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि मूर्ति को तोड़ा गया और गुरुवार रात तक उसका कोई विसर्जन नहीं हुआ था.

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हिंदुस्तान की प्रतिक्रिया

हिंदुस्तान प्रशासन ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि यह मंदिर चरमपंथी संगठनों के दबाव में गिराया गया है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. हिंदुस्तान इस मुद्दे को लंबे समय से विभिन्न मंचों पर उठाता रहा है और ऐसी घटनाओं से लगातार नाराजगी जाहिर करता रहा है.

अल्पसंख्यकों की बढ़ती चिंता

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की जनसंख्या करीब 8-9% के आसपास है. हिंदू संगठनों का आरोप है कि बीते वर्षों में दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और मूर्तियों पर हमले बढ़े हैं, जिससे समुदाय में असुरक्षा की भावना बढ़ी है. ‘बांग्लादेश बंद’ का आह्वान इसी असंतोष और डर की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है. इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति और धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिस पर अब अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और दबाव की संभावना भी जताई जा रही है.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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