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Election Commission: संविधान के दायरे में फर्जी मतदाताओं की पहचान कर रहा आयोग

Election Commission: चुनाव के दौरान फर्जी मतदाताओं द्वारा परिणाम प्रभावित करने का आरोप विपक्ष लगाता रहा है. विपक्ष के आरोप पर चुनाव आयोग विस्तृत जवाब दे चुका है. इसके बावजूद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का काम जारी है. विपक्षी दलों के फर्जी मतदाताओं के चुनाव को प्रभावित करने के आरोप को देखते हुए आयोग बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं का विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) शुरू किया है.

इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर(बीएलओ) घर-घर जाकर गणना प्रपत्र (इन्युमेरेशन फार्म) देंगे और मतदाताओं को इसे भरकर आयोग को देना होगा. इसके आधार पर आयोग फर्जी मतदाता की पहचान कर उन्हें मतदाता सूची से बाहर करेगा. आयोग के इस फैसले को लेकर विपक्षी दल आक्रामक हो गए हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा के इशारे पर आयोग काम कर रहा है और गरीब मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है.

चुनाव आयोग की इस पहल का विरोध पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी किया है और इसे नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) से जोड़ दिया है. विपक्ष के तमाम दावों को नकारते हुए हुए आयोग का कहना है कि फर्जी वोटरों को मतदाता सूची से हटाने के लिए ऐसा करना जरूरी है. बिहार में इससे पहले ऐसा सर्वे वर्ष 2003 में किया गया था और अब दो दशक से अधिक समय के बाद आयोग घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करने का निर्णय लिया है. इसके लिए चुनाव आयोग ने अधिकारियों के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किया है. 

संविधान के अनुसार हो रहा है काम

चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि देश में संविधान सबसे ऊपर है. देश के सभी लोग, नेतृत्वक दल और आयोग संविधान के अनुसार काम करते है. संविधान के अनुच्छेद 326 में मतदाता बनने को लेकर साफ बात कही गयी है. नियम के तहत 18 साल से अधिक उम्र के सिर्फ हिंदुस्तानीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है. विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) बिहार में सफलता के साथ शुरू किया गया है.

ताकि योग्य मतदाता ही चुनाव में मतदान कर सकें. इस काम में सभी नेतृत्वक दलों का पूरा सहयोग हासिल है. इस बाबत चुनाव आयोग बिहार में 77895 बूथ लेवल अधिकारी को तैनात कर चुका है और नये मतदान केंद्र के लिए 29603 बीएलओ को तैनात करने की तैयारी है. साथ ही फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए एक लाख से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता भी मदद करेंगे. खासकर बुजुर्ग, बीमार और दिव्यांग मतदाताओं की पहचान में ऐसे संगठनों की भूमिका अहम होगी.

सभी पंजीकृत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों ने मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं का नाम हटाने के लिए 1.54 लाख से अधिक बीएलओ की तैनाती कर चुके है और आने वाले समय में और अधिक बीएलओ की नियुक्ति कर सकते हैं. बिहार के सभी 243 विधानसभा क्षेत्र में फर्जी मतदाताओं का पता लगाने की पहल शुरू हो चुकी है. आयोग ने इस बाबत शिकायत के निपटाने के लिए भी विशेष व्यवस्था की है. 

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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