Emergency: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या हुई थी. साथ ही लोकतंत्र की रक्षा और संविधान के मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया. इस दौरान आपातकाल का विरोध करने वाले अनगिनत लोगों के बलिदान को याद करने और उनका सम्मान करने का संकल्प लिया. प्रस्ताव पारित करने के आपातकाल के खिलाफ आवाज उठाकर जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में प्रधानमंत्री और मंत्रियों ने 2 मिनट का मौन भी रखा.
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा प्रशासन पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाते रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के भाजपा पर संविधान बदलने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया और इसका खामियाजा भाजपा का भुगतना पड़ा. वहीं भाजपा प्रशासन ने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान संविधान बदलने और लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाती रही है. आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर प्रशासन ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया. इस दौरान आपातकाल के दौरान की गयी ज्यादियों से युवाओं को अवगत कराना है.
कांग्रेस लोकतंत्र विरोधी
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी हिंदुस्तानीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे हनन किया गया. मौजूदा प्रशासन संवैधानिक सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. सोशल मीडिया एक्स पर लिखे पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल हिंदुस्तानीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे अंधकारमय अध्याय में से एक है. आपातकाल में संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया. प्रेस की स्वतंत्रता का गला दबा दिया गया और व्यापक पैमाने पर नेतृत्वक दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डालने का काम किया गया.
ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस प्रशासन ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था. आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा की ओर से व्यापक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के दौरान आपातकाल के पीड़ित लोगों को सम्मानित करने के साथ युवाओं को यह बताने की कोशिश है कि कैसे कांग्रेस ने सत्ता में बने रहने के लिए संविधान की हत्या की.
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