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Giridih News :सद्गुरु कबीर का जयंती सह आविर्भाव महोत्सव मना

कबीर की वाणी वास्तव में खालिस अमृत है : सद्गुरु मां ज्ञान

श्री कबीर ज्ञान मंदिर के प्रांगण में बुधवार को संत सम्राट सद्गुरु कबीर साहब की 627वीं जयंती सह आविर्भाव महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया. आविर्भाव महोत्सव के पावन अवसर पर गिरिडीह समेत के राज्य के अन्य जिलों व दूसरे राज्यों से हजारों श्रद्धालु पहुंचे. शुरुआत बुधवार सुबह आठ बजे से सद्गुरु कबीर साहब कृत बीजक के सस्वर पाठ व यज्ञ-हवन से हुई. सद्गुरु मां के सानिध्य में हजारों श्रद्धालुओं ने सद्गुरु कबीर बीजक के मंत्रोच्चार से वैदिक यज्ञ किया. सद्गुरु मां ने कहा कि कबीर की वाणी वास्तव में खालिस अमृत है. यह समस्त मानव समाज के लिए संजीवनी बूटी है. परमात्मा की ओर से अखिल मानवता को दिया गया यह अमृतोपम उपहार है. इसे अपनाकर मानव जहां परम सुखी हो जाता है, वहीं संसार स्वर्ग और सुखद बन जाता है. सद्गुरु कबीर अपने भक्तों को आश्वासन देते हैं. हे पुत्र तुम मेरी शरण में आ जा, मेरा कहा मान ले, मेरी सेवा स्वीकार कर ले तो किसी में इतनी ताकत नहीं होगी कि कोई बाल बांका नहीं कर सकेगा. यदि निश्चयपूर्वक कबीर वचनों को तुम मान लो व उसका अनुसरण करो तो तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और अनंत आत्मसुख का उदय होगा. तुम अनंत सुख के स्वामी हो जाओगे. संत दादू दयाल साहब अपने आराध्य कबीर साहब की महिमा का गुणगान करते हुए कहते हैं: जो कोई कबीर साहब के नाम की शरण लेता है, उस पर काल की भयंकर चोट भी असर नहीं करती. जिसने कबीर तत्व को पहचान लिया, उसी में विलीन हो गया, उसे न माया डगमगा सकती है, न मृत्यु डरा सकती है, न काल छल सकता है.

सद्गुरु कबीर साहब साखी दर्पण भाग दो का विमोचन

इसके बाद लोक प्राकट्य महोत्सव मनाया गया. इसमें सद्गुरु कबीर साहब के वाराणसी के लहरतारा सरोवर में कमल पुष्प पर अवतरण की अलौकिक घटना की जीवंत प्रस्तुति दी गयी. इसके बाद बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुति किया. इस दौरान सद्गुरु कबीर साहब साखी दर्पण भाग दो का विमोचन मां ज्ञान ने किया. द्वारा किया गया. बताया गया कि इसमें सद्गुरु कबीर के जीवन उथानक साखियों को बहुत सरल व्याख्या मां ज्ञान ने की है. मां ज्ञान ने कहा कि कबीर साहब कोई पंथ प्रचारक नहीं थे. वह युगों से सोए मानव को झकझोर कर जगाने आये थे. वह शास्त्रों की नहीं, अनुभव की बात बोले. आडंबर, पाखंड और कुरीतियों से मानव समाज को ऊपर उठाकर सच्चे धर्म का पाठ पढ़ाया. उन्होंने ढाई आखर प्रेम का संदेश दिया. कबीर का जन्म, जीवन और निर्वाण तीनों दिव्य है. दोपहर में नाट्य मंचन, बाल्य प्रस्तुति तथा संतों भक्तों के उद्बोधन व शाम में भजन संध्या का आयोजन किया गया. कबीर के भजनों से वातावरण गुंजायमान हो गया. महाआरती व भंडारे के साथ कार्यक्रम की पूर्णाहुति हुई.

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विनोद झा
संपादक नया विचार

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